कोविड को लेकर रिसर्च में नया खुलासा सालों बाद मस्तिष्क की सतह पर डालता है हानिकारक प्रभाव
कोविड को लेकर रिसर्च में नया खुलासा सालों बाद मस्तिष्क की सतह पर डालता है हानिकारक प्रभाव
Research on Covid-19: कोविड के प्रभावों को लेकर लगातार रिसर्च की जा रही हैं. हाल में की गई रिसर्च के अनुसार कोविड-19 के संक्रमण के बाद ठीक हुए लोगों में कम से कम दो वर्षों तक मानसिक विकारों, मनोभ्रंश और इसी तरह की स्थितियों के उच्च जोखिम बने रहते हैं. इस रिसर्च में महामारी के मद्देनजर नजरअंदाज की गई पुरानी बीमारियों के बढ़ते बोझ को उजागर किया गया है. रिसर्च द लांसेट साइकियाट्री जर्नल में बुधवार को प्रकाशित हुई है.
हाइलाइट्सकोविड-19 से ठीक हुए लोगों में कम से कम दो वर्षों तक मानसिक विकारों और मनोभ्रंश का खतरा.रिसर्च द लांसेट साइकियाट्री जर्नल में बुधवार को प्रकाशित हुई है.रिसर्च का निष्कर्ष 1.25 मिलियन से अधिक रोगियों के रिकॉर्ड के आधार पर निकाला गया है.
नई दिल्ली. कोविड के प्रभावों को लेकर लगातार रिसर्च की जा रही हैं. हाल में की गई रिसर्च के अनुसार कोविड-19 के संक्रमण के बाद ठीक हुए लोगों में कम से कम दो वर्षों तक मानसिक विकारों, मनोभ्रंश और इसी तरह की स्थितियों के उच्च जोखिम बने रहते हैं. इस रिसर्च में महामारी के मद्देनजर नजरअंदाज की गई पुरानी बीमारियों के बढ़ते बोझ को उजागर किया गया है. रिसर्च द लांसेट साइकियाट्री जर्नल में बुधवार को प्रकाशित हुई है.
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने रिसर्च में पाया कि अन्य श्वसन संक्रमणों की तुलना में कोविड के बाद चिंता और अवसाद अधिक बार होता है. अन्य संक्रमणों में जोखिम आमतौर पर दो महीने के भीतर कम हो जाता है. लेकिन कोविड संक्रमण के बाद लोगों में ब्रेन फॉग, मिर्गी, दौरे और अन्य दीर्घकालिक मानसिक और मस्तिष्क स्वास्थ्य विकार 24 महीने बाद भी बढ़े हुए हैं.
रिसर्च का निष्कर्ष 1.25 मिलियन से अधिक रोगियों के रिकॉर्ड के आधार पर
रिसर्च का निष्कर्ष 1.25 मिलियन से अधिक रोगियों के रिकॉर्ड के आधार पर निकाला गया है. रिसर्च केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को गहरा नुकसान पहुंचाने और मनोभ्रंश के बोझ को बढ़ाने के लिए वायरस की क्षमता के प्रमाण को जोड़ता है. इससे पहले ऑक्सफोर्ड के शोधकर्ताओं ने मार्च में बताया था कि एक मामूली मामला भी मस्तिष्क के सिकुड़न से जुड़ा होता है, जो सामान्य उम्र बढ़ने के एक दशक के बराबर होता है.
मनोचिकित्सा के प्रोफेसर और रिसर्च के प्रमुख लेखक पॉल हैरिसन ने एक बयान में कहा कि रिसर्च के परिणाम रोगियों और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं. क्योंकि इससे पता चलता है कि कोविड-19 संक्रमण से जुड़ी न्यूरोलॉजिकल स्थितियों के नए मामले महामारी के कम होने के बाद काफी समय तक होने की आशंका है. ऐसा क्यों होता है, यह समझने के लिए यह और अधिक रिसर्च की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है. इसके साथ ही रिसर्च यह भी रेखांकित करती है कि इन स्थितियों को रोकने और उनका इलाज करने के लिए क्या किया जा सकता है.
रिसर्च में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक की जानकारी शामिल
रिसर्च में ट्राईनेटएक्स इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड नेटवर्क से 14 न्यूरोलॉजिकल और मनोरोग निदान पर डेटा का विश्लेषण किया गया है. जिसमें बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक लगभग 89 मिलियन रोगियों की जानकारी शामिल थी. दो साल की रिसर्च अवधि के दौरान एक पुष्टि किए गए कोविड निदान वाले 1.28 मिलियन लोगों को एक अन्य श्वसन संक्रमण वाले रोगियों की समान संख्या से मिलाया गया, जो एक कंट्रोल ग्रुप के रूप में था.
रिसर्च में पाया गया कि वयस्कों की तुलना में बच्चों में कोविड के बाद अधिकांश न्यूरोलॉजिकल और मनोरोग निदान की संभावना कम थी. वयस्कों के विपरीत, वे मनोदशा या चिंता विकारों के बढ़ते जोखिम में नहीं थे. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के जोनाथन रोजर्स और ग्लिन लुईस ने एक बड़े डेटासेट में कोविड के कुछ असमान और सुस्त न्यूरोलॉजिकल और मनोरोग परिणामों की जांच करने का पहला प्रयास किया है.
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Tags: Lancet, Research on coronaFIRST PUBLISHED : August 18, 2022, 11:46 IST