टॉपर के बाद भी 17 छात्रों को नहीं मिलेगा दिल्ली एम्स जानें कहां फंस रहा पेंच

NEET Result 2024: सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को 610 तक, पिछड़ा वर्ग को 575 तक, अनुसूचित जाति वर्ग को 480 तक और अनुसूचित जन जाति वर्ग को 475 से अधिक अंक होने पर सरकारी मेडिकल कॉलेज मिला है.

टॉपर के बाद भी 17 छात्रों को नहीं मिलेगा दिल्ली एम्स जानें कहां फंस रहा पेंच
लखनऊ/अंजलि सिंह राजपूत: NEET 2024 का रिजल्ट आ चुका है. इस साल करीब 67 बच्चों ने 720 स्कोर किया है. यानी ये सभी बच्चे टॉपर हैं. क्या इन सभी को सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीट मिल जाएगी या कुछ और होता है पैमाना. यही जानने के लिए जब देश के एक मशहूर कोचिंग सेंटर के अकादमिक हेड सौरव शुक्ला से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि इतिहास में पहली बार एक साथ 67 बच्चों ने 720 अंक हासिल किए हैं. सभी टॉपर हैं. वहीं, दिल्ली एम्स में सिर्फ 50 सीटें हैं. ऐसे में टॉपर लिस्ट के 17 बच्चों को दिल्ली एम्स नहीं मिलेगा. एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि हो सकता है सरकारी मेडिकल कॉलेज में दाखिले का जो कट ऑफ जाए वो हाई हो. क्योंकि, साल 2023 में जो सरकारी मेडिकल कॉलेज का कट ऑफ गया था, वो 610 था. 610 नंबर जिन्होंने पाए थे उनको सरकारी मेडिकल कॉलेज मिले थे. पिछले साल टॉपर्स कम थे, इस साल ज्यादा हैं. बहुत मुश्किल है टॉप करने के बाद भी सरकारी मेडिकल कॉलेज मिलना. उन्होंने बताया कि अभी तक सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को 610 तक, पिछड़ा वर्ग को 575 तक, अनुसूचित जाति वर्ग को 480 तक और अनुसूचित जन जाति वर्ग को 475 से अधिक अंक होने पर सरकारी मेडिकल कॉलेज मिला है. यूपी में मेडिकल कॉलेज की स्थिति एक्सपर्ट सौरभ शुक्ला ने बताया कि उत्तर प्रदेश में कुल 3 लाख 35 हजार बच्चे नीट एग्जाम में अपीयर हुए थे. जबकि 1,650,47 बच्चों ने नीट एग्जाम क्वालीफाई किया है. जबकि पूरे उत्तर प्रदेश में कुल मेडिकल कॉलेज 67 हैं जिसमें 9903 सीटें हैं. प्राइवेट मेडिकल कॉलेज की संख्या 32 है, जिसमें 5600 सीटें हैं. जबकि सरकारी मेडिकल कॉलेज की संख्या 35 है जिनमें 4430 सीटें हैं. इसमें 85% स्टेट कोटा और 15% ऑन इंडिया कोटा से सीटें भरी जाएंगी. इतनी होती है फीस हर छात्र-छात्राओं की पहली पसंद सरकारी मेडिकल कॉलेज होता है, जिसमें नंबर वन पर दिल्ली एम्स है. जबकि दूसरे नंबर पर किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी लखनऊ की है. सरकारी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस 18000 से लेकर 90,000 हजार प्रति वर्ष की फीस में हो जाता है. जबकि प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में 11 लाख रुपये से लेकर 18 लाख रुपये प्रतिवर्ष के हिसाब से भुगतान करना होता है. यही वजह है कि सरकारी मेडिकल कॉलेज छात्र-छात्राओं की पहली पसंद होते हैं. लेकिन, इस बार 67 बच्चे टॉपर हैं. जबकि सरकारी मेडिकल कॉलेज में लिमिटेड सीटें हैं. ऐसे में हर किसी को उनका मनपसंद मेडिकल कॉलेज नहीं मिल पाएगा. Tags: Delhi AIIMS, Local18, Lucknow news, MBBS student, NEET, Neet examFIRST PUBLISHED : June 6, 2024, 16:06 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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