गिरिराज सिंह का नीतीश कुमार पर बड़ा हमला कहा-अमरबेल हैं वे तेजस्वी को बतया असली सीएम पढ़ें पूरा इंटरव्यू
गिरिराज सिंह का नीतीश कुमार पर बड़ा हमला कहा-अमरबेल हैं वे तेजस्वी को बतया असली सीएम पढ़ें पूरा इंटरव्यू
Giriraj Singh attack on Nitish Kumar: भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बड़ा हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि नीतीश कुमार ऐसे अमरबेल हैं जो कभी भी अपने बल बूते आगे नहीं बढ़ते बल्कि हमेशा दूसरों पर उगते हैं और उसपर छा जाते हैं. उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी जनता के दिलों पर राज करते हैं और यही बिहार में जीत की हमारी कुंजी होगी. गिरिराज सिंह ने कहा कि बिहार में असली सीएम तेजस्वी यादव ही होंगे.
नई दिल्ली. भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने न्यूज 18 से खास बातचीत में बताया कि तेजस्वी यादव जदयू-राजद-कांग्रेस गठबंधन सरकार में बिहार के असली मुख्यमंत्री होंगे. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षा विपक्ष के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनने की है. मंगलवार को दिल्ली में एक विस्तृत इंटरव्यू में गिरिराज सिंह ने नीतीश कुमार को ऐसा अमरबेल और अजूबा मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री करार दिया, जो हमेशा दूसरों का इस्तेमाल कर आगे बढ़े हैं और कभी भी अपने बलबूते चुनाव नहीं लड़ा है और न ही जीता है. बेगूसराय के सांसद गिरिराज सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि नई सरकार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया जैसे संगठनों को शरण देगी. उन्होंने दावा किया कि ऐसे तत्वों के लिए नीतीश सॉफ्ट कॉर्नर रखते हैं जबकि लालू प्रसाद सुपर-सॉफ्ट कॉर्नर रखते हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी इसका विरोध करेगी. यहां पढ़िए न्यूज 18 को दिए उनका इंटरव्यू-
नई सरकार में राजद को 16 मंत्री बने हैं, जो सबसे ज्यादा हैं. तो क्या सीएम नीतीश कुमार अभी भी सब कुछ होंगे?
आपने जो सवाल पूछा है उसके लिए मैं यही कहूंगा कि मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है. कौन मुख्यमंत्री है? और कौन डिप्टी सीएम – बिहार की जनता सब जानती हैं. असली मुख्यमंत्री तो तेजस्वी ही होंगे…पता चलेगा.
जदयू का कहना है कि उसने बीजेपी के साथ इसलिए गठबंधन तोड़ दिया क्योंकि आपकी पार्टी आरसीपी सिंह का इस्तेमाल करके उनकी पार्टी में फूट पैदा कर रही थी. आरसीपी को नीतीश की इच्छा के खिलाफ केंद्रीय मंत्री बनाया गया था.
नीतीश कुमार बताएं कि गठबंधन टूटा तो क्यों टूटा. इस तरह के आरोप निराधार हैं. कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना. नीतीश बताएं कि उन्होंने कभी प्रधानमंत्री या गृह मंत्री को पत्र लिखा था कि उनकी मंजूरी के बिना आरसीपी सिंह केंद्रीय मंत्री बन गए? यह संभव ही नहीं है. जब लोग कहते हैं कि हम आरसीपी सिंह के जरिए जदयू को तोड़ देंगे तो मैं पूछूना चाहूंगा कि जदयू को क्यों तोड़ना है? जब हमने नीतीश को सीएम बनाया था तब वे 43 सीटों पर थे और 74 साल के थे, तो उनकी पार्टी को तोड़कर हमने क्या हासिल होता? अगर हमें जदयू को तोड़ना होता तो 2020 में ही हम उनके साथ सरकार ही नहीं बनाते. बच्चों जैसी बातें क्यों करते हैं. यह सब छवि बचाने का प्रयास है क्योंकि उनके पास कोई शब्द नहीं है. इसलिए मैं कहता हूं-कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना.
आपका इशारा किस तरफ है? नीतीश कुमार विपक्ष की पीएम उम्मीदवार बनना चाहते हैं. जब वे यह कहते हैं कि ”2014 वाले 2024 में रहेंगे या नहीं” तो एक तरह से वे यह शुरू कर चुके हैं. वे अब खुद कह रहे हैं कि उनके पास कई फोन आ रहे हैं. नाचना है तो घूंघट कैसा, अब पर्दा खुल रहा है. बात असली यही थी. इसलिए उन्होंने गठबंधन तोड़ा और छवि बचाने के लिए एक कारण की जरूरत थी.
केंद्र ने हाल ही में बिहार में PFI लिंक का भी खुलासा किया है. क्या यह भी नीतीश कुमार के इस कदम की वजह थी?
नीतीश कुमार की पार्टी ने कहा है कि उन्होंने सांप्रदायिक विद्वेष और तनाव फैलाने के कारण गठबंधन तोड़ा है. 2013 में जब वे मुख्यमंत्री थे तब नरेंद्र मोदी को मारने की कोशिश में पटना में एक सीरियल ब्लास्ट हुआ था. एजेंसियों को बिहार के 13 जिलों में पीएफआई का नेटवर्क मिला है. ये स्लीपर लगता है आतंकवाद का बिहार बन रहा है (बिहार स्लीपर सेल और आतंक के ठिकानों वाला राज्य बनता जा रहा है). यह सरकार पीएफआई को पनाह देगी. नीतीश के लिए यह वोट बैंक है. हम राजनीति में पीएफआई के इस तरह के प्रभाव के खिलाफ लड़ते रहेंगे. वह बिहार को क्या बनाना चाहते हैं? जब लालू और नीतीश साथ में थे तब उन्होंने राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाया था. बिहार में शुक्रवार को 500 स्कूल बंद होते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि नीतीश कुमार सॉफ्ट कॉर्नर रखते थे जबकि लालू प्रसाद सुपर सॉफ्ट कॉर्नर रखते थे. इसका मतलब है कि बिहार में केंद्र का एक कानून नहीं बल्कि यहां एक शरिया या सांप्रदायिक कानून चल रहा था.
नीतीश कुमार ने कहा है कि वह तेजस्वी यादव के 10 लाख नौकरी देने के वादे का सम्मान करेंगे…
नीतीश के नए शब्द अब सामने आ रहे हैं. उन्होंने पहले कहा था कि पैसा कहां से आएगा. क्या जेल से? अब पैसा कहां से आएंगे? मैं नीतीश कुमार से अपील करूंगा कि वे इस कवायद का खाका सार्वजनिक करें और योजना बनाएं और हर तिमाही में कितनी नौकरियां दी गई हैं, इसकी उपलब्धि बताएं. यह लुका-छिपी का खेल नहीं हो सकता. नीतीश बाबू एक अच्छे इंसान हैं. बिहार में श्री कृष्ण सिन्हा के बाद शायद नीतीश सबसे लंबे कार्यकाल तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे. लेकिन वे एक ऐसे सीएम हैं जो अपने दम पर न कभी सरकार बना सकते हैं और न ही चला सकते हैं. ये अमरबेल हैं, अमरलता हैं जो दूसरों पर उगते हैं और फिर उन पर छा जाते हैं. वह देश के अजूबा सीएम हैं जो अपने बल पर कभी खड़े नहीं हो पाए. हम प्रतिबद्धता की राजनीति करते हैं, हमने नीतीश कुमार को अपना नेता माना और इसलिए हमने उनके हाथों में सत्ता दी थी.
पिछली बार जब बीजेपी ने 2015 में बिहार में अपने दम पर चुनाव लड़ा था, तो वह जदयू-राजद-कांग्रेस गठबंधन से हार गई थी. क्या 2025 में चीजें अलग हो सकती हैं?
तब से अब मुद्दे बदल गए हैं और वोट शेयर के प्रतिशत में अब ज्यादा अंतर नहीं है. आज नीतीश जिनके साथ खड़े हैं उनके वंशवाद और शक्ति प्रदर्शन को लेकर बहस होगी. 2014 में, जब मोदी पीएम का चेहरा थे, तब लोगों ने राज्यों में कुछ गणना की थी, लेकिन वह विफल रही. वोट किसी पार्टी का नहीं जनता का होता है. जनता गुलाम नहीं है जो किसी पार्टी के साथ चली जाए. किसी को भी इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि यह मेरा समीकरण है, के द्वारा समीकरण है, TY समीकरण है… यह काम नहीं करता है. मोदी सबके दिलों में रहते हैं. वे (विपक्ष) सबसे ज्यादा इसलिए परेशान हैं क्योंकि मोदी एक पिछड़े गरीब समुदाय से हैं और गरीबों के लिए जीते हैं और गरीबों के लिए काम करते हैं. वे इसलिए काम कर रहे हैं कि क्योंकि मोदी का नाश कैसे करें. मोदी के खिलाफ पार्टियों का जमघट हो सकता है लेकिन वे जनता के दिलों पर राज कर रहे हैं. यही बिहार में हमारी जीत की कुंजी होगी.
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Tags: Bihar News, Giriraj singh, Nitish kumar, बिहारFIRST PUBLISHED : August 17, 2022, 08:30 IST