नहीं देखी होगी शिव की ऐसी प्रतिमा अद्भुत है रूप देते हैं यह संकेत

भगवान शिव का यह मंदिर करीब 5500 हजार साल पुराना है. यह मंदिर श्मशान घाट के सामने स्थापित है. भगवान शिव के एक हाथ लिंग पर और दूसरे हाथ उनके हृदय पर रखा हुआ है. भगवान शिव को गोकरण नाम से इस मंदिर में जाना जाता है. इस मंदिर में विराजमान शिव गाय के कान से पैदा हुए थे. 

नहीं देखी होगी शिव की ऐसी प्रतिमा अद्भुत है रूप देते हैं यह संकेत
निर्मल कुमार राजपूत /मथुरा : सावन के महीने में कृष्ण की नगरी बम बम भोले के जयकारों से गूंज रही है. भगवान शिव की एक अनोखी और अलौकिक प्रतिमा मथुरा के गोकरण महादेव मंदिर में विराजमान है.  इस प्रतिमा में अद्भुत शक्ति है. इस प्रतिमा  में भगवान शिव ने एक हाथ अपने लिंग में रखा है और दूसरा हाथ अपने मन के ऊपर रखा है. शिव का यह मंदिर करीब 5500 साल पुराना है  शिव मंदिरों में आपने प्रतिमायें तो अनेकों देखी होंगी, लेकिन इस शिव मंदिर में अन्य शिव मंदिरों से यह प्रतिमा अलग है. इस प्रतिमा को हम अलग क्यों कह रहे हैं और यह मंदिर कितना पुराना है, वह हम आपको बताते हैं. मान्यता के अनुसार यह मंदिर करीब 5500 साल पुराना है. यहां सच्चे मन से पूजा करने वाले भक्त की हर मनोकामना पूर्ण होती है. गोकरण नाथ मंदिर के सेवायत पुजारी अन्नू पंडित से जब बात हुई तो उन्होंने बताया कि श्रीमद् भागवत में इस मंदिर का लेख आता है. द्वापर युग का यह मंदिर है. आत्मदेव नाम के एक ब्राह्मण हुआ करते थे, उनकी पत्नी का नाम था धुंधली. संपन्न होने के बाद भी उन्हें संतान का दुख था. उनकी कोई संतान नहीं थी. वह ब्राह्मण अपने प्राण त्यागने के लिए जा रहा था. रास्ते में उन्हें एक ऋषि मिलते हैं. उन संत ने एक फल उन्हें दिया. उनसे कहा गया कि आप इस फल को अपनी पत्नी को खिला देना. ऋषि ने उस ब्राह्मण से कहा के आपको पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी. धुंधली उनकी पत्नी उस फल को खुद ना खाकर गाय को खिला देती है. फिर शिव भगवान गाय के कान से पैदा हुए. इनका नाम इसलिए गोकरण पड़ गया. भगवान शिव का एक हाथ लिंग में  और दूसरा हाथ हृदय पर रखा हुआ है  मंदिर के पुजारी अनूप पंडित का यह भी कहना है कि यह बहुत ही धार्मिक प्रवृत्ति के साथ-साथ ज्ञानी थे. गोकरण अपने भाई के लिए 7 दिन की भागवत पढ़ते हैं. उनके भाई को मुक्ति मिल जाती है. भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया था कि कलयुग में तुम मेरे नाम से पूजे जाओगे. मूर्ति की विशेषता बताते हुए अनूप पंडित ने बताया कि मूर्ति की विशेषता यह है कि शिव जी का एक हाथ उनके लिंग पर है और दूसरा उनके मन पर. मनुष्य के अंदर दो चीज चलायमान होती हैं, पहला काम और दूसरा क्रोध. मनुष्य इन दोनों इंद्रियों को अपने बस में कर लेता है, तो वह विजय पा सकता है. भगवान शिव की यह  प्रतिमा भी यही संकेत देती है कि आप अपने काम और क्रोध को बस में करना सीखें. मंदिर का उल्लेख गर्ग संहिता, वराह पुराण, श्रीमद भागवत इन ग्रंथों में पाया जाता है. Tags: Hindi news, Local18, Religion 18, Sawan MonthFIRST PUBLISHED : July 23, 2024, 15:04 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.
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