बिना जड़ का है यह पेड़ 5 हजार साल से अधिक है पुराना रहस्यों से है भरा
बिना जड़ का है यह पेड़ 5 हजार साल से अधिक है पुराना रहस्यों से है भरा
श्री रवि गिरी जी महाराज जी इस वृक्ष के बारे में बताते हैं कि यह वृक्ष अनादि काल का है. इसकी जड़ का पता नहीं है. यह पेड़ मन्दिर की छत पर स्थापित है. पेड़ के नीचे मन्दिर में माता राजराजेश्वरी की स्थापना है. यह अपने आप मे ही एक रहस्य है.
बहराइचः उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में एक रहस्यमयी बिना जड़ का बेल का पेड़ मौजूद है. यह बेल वृक्ष करीब 5 हजार साल पुराना है. जिसकी पत्तियां आज भी भगवान शिव को चढ़ाई जाती हैं. बहराइच शहर में स्थित श्री सिद्धनाथ मंदिर है, जहां शिवलिंग के रूप में शिव जी विराजमान हैं. यहां शिवरात्रि और सावन माह में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर जलाभिषेक करते हैं और रहस्यमयी बिल्व यानि बेल वृक्ष की पत्तियां भी शिव जी को चढ़ाते हैं.
बेल वृक्ष का रहस्य
श्री रवि गिरी जी महाराज जी इस वृक्ष के बारे में बताते हैं कि यह वृक्ष अनादि काल का है. इसकी जड़ का पता नहीं है. यह पेड़ मन्दिर की छत पर स्थापित है. पेड़ के नीचे मन्दिर में माता राजराजेश्वरी की स्थापना है. यह अपने आप मे ही एक रहस्य है.
बेल वृक्ष का महत्व
बिल्व वृक्ष जिसे बेल का पेड़ भी कहा जाता है. धार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होने के कारण इसे मंदिरों के पास लगाया जाता है. हिन्दू धर्म में इसे भगवान शिव का रूप ही माना जाता है. मान्यता है कि इसके मूल यानि जड़ में महादेव का वास होता है. तथा इनके तीन पत्तों को जो एक साथ होते हैं उन्हे त्रिदेव का स्वरूप मानते हैं. परंतु पांच पत्तों के समूह वाले को अधिक शुभ माना जाता है. यह पूज्य होता है. धर्मग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता है. इसके पत्ते संयुक्त विपत्रक व गंध युक्त होते हैं और स्वाद में तीखे होते हैं. गर्मियों में पत्ते गिर जाते हैं तथा मई में नए पुष्प आ जाते हैं. फल मार्च से मई के बीच आ जाते हैं. बेल के फूल हरी आभा लिए सफेद रंग के होते हैं व इनकी सुगंध भीनी व मनभावनी होती है.
कहां उगता है यह पेड़
भारत में होने वाला एक फल का पेड़ है. इसे रोगों को नष्ट करने की क्षमता के कारण बेल को बिल्व कहा गया है. इसका गूदा या मज्जा बल्वकर्कटी कहलाता है. सूखा गूदा बेलगिरी. बेल के वृक्ष सारे भारत में विशेषतः हिमालय की तराई में सूखे पहाड़ी क्षेत्रों में 40 हजार फीट की ऊँचाई तक पाये जाते हैं. मध्य व दक्षिण भारत में बेल जंगल के रूप में फैला पाया जाता है. इसके पेड़ प्राकृतिक रूप से भारत के अलावा दक्षिणी नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, पाकिस्तान, बांग्लादेश, वियतनाम, लाओस, कंबोडिया एवं थाईलैंड में उगते हैं. इसके अलाव इसकी खेती पूरे भारत के साथ श्रीलंका, उत्तरी मलय प्रायद्वीप, जावा एवं फिलीपींस तथा फीजी द्वीपसमूह में की जाती है.
Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : August 15, 2024, 08:44 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed