चोटी पर तैनाती युद्ध में पैर और हाथ गंवाएं फौजी जवान प्रवीन यादव की कहानी

Haryana Kargil War Vijay Diwas 2024: 26 जुलाई, 1999 को इस जंग में भारत की विजय का ऐलान किया गया और कारगिल की चोटियों पर शान से तिरंगा लहराया. उस युद्ध के दौरान झज्जर जिले के खेड़ी खुम्मार गांव के रहने वाले प्रवीन यादव ने अपने दोनों हाथ और दोनों पैर गंवा दिए थे.

चोटी पर तैनाती युद्ध में पैर और हाथ गंवाएं फौजी जवान प्रवीन यादव की कहानी
झज्जर. देश आज अपने रणबाकुंरों को याद कर रहा है. करगिल विजय दिवस पर शहीदों को नमन कर रहा है. देश भर से बहादुर जवानों ने कारगिल युद्ध में अपने प्रोणों का आहूति दी और पाकिस्तान के छक्के छुड़ाए. इन वीर सैनिकों में हरियाणा के कई जांबाज भी थे. हरियाणा के झज्जर के रहने वाले प्रवीण यादव ने भी इस युद्ध में अदम्य साहस का परिचय दिया. प्रवीण ने मातृभूमि की रक्षा करने के लिए अपने हाथ गंवा दिए और पैर तक बेकार हो गए. दरअसल, 26 जुलाई, 1999 को इस जंग में भारत की विजय का ऐलान किया गया और कारगिल की चोटियों पर शान से तिरंगा लहराया. उस युद्ध के दौरान झज्जर जिले के खेड़ी खुम्मार गांव के रहने वाले प्रवीन यादव ने अपने दोनों हाथ और दोनों पैर गंवा दिए थे. प्रवीन यादव ने कारगिल युद्ध के दौरान का हर एक पल सांझा किया. उन्होंने बताया कि वह लंबी दूरी तक मार करने वाली बंदूक के साथ कारगिल की चोटी पर तैनात थे. दुश्मन दिखाई नहीं दे रहा था, लेकिन उसके बावजूद भारतीय जवानों ने पूरे हौसले के साथ अपना मोर्चा संभाला था. प्रवीन ने दुश्मनों के हमले में खुद के हाथ और पैर गवां दिए और हमेशा साथ रहने वाले भाइयों जैसे दो दोस्त भी इस लड़ाई में शहीद हो गए थे. प्रवीन यादव ने कारगिल युद्ध के दौरान का हर एक पल सांझा किया. उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से केवल युद्ध के समय ही मदद मिली थी और उस दौरान सरकार ने 14 लाख की राशि मदद के तौर पर दी. प्रवीण यादव का कहना है कि वह 100% विकलांग है और सरकार ने कारगिल के शहीदों को पूरा मान सम्मान दिया, लेकिन जो घायल हो गए, उन्हें या उनके परिवार के सदस्यों को भी सरकारी नौकरी दी जानी चाहिए थी. अब उन्होंने अपने बेटे के लिए सरकारी नौकरी देने की मांग सरकार से की है. प्रवीण यादव की नौकरी के दौरान की तस्वीर. गलियों में होती है चर्चे 1999 के करगिल युद्ध के दौरान प्रवीण यादव ने दुश्मन का सामना करते हुए अपनी जान तक की कोई फिक्र नहीं की और इस दौरान उन्होंने अपने हाथ तक गंवा दिए. गोलीबारी में उनके पैर तक बेकार हो गए. प्रवीण यादव की बहादुरी के किस्से हरियाणा के झज्जर की गलियों में आज भी गूंज रहे हैं और आने वाली पीढ़ी के जवान प्रवीण यादव की बहादुरी से प्रेरणा ले रही है. Tags: Haryana News Today, Indian Army Vijay Diwas, Indo Pakistan War 1965, Jhajjar news, Kargil day, Kargil war, PM ModiFIRST PUBLISHED : July 26, 2024, 11:20 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed