जहां खत्म होती है सूर्य की सरहद वहां सबसे रहस्यमयी जगह बर्फ अंधेरा और गोल्ड

Most Mysterious Place Of Space : जहां सूर्य का आखिरी ग्रह नेपच्यून है, उसके बाद इस सौरमंडल की सरहद खत्म बताई जाती है. लेकिन वहीं सबसे रहस्यमयी इलाका है, वहां केवल बर्फ और अंधेरा है. सोना और कीमती धातुएं हैं तो आक्सीजन और कार्बनिक तत्वों का भंडार भी.

जहां खत्म होती है सूर्य की सरहद वहां सबसे रहस्यमयी जगह बर्फ अंधेरा और गोल्ड
हाइलाइट्स यहां केवल बर्फ है, जहां दो तरह की ताकत काम करती है एक ताकत बाहर से चीजों को सूर्य की ओर धकेलती और दूसरी सूर्य की ताकत इसे अंतरिक्ष की सबसे रहस्यमयी जगह माना जाता है, जिसमें बहुत कुछ है - क्षुद्र ग्रह, पानी, धातु, ऑक्सीजन, फिलहाल जीवन नहीं यहां हमेशा अंधेरा रहता है, बहुत पता भी नहीं लगा है लिहाजा अभी इस क्षेत्र के बारे में बहुत कुछ जानने की जरूरत जहां सूर्य के 09 ग्रह खत्म हो जाते हैं यानि सूर्य के सौरमंडल की सरहद को खत्म मान लिया जाता है, वहां लाखों बर्फीले पिंडों बहुत चौड़ी गोल पट्टी है. इसे अंतरिक्ष की रहस्यमयी जगह माना जाता है. इसका सबसे बड़ा रहस्य यहां कैसे बर्फ के बौने लाखों पिंड हैं. यहां ऑक्सीजन है. यहां जीवन पनप सकता है. यहां बहुत बड़े पैमाने पर सोना हो सकता है. यहां जो कुछ भी पहुंचता वो बर्फ में बदल जाता है. अंतरिक्ष के जो बड़े रहस्य माने जाते हैं, उसमें कुइपर बेल्ट एक है. इसके बारे में जो कुछ पता लगता जा रहा है, वो इसके रहस्य को और बढ़ाता जा रहा है. – कुइपर बेल्ट में बड़ी मात्रा में सोना हो सकता है – कुछ लोगों का अनुमान है कि बेल्ट की कीमत खरबों डॉलर है – यहां का तापमान हमेशा -250 डिग्री से ज्यादा होता है – इस पट्टी पर हमेशा बर्फ के असंख्य टुकड़े जुड़ते जा रहे हैं – यहां ऑक्सीजन है, कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि यहां जीवन हो सकता है – यहां चट्टानें हैं और धातु भी, पानी, अमोनिया और मीथेन जैसे जमे हुए वाष्पशील पदार्थ भी – इसकी खोज अभी शुरू ही हुई है.वैज्ञानिक कुइपर बेल्ट में बर्फीले संसार को कुइपर बेल्ट ऑब्जेक्ट (केबीओ) या ट्रांस-नेप्च्यूनियन ऑब्जेक्ट (टीएनओ) कहते हैं सबसे रहस्यमय जगह कुइपर बेल्ट सबसे रहस्यमयी जगह है क्योंकि यहां कभी दिन नहीं होता, हमेशा अंधेरा रहता है और बहुत ज्यादा ठंडा भी. माना जाता है कि जब सौरमंडल बन रहा था तो उसके बनने के बाद जो टूट-फुट हुई, वो सब यहां पहुंच गया. यहां अलग तरह की ताकत काम करती है माना जाता है कि वहां एक अलग तरह की ताकत काम करती है, जिसमें वहां घूम रहे बर्फीले आब्जेक्ट्स को चारों ओर से धकेला जाता है और फिर सूर्य और उसके बीच की ताकत उसे वलय में बदलती रही है. ये भी माना जाता है कि इस पट्टी में पृथ्वी सरीखे ग्रह भी शामिल हो सकते हैं. अब तक के अध्ययन ये भी कहते हैं कि जो धूमकेतु सौरमंडल में आते हैं और वहां से निकल जाते हैं, उनकी उत्पत्ति यहीं से होती है. अब तक केवल एक अंतरिक्ष यान कुइपर बेल्ट तक पहुंच पाया है, वो है नासा का न्यू होराइजन्स, जिसने 2015 में प्लूटो और 2019 में अरोकोथ से उड़ान भरी थी. यहां हजारों वस्तुएं, जिन्हें नहीं खोजा जा सका कुइपर बेल्ट बर्फीले पिंडों का एक डोनट के आकार का क्षेत्र है जो नेप्च्यून की कक्षा से परे सूर्य की परिक्रमा करता है. कुइपर बेल्ट का नाम डच-अमेरिकी खगोलशास्त्री जेरार्ड कुइपर के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने 1951 में प्लूटो से परे वस्तुओं के बारे में अनुमान लगाते हुए एक पेपर प्रकाशित किया. यहां 3100 अधिक समान वस्तुएं खोजी जा चुकी हैं. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यहां 20 मील से अधिक बड़ी सैकड़ों हजारों वस्तुएं हैं जो अभी भी नहीं मिली हैं. यहां चीजें आपस में टकराती हैं कुइपर बेल्ट धीरे-धीरे ख़त्म भी हो रही है. वहां मौजूद वस्तुएं कभी-कभी टकराती हैं. यहां से धूल भी निकलती है जो सौर हवा द्वारा सौर मंडल से बाहर निकलती है. कितना रहता है तापमान कुइपर बेल्ट का औसत सतह तापमान लगभग -390 °F (-235 °C) या 50 केल्विन (-223 °C या -370 °F) है , जो इसे अंतरिक्ष के सबसे ठंडे क्षेत्रों में एक बनाता है. इस क्षेत्र में कई पदार्थ जो पृथ्वी पर सामान्य तौर पर गैस हैं यहां बर्फ के रूप में मौजूद हैं. यहां कई क्षुद्रग्रह और उनमें सोना कुइपर बेल्ट में कई धात्विक क्षुद्रग्रह हैं, जिनमें प्रचुर मात्रा में धातुएं हैं. इनमें प्रचुर मात्रा में सोना भी है. हालांकि खनन और अन्वेषण की उच्च लागत के कारण अंतरिक्ष से सोना निकालना वर्तमान में आर्थिक रूप से संभव नहीं है. क्या यहां जीवन पनप सकता है वैज्ञानिकों का अनुमान है कि कुइपर बेल्ट में कुछ ऐसी स्थितियां हो सकती हैं जो जीवन का समर्थन करती हैं, लेकिन इसका समर्थन करने के कोई सबूत नहीं हैं. दरअसल कुइपर बेल्ट में वस्तुओं की सतह के नीचे दबे हुए कार्बनिक अणु होने का संकेत है. जीवन के लिए बुनियादी काम वहीं से शुरू होता है.हालांकि नासा के भौतिक विज्ञानी जॉन कूपर का कहना है कि इसका मतलब ये नहीं है कि कुइपर बेल्ट में जीवन है या हो सकता है. कुछ वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि कुइपर बेल्ट में जमे हुए संसार में गर्म कोर हो सकते हैं जो उनकी बर्फीली सतहों के नीचे तरल पानी की उपस्थिति का संकेत देते हैं. अनुमान ये भी है कुइपर बेल्ट की वस्तुओं में तरल महासागर भी हो सकते हैं.इससे वैकल्पिक जैव रसायन के साथ जीवन रूपों का विकास हो सकता है. FIRST PUBLISHED : May 7, 2024, 13:11 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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