धान की फसल को बर्बाद कर देता है पत्ती लपेटक कीट एक्सपर्ट से जानिए बचाव

धान की फसल में पत्ती लपेटक कीट धान की फसल में लगने वाले प्रमुख कीटों में से एक है. जो धान के पौधे की पत्ती को लपेटकर धीरे-धीरे सुख देता है. जिससे पौधे की ग्रोथ कम हो जाती है.और तना सूखने लगता है. 

धान की फसल को बर्बाद कर देता है पत्ती लपेटक कीट एक्सपर्ट से जानिए बचाव
सौरभ वर्मा/ रायबरेली:  धान की रोपाई के बाद किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण चरण पूरा हो गया है.अब खेतों में धान की देखभाल और फसल की वृद्धि की प्रक्रिया शुरू होती है. ऐसे में किसानों को नियमित रूप से खेतों की निगरानी करनी होगी, ताकि जलवायु और कीटों से फसल को बचाया जा सके.साथ ही उचित खाद और पानी की मात्रा देने से फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में वृद्धि होगी. परंतु धान की फसल में रोग एवं कीट लगने का खतरा ज्यादा रहता है. जिसमें प्रमुख रूप से पत्ती लपेटक कीट का खतरा ज्यादा रहता है. यह पौधे की पत्तियों को लपेटकर अंदर ही अंदर नुकसान पहुंचता है. जिससे फसल खराब हो जाती है. तो आइए कृषि विशेषज्ञ से जानते हैं इस कीट से अपनी फसल का कैसे बचाव किया जा सकता है? कृषि के क्षेत्र में 10 सालों का अनुभव रखने वाले रायबरेली जिले के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के प्रभारी अधिकारी कृषि शिव शंकर वर्मा बताते हैं कि धान की फसल में पत्ती लपेटक कीट धान की फसल में लगने वाले प्रमुख कीटों में से एक है, जो धान के पौधे की पत्ती को लपेटकर धीरे-धीरे सूखा देता है. जिससे पौधे की ग्रोथ कम हो जाती है और तना सूखने लगता है. यह हैं लक्षण  लोकल 18 से बात करते हुए शिवशंकर वर्मा बताते हैं कि धान की फसल पत्ती लपेटक कीट लगने के प्रमुख लक्षण ये हैं. पत्तियों का मुड़ना: यह कीट पत्तियों को रोल कर देते हैं. और भीतर अंडे देते हैं. जाल बनाना: कीट पत्तियों के भीतर जाल बना सकते हैं. पत्तियों का नुकसान: पत्तियाँ पीली या भूरे रंग की हो सकती हैं. उनमें छिद्र भी हो सकते हैं. कीटों की उपस्थिति: पत्तियों के भीतर छोटे-छोटे कीट दिखाई दे सकते हैं. फसल की गिरावट: पत्ती की क्षति के कारण पौधे की वृद्धि और उपज में कमी आ सकती है. ऐसे करें बचाव  प्राकृतिक शत्रु: ट्राइकोग्रामा जैसे जैविक एजेंट का प्रयोग करें .जो पत्ती लपेटक के अंडों को नष्ट करते हैं. फेरोमोन ट्रैप: फेरोमोन ट्रैप का उपयोग करके कीड़ों को आकर्षित करके पकड़ें. रासायनिक नियंत्रण कीटनाशक का छिड़काव: इमिडाक्लोप्रिड, कार्बारिल, या फिप्रोनिल जैसे कीटनाशकों का सही मात्रा में उपयोग करें. सुरक्षित छिड़काव: कीटनाशकों का छिड़काव सुबह या शाम के समय करें जब कीड़े अधिक सक्रिय होते हैं. सांस्कृतिक नियंत्रण सफाई: खेत के किनारों और जल नालियों को साफ रखें.ताकि कीड़ों के छिपने की जगह न मिले. प्रकाश का प्रबंधन: रात में खेत में प्रकाश स्रोतों को सीमित करें जिससे कीट आकर्षित नहीं होंगे. संतुलित खाद और पानी:संतुलित खाद: नाइट्रोजन की मात्रा को संतुलित रखें. क्योंकि अधिक नाइट्रोजन पत्ती लपेटक को आकर्षित कर सकता है. पानी का प्रबंधन: खेत में जलभराव को नियंत्रित रखें. निरंतर निगरानी:नियमित रूप से खेत की निगरानी करें. और जैसे ही लक्षण दिखाई दें, तुरंत उपचार शुरू करें. Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : August 1, 2024, 10:05 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed