गुजरात : पेसा एक्ट के बहाने हर दल की आदिवासी वोट बैंक पर नजर जानें आखिर क्या है यह कानून
गुजरात : पेसा एक्ट के बहाने हर दल की आदिवासी वोट बैंक पर नजर जानें आखिर क्या है यह कानून
The PESA act: ग्रामीण आदिवासी क्षेत्रों में स्वशान का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए 1996 में केंद्र सरकार ने पेसा एक्ट बनाया था. लेकिन गुजरात सहित कई राज्यों में इसे आज तक लागू नहीं किया गया. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने गुजरात चुनाव जीतने पर पेसा एक्ट को सख्ती से लागू करने की घोषणा इस कानून को एक बार फिर केंद्र में ला दिया है. आइए जानते हैं आखिर यह कानून है क्या.
नई दिल्ली. इस साल के अंत तक गुजरात में विधानसभा चुनाव होने वाला है. राज्य में पिछले तीन दशक से बीजेपी की सरकार है और इस बार वहां आम आदमी पार्टी भी मैदान में दमखम के साथ उतरना चाहती है. इसलिए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पिछले एक महीने से लगातार राज्य का दौरा कर रहे हैं. 7 अगस्त को अरविंद केजरीवाल ने छोटा उदयपुर जिले में आदिवासियों के लिए छह सूत्री गारंटी के साथ ही पेसा एक्ट को सख्ती से लागू करने की घोषणा के साथ ही इस मुद्दे को केंद्र में ला दिया है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक उन्होंने कहा, अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो गुजरात में पेसा एक्ट लागू किया जाएगा. उन्होंने यह भी वादा किया आदिवासी सलाहकार समिति का नेतृत्व मुख्यमंत्री नहीं, आदिवासी समुदाय का कोई इंसान करेगा. संविधान के भाग IX के तहत पंचायतों को अनुसूचित क्षेत्र में विस्तारित करने के लिए 1996 में पंचायत (अनुसूचित क्षेत्र में विस्तार) अधिनियम (Panchayats (Extension to the Scheduled Areas) Act) को पास किया गया था.
क्या है पेसा एक्ट
पेसा एक्ट को 1996 में लागू किया गया था. इसका पूरा नाम है- पंचायत एक्सटेंशन टू दि शेड्यूल एरियाज (The Panchayats (Extension to the Scheduled Areas) Act). इस कानून को लाने का उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्रों या आदिवासी क्षेत्रों में रह रहे लोगों के लिए ग्राम सभा के द्वारा स्वशासन को बढ़ावा देना है. यह कानून आदिवासी समुदाय को स्वशासन की खुद की प्रणाली पर आधारित शासन का अधिकार प्रदान करती है. यह एक्ट ग्राम सभा को विकास योजनाओं को मंजूरी देने और सभी सामाजिक क्षेत्रों को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अधिकार देता है. इस कानून के तहत आदिवासियों को जंगल के संसाधनों का समुचित उपभोग करने का अधिकार प्रदान करता है.
गुजरात में क्या है स्थिति
इस कानून के तहत आदिवासी इलाकों में पंचायतों के अलावा नगर पालिकाओं और सहकारी समितियों के गठन का प्रावधान है. 2017 में गुजरात ने राज्य में पेसा नियमों को अधिसूचित किया और इसे 14 जिलों के 53 आदिवासी तालुका के 2,584 ग्राम पंचायतों के तहत 4,503 ग्राम सभाओं में लागू किया. पिछले विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन सीएम विजय रूपानी ने छोटा उदयपुर में इसकी घोषणा की थी. पांच साल बाद, वर्तमान सीएम भूपेंद्र पटेल ने मंगलवार को दाहोद में एक रैली में दावा किया गया कि सभी आदिवासियों को अधिनियम के तहत कवर किया गया है और इसके प्रावधानों के तहत अधिकार दिया गया है. हालांकि, कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि अधिनियम को अक्षरश: लागू नहीं किया गया है. यही कारण है अरविंद केजरीवाल की नजर पेसा एक्ट पर है और उन्होंने घोषणा की है आप सरकार आने पर इस कानून को सख्ती से लागू किया जाएगा.
आदिवासी वोट बैंक पर नजर
आने वाले चुनाव में इस एक्ट पर सभी पार्टियों का ध्यान इसलिए गया है क्योंकि गुजरात में 10 जिले अनुसूचित क्षेत्र के तहत आते हैं जहां 8.1 प्रतिशत अनुसूचित जनजातियों की आबादी है. राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से सटे बॉर्डर इलाकों में आदिवासियों की अच्छी खासी संख्या है. राज्य में करीब 11 बड़ी जनजातियां हैं जिनमें सबसे ज्यादा भील है. राज्य की कुल जनजातीय आबादी में 48 प्रतिशत हिस्सेदारी भील की है. इसलिए सभी पार्टियों की नजर आदिवासी वोट बैंक पर है.
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Tags: Gujarat newsFIRST PUBLISHED : August 10, 2022, 07:01 IST