धान की खेत में लगा दें 10 रुपए का ये देसी जुगाड़टंग्रो वायरस हो जाएगा गायब
धान की खेत में लगा दें 10 रुपए का ये देसी जुगाड़टंग्रो वायरस हो जाएगा गायब
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात पादप सुरक्षा रोग एक्सपर्ट डॉ. नूतन वर्मा ने बताया कि टंग्रो वायरस चपेट में आने से पौधे बौने रह जाते हैं. कल्लों की संख्या कम हो जाती है. बाली कम आती है, जो बालियां आती हैं, उनमें दाने कम रहते हैं.
शाहजहांपुर : भारत में कम उत्पादन की सबसे बड़ी वजह है धान की फसल में लगने वाले कीट व रोगों का सही समय पर नियंत्रण नहीं होना. ऐसे में सही समय पर फसल में कीट व रोगों की पहचान करके इनका नियंत्रण करना आवश्यक होता है. धान में लगने वाले रोग फसल को भारी नुकसान पहुंचाते हैं. जिनका समय पर उपचार करना बेहद जरूरी है. ऐसा ही एक रोग टंग्रो वायरस, जो धान की फसल में तेजी से फैलती है और पूरी फसल को चपेट में ले लेता है. जिसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है.
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात पादप सुरक्षा रोग एक्सपर्ट डॉ. नूतन वर्मा ने बताया कि टंग्रो वायरस चपेट में आने से पौधे बौने रह जाते हैं. कल्लों की संख्या कम हो जाती है. बाली कम आती है, जो बालियां आती हैं, उनमें दाने कम रहते हैं. ऐसे में जरूरी है कि इस वायरस की रोकथाम कर की जाए, अन्यथा इसका उत्पादन पर सीधा असर पड़ेगा, जिससे किसानों को भारी नुकसान होगा. किसान रोग का प्रसार रोकने के लिए देसी जुगाड़ भी अपना सकते हैं.
कैसे फैलता है टंग्रो वायरस?
डॉ. नूतन वर्मा ने बताया कि टंग्रो वायरस, जिसका वाहक हरे रंग का फुदका होता है. हरा फुदका वायरस जनित पौधों पर बैठकर रस चूसता है. लार्वा में वायरस आ जाता है. हरा फुदका स्वस्थ पौधों पर जाकर बैठता है. जिससे वह पौधे भी संक्रमित हो जाते हैं. पौधे के संक्रमित होने के बाद पत्ती का ऊपरी हिस्से में पीलापन आ जाता है. पत्तियों पर जंक की तरह धब्बे दिखाई देते हैं. ये लक्षण जिंक की कमी होने पर भी होते हैं. ऐसे में किसानों को पहचानने में भी दिक्कत हो जाती है.
देसी जुगाड़ से करें वायरस की रोकथाम
डॉ. नूतन वर्मा ने बताया कि टंग्रो वायरस की रोकथाम के लिए किसान देसी जुगाड़ भी अपना सकते हैं. जिसमें बिना कोई खास पैसा खर्च किए किसान इस खतरनाक वायरस से फसल को बचा सकते हैं. डॉ नूतन वर्मा ने बताया कि किसान धान की फसल में पीला बल्ब लगा दें, क्योंकि हरा फुदका प्रकाश को देखकर आकर्षित को होता है. बल्ब के नीचे टब में पानी डालकर उसमें इमिडाक्लोप्रिड (Imidacloprid) नाम का कीटनाशक डाल दें. बल्ब की ओर आने वाले कीट टब में गिरेंगे और मर जाएंगे. ऐसा करने से टंग्रो वायरस का प्रसार रुक जाएगा.
कैसे करें टंग्रो वायरस की रोकथाम?
डॉ. नूतन वर्मा ने बताया कि हरे रंग का फुदके की रोकथाम करने से टंग्रो वायरस का प्रसार रुक जाता है. हरे रंग का फुदके का नियंत्रण करने के लिए थियामेथोक्साम 25% (Thiamethoxam 25% WDG 80 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव कर दें, या इमिडाक्लोप्रिड (Imidacloprid) 100 ml प्रति एकड़ के हिसाब से दवा का छिड़काव कर सकते हैं. ध्यान रखें कि घोल बनाते वक्त 100 लीटर से 125 लीटर पानी का इस्तेमाल करें. इन्हीं में से एक दवा 15 से 20 दिन के अंतराल पर दवा का छिड़काव फिर से दोहरा सकते हैं. जिससे हरा फुदका की रोकथाम हो जाएगी और टंग्रो वायरस का प्रसार रुक जाएगा.
Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : August 21, 2024, 12:37 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed