यूपी का किसान इंटरक्रॉपिंग तकनीक से खेती कर बन गया मालामाल कमा रहा लाखों
यूपी का किसान इंटरक्रॉपिंग तकनीक से खेती कर बन गया मालामाल कमा रहा लाखों
जिले का यह किसान इंटरक्रॉपिंग के जरिए हरी मिर्च, करेले की खेती कर रहा है. जिससे उसे लागत के हिसाब से अच्छा मुनाफा भी हो रहा है. वह कई सालों से हरी मिर्च करेले की खेती करके लाखों रुपए मुनाफा कमा रहा है.
संजय यादव/बाराबंकी: वर्तमान में किसान पारंपरिक खेती को छोड़ नई तकनीक की खेती की ओर बढ़ रहे हैं. जिससे वह कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. कई किसान सब्जियों की खेती करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. क्योंकि इससे उन्हें अच्छी खासी कमाई हो रही है. जबकि इस खेती में लागत भी बहुत कम आती है. सब्जियों की मांग अधिक होने के कारण इसकी बिक्री भी हाथों हाथ हो जाती है. जिले का एक किसान सब्जियों की खेती से लाखों का मुनाफा कमा रहा है.
जिले का यह किसान इंटरक्रॉपिंग के जरिए हरी मिर्च, करेले की खेती कर रहा है. जिससे उसे लागत के हिसाब से अच्छा मुनाफा भी हो रहा है. वह कई सालों से हरी मिर्च करेले की खेती करके लाखों रुपए मुनाफा कमा रहा है. बाराबंकी जिले के बड़ेल गांव के रहने वाले किसान अर्जुन कुमार ने दो बीघे से हरी मिर्च करेले की खेती की शुरुआत की, जिसमें उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ. आज वह करीब एक एकड़ से ज्यादा की जमीन पर हरी मिर्च करेले की खेती कर रहे हैं. इस खेती से लगभग उन्हें दो से 3 लाख रुपए प्रतिवर्ष मुनाफा हो रहा है.
सब्जियों की खेती कर रहे किसान अर्जुन ने बताया कि वह पारंपरिक खेती के साथ सब्जियों की खेती कर रहे हैं. पहले वह ज्यादा रकबे में धान गेहूं आदि की खेती करते थे, पर अब इनका रकबा कम करके सब्जियों की खेती ज्यादा रकबे में कर रहे हैं. क्योंकि जब उन्होंने दो बीघे में हरी मिर्च करेले की खेती की शुरुआत की, तो उससे उन्हें अच्छा मुनाफा मिला. आज वह करीब एक एकड़ से ज्यादा में हरी मिर्च करेले की खेती कर रहे हैं. इसमें एक बीघे में 12 से 15 हजार रुपये की लागत आती है. क्योंकि इसमें बीज खाद कीटनाशक दवाइयां पानी लेबर आदि का खर्च लगता है और वहीं मुनाफा करीब एक फसल में दो से तीन लाख का हो जाता है.
किसान अर्जुन कुमार ने बताया कि हरी मिर्च और करेले खेती करना बहुत ही आसान है. जिसके लिए पहले खेत की जुताई की जाती है. उसके बाद पूरे खेत में मेड बनाते हैं. फिर थोड़ी-थोड़ी दूर पर करेले के बीज को लगाया जाता है, जब पेड़ थोड़ा बड़ा होने लगता है तब इसकी सिंचाई करते हैं. उसके बाद करेले के पौधे के पास उन्हीं मेड़ों पर हम हरी मिर्च के पौधे को लगा देते हैं, जिससे हमें एक साथ दो फसलें मिल जाती हैं. यह फसल करीब दो से ढाई महीने तक चलती है. जिसे हर रोज तोड़कर बेचा जाता है.
Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : June 4, 2024, 09:31 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed