AMU में मौजूद है हजरत अली के हाथों का लिखा कुरान खत्ते कूफी में है लिखावट

एमयू की लाइब्रेरियन निषाद फातिमा बताती हैं कि हजरत अली ने कूफी शैली में हिरन की खाल पर ‘सूरह फातिहा व सूरह बकरा की कुछ आयतें लिखी हैं, जो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के मौलाना आजाद लाइब्रेरी के संग्रहालय में मौजूद हैं.

AMU में मौजूद है हजरत अली के हाथों का लिखा कुरान खत्ते कूफी में है लिखावट
वसीम अहमद /अलीगढ़: AMU अपनी तालीम के लिए दुनिया भर जानी जाती है. लेकिन, क्या आपको पता है कि तालीम के अलावा यूनिवर्सिटी की अन्य भी बहुत सी खूबियां और खासियत हैं. क्योंकि, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में बहुत सी नायाब चीजें मौजूद हैं. इसमें से एक है नायाब कुरान शरीफ. इस कुरान को हजरत अली ने खुद अपने हाथों से लिखा है, जो इस्लाम के चौथे खलीफा थे. पैगंबर मोहम्मद मुस्तफा (सअ) के दामाद और इमाम हसन-हुसैन के वालिद हजरत अली की यौम-ए-पैदाइश हर साल को होती है. इसे दुनियाभर मे 13 रजब अली डे के रूप में मनाया जाता है. हजरत अली के हाथों से 780 में लिखी कुरान की आयतें अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) की लाइब्रेरी के संग्रहालय में मौजूद हैं. हजरत अली से जुड़ी कई भाषाओं में किताबें जानकरी देते हुए एमयू की लाइब्रेरियन निषाद फातिमा बताती हैं कि हजरत अली ने कूफी शैली में हिरन की खाल पर ‘सूरह फातिहा व सूरह बकरा की कुछ आयतें लिखी हैं, जो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के मौलाना आजाद लाइब्रेरी के संग्रहालय में मौजूद हैं. एएमयू के संग्रहालय में हजरत अली की जिंदगी से जुड़ी अंग्रेजी भाषा में 18, हिंदी में तीन, उर्दू में 37, अरबी में 26 और फारसी में 17 किताब मौजूद हैं. मौला अली के हाथों से लिखी कुरान की आयतें भी हैं, जिसे 780 मे लिखा गया था. इतना ही नहीं, हजरत अली की यौमे-पैदाइश पर उनसे जुड़ी चीजों की खास मौकों पर प्रदर्शनी भी लगाई जाती है. खत्ते कूफी में है लिखावट अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में तालीम के साथ -साथ नायाब नुस्खों की भी भरमार है. यूनिवर्सिटी की मौलाना आजाद लाइब्रेरी हिंदुस्तान में ही नहीं बल्कि, पूरे एशिया में सबसे बड़ी लाइब्रेरी में से एक मानी जाती है. इसमें हजरत अली के जमाने का नायाब कुरान शरीफ मौजूद है. इस कुरान शरीफ की खासियत है कि यह कुरान खत्ते कूफी में लिखा हुआ है. उस समय कागज का इजात नहीं हुआ था. इसलिए यह कुरान शरीफ हिरन की खाल पर लिखी हुई है. AMU कैसे पहुंची कुरान? 1938 में गोरखपुर के एक रहीस सुभान अल्लाह साहब ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को दिया था. 75 साल से ज्यादा समय से AMU इसकी देखभाल कर रही है. इसकी हिफाजत के लिए इसे चारों तरफ से कवर किया गया है. सालों से यह वैसे ही है. इराक मे कूफा नामक जगह है, जहां कूफी लिखावट होती थी इसलिए इसे भी कूफी में लिखा गया है. Tags: Aligarh Muslim University, Aligarh news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : June 11, 2024, 15:31 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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