दीपावली पर क्यों दी जाती है उल्लू की बलि सामने आईं कई घटनाएं WWF ने जताई जागरूकता की जरूरत
दीपावली पर क्यों दी जाती है उल्लू की बलि सामने आईं कई घटनाएं WWF ने जताई जागरूकता की जरूरत
Owl sacrificed on Deepawali: भारत में उल्लुओं के बारे में एक अंधविश्वास प्रचलित है कि यदि दीपावली के मौके पर इस उल्लू पक्षी की बलि दी जाए तो धन संपदा में वृद्धि होती है. लक्ष्मी जी को खुश करने के लिए कई लोग इस पावन पर्व पर उल्लुओं की बलि देते हैं. ऐसा करने से उल्लुओं की 22 प्रजातियों की तस्करी बढ़ने से उनकी संख्या घट गई है. इस बीच डब्ल्यूडब्ल्यूएफ भारत लोगों को जागरूक बनाकर उल्लुओं के संरक्षण के प्रयास में जुटा है.
हाइलाइट्सउल्लू की 16 प्रजाति की हो रही तस्करीअंधविश्वास में उल्लू की बलि चढ़ाने की हो चुकी कई घटनाएंउल्लू को देवी लक्ष्मी का वाहन माना जाता है
नई दिल्ली. रोशनी का पर्व दीपावली लोगों के लिए खुशियां लेकर आता है, लेकिन इस पावन त्योहार पर ‘उल्लू’ अंधविश्वास की भेंट भी चढ़ते हैं. ‘उल्लुओं’ के संरक्षण के लिए विश्व वन्यजीवन कोष (WWF) भारत ने जागरूकता फैलाने और इसके शिकार एवं तस्करी बंद करने की आवश्यकता जताई है.
दरअसल, भारत में उल्लुओं के बारे में यह मिथकीय धारणा प्रचलित है कि यदि दीपावली के मौके पर इस पक्षी की बलि दी जाए तो धन संपदा में वृद्धि होती है. ऐसे में कई लोग इस पावन पर्व पर अपने स्वार्थ के लिए उल्लुओं की बलि देते हैं, जिसके कारण हर साल काफी संख्या में इस परिंदे को जान से हाथ धोना पड़ता है. डब्ल्यूडब्ल्यूएफ भारत के एक नये लेख में कहा गया है ‘भारत में उल्लू की 36 प्रजातियां पायी जाती हैं और इन सभी को भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत शिकार कारोबार या किसी प्रकार के उत्पीड़न से संरक्षण प्राप्त है.
उल्लू की 16 प्रजाति की हो रही तस्करी
लेख में कहा गया है कि कानूनी संरक्षण के बावजूद आमतौर पर यह पाया गया है कि उल्लू की कम से कम 16 प्रजातियों की अवैध तस्करी एवं कारोबार किया जा रहा है. इन प्रजातियों में खलिहानों में पाया जाने वाला उल्लू, ब्राउन फिश उल्लू, ब्राउन हॉक उल्लू, कॉलर वाला उल्लू, काला उल्लू, पूर्वी घास वाला उल्लू, जंगली उल्लू, धब्बेदार उल्लू, पूर्वी एशियाई उल्लू, चितला उल्लू आदि शामिल हैं.
अंधविश्वास में उल्लू की बलि चढ़ाने की हो चुकी कई घटनाएं
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ भारत के अनुसार प्रत्येक वर्ष इस अजीबोगरीब रिवाज के कारण ग्रामीण इलाकों एवं कस्बों में आस्था एवं अंधविश्वास के कारण उल्लू की बलि चढ़ाने की घटनाएं सामने आती हैं. उल्लू के बारे में गलत धारणा एवं जागरूकता की कमी, इसके अवैध कारोबार की पहचान एवं रोकथाम के लिए कानून अनुपालन एजेंसियों की सीमित क्षमता के कारण अवैध गतिविधियों पर रोक लगाना चुनौतीपूर्ण हो गया है.
उल्लू के संरक्षण के लिए डब्ल्यूडब्ल्यूएफ भारत लोगों का कर रहा जागरुक
इसमें कहा गया है कि इन कमियों को दूर करने और उल्लू के संरक्षण के लिए डब्ल्यूडब्ल्यूएफ भारत ने आम लोगों के लिए हिन्दी एवं अंग्रेजी में पोस्टर एवं आईडी कार्ड के रूप में पहचान उपकरण उपलब्ध कराये हैं. संगठन ने कहा है कि उल्लू हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का बेहद ही महत्वपूर्ण पक्षी है. जो खाद्य श्रृंखला प्रणाली के तहत जैव विविधता को संतुलित बनाए रखने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह शिकारी पक्षी कई हानिकारक कीट पतंगों एवं टिड्डों को खाकर हमारी फसलों और खाद्यान्नों की सुरक्षा करता है.
उल्लू को देवी लक्ष्मी का वाहन माना जाता है
उल्लू को देवी लक्ष्मी का वाहन कहा गया है. यही कारण है कि इसकी बलि को लेकर तंत्र क्रियाएं भी प्रचलित हैं. डब्ल्यूडब्ल्यूएफ.भारत के अनुसार, अंधविश्वास के कारण उल्लू की मांग इतनी अधिक है कि इनके भविष्य पर खतरा उत्पन्न हो गया है. इसमें कहा गया है कि ‘उल्लू के संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाना जरूरी है, क्योंकि अंधविश्वास के कारण ही इसका शिकार एवं तस्करी की जाती है. इस दीपावली पर भारत में उल्लू के बारे में ज्ञान की जीत हो.
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Tags: Deepawali 2022, New Delhi news, OwlFIRST PUBLISHED : October 24, 2022, 05:15 IST