अब मौसम की नो टेंशन इस नई प्रजाति के धान-गेहूं से होगा जबरदस्त मुनाफा

शुअट्स कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉक्टर सैमुअल दीपक कार्टी अपने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश के किसानों को केंद्र में रखते हुए यहां के मौसम के अनुरूप धान की सुहानी 7 और गेहूं की एआई डब्लू-52 की नई प्रजाति विकसित की गई. इसको लखनऊ कृषि विभाग से मान्यता भी मिल गई है.

अब मौसम की नो टेंशन इस नई प्रजाति के धान-गेहूं से होगा जबरदस्त मुनाफा
रजनीश यादव /प्रयागराज: उत्तर प्रदेश में जहां गर्मियों में लगभग 50 डिग्री सेल्सियस तक तापमान पहुंच जाता है. तो वहीं सर्दियों में यहां का तापमान न्यूनतम 5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. ऐसे में उत्तर प्रदेश के धान एवं गेहूं की फसलों पर मौसम का विपरीत असर पड़ता है. और अनाज के उत्पादन में कमी देखने को मिलती है. इस कमी को दूर करने के लिए प्रयागराज में स्थित सैम हीबटन कृषि विश्वविद्यालय नैनी के वैज्ञानिकों ने धान एवं गेहूं की एक विशेष प्रजाति की खोज की है, जो हर मौसम में लड़कर किसानों के लिए दोगुना फसल उत्पादन करेगी. शुअट्स कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉक्टर सैमुअल दीपक कार्टी अपने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश के किसानों को केंद्र में रखते हुए यहां के मौसम के अनुरूप धान और गेहूं के पैदावार को बढ़ाने के लिए नई प्रजाति की खोज की गई है. प्रयागराज का गर्मियों में तापमान 49 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है, तो वहीं सर्दियों में तीन डिग्री तक पर लुढ़क जाता है. इससे धान एवं गेहूं की खेती पर मौसम का विपरीत असर देखने को मिलता है और पैदावार में कमी हो जाती है. इसको देखते हुए धान की सुहानी 7 और गेहूं की एआई डब्लू-52 की नई प्रजाति विकसित की गई, जिसको लखनऊ कृषि विभाग से मान्यता भी मिल गई है. अब उत्तर प्रदेश व प्रयागराज में किसान इस नई प्रजाति की बुवाई कर अपने खेतों में पैदावार बढ़ा सकते हैं. इतना होगा उत्पादन वैज्ञानिक ने बताया कि जहां परंपरागत गेहूं की फसल 115 से 130 दिनों में तैयार होती हैं, तो वहीं यह फसल 110 दिन में ही तैयार हो जाएगी. इससे लेट बुवाई करने के बाद भी पैदावार में कमी नहीं होगी. सुहानी 7 धान का भी पैदावार का समय परंपरागत स्थान की खेती से 20 दिन पहले है. एक हेक्टेयर में धान का उत्पादन 44 कुंतल जबकि गेहूं का उत्पादन लगभग 30 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक होगा, जो अन्य फसलों से डेढ़ गुना से भी ज्यादा है. इस नई प्रजाति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि तेज हवा में यह फसलें खड़ी रहेगी. इस फसल की औसत ऊंचाई 90 सेंटीमीटर होती है. जबकि धान की ऊंचाई 85 से 90 सेंटीमीटर के बीच होती है. इस पर तेज हवाओं का असर कम होगा. इस प्रकार जहां या फसलें विपरीत मौसम में भी दोगुना पैदावार करेंगे, तो वहीं कम समय में ही बेहतरीन उत्पादक किसानों को मिलेगा. इस वर्ष से उत्तर प्रदेश में इसका बीज किसानों के लिए उपलब्ध रहेगा. इस बीज को केंद्र से प्रमाणीकरण के लिए भेज दिया गया है. Tags: Agricultural Science, Agriculture, Kisan, Local18, Prayagraj NewsFIRST PUBLISHED : August 11, 2024, 13:39 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed