कोई नहीं बताएगा खीरे से डबल कमाई का ये सीक्रेट फॉर्मूला 6 महीने तक गिनते
कोई नहीं बताएगा खीरे से डबल कमाई का ये सीक्रेट फॉर्मूला 6 महीने तक गिनते
Cucumber cultivating: गर्मियों में खीरा देखते ही लोगों को तरावट का एहसास होने लगता है. लोग सलाद में भी खीरा खाना खूब पसंद करते हैं. इससे खीरे की डिमांड बनी ही रहती है. इसकी खेती से पहले तो आप हरा खीरा बेचकर पैसे कमा सकते हैं और दूसरा खीरा पकने के बाद.....
सत्यम कटियार/फर्रुखाबाद: महंगाई के दौर में किसान अधिक लागत के चलते कई फसल नहीं उगा पाते हैं. अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि किसान परंपरागत खेती से हटकर आधुनिक तरीके की खेती की तरफ बढ़ रहे हैं. इससे उन्हें अच्छी कमाई हो जाती है. कई लोग अनाज की जगह सब्जियों और फूल आदि की खेती कर फसलों के मुकाबले ज्यादा कमाई करते हैं. ऐसे ही एक किसान फर्रुखाबाद के हैं जो कई वर्षों से खीरे की फसल उगाकर इसका उत्पादन कर रहे हैं. वह बताते हैं कि खीरे की फसल तैयार करने में कोई अतिरिक्त लागत नहीं आती है.
उन्होंने बताया कि मात्र एक बार खीरे के बीज की बुआई खेत में होती है और फिर लगातार 6 महीने तक उससे कमाई होती है. उनके मुताबिक, दूसरी फसलों की अपेक्षा इसकी खेती से वह अच्छा लाभ भी कमा रहे हैं. इसमें लागत भी कम आती है. यही वजह है कि अब जिले के किसान हाइड्रोपोनिक फार्मिंग करके सब्जी और फलों की खेती कर तगड़ी कमाई कर रहे हैं. कुछ किसान पाली हाउस और शेडनेट के जरिए भी सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं.
दो तरह से कर रहे हैं कमाई
फर्रुखाबाद के नगला चाहर निवासी किसान जबर सिंह बताते हैं कि वह बचपन से ही सब्जियों की खेती करते आ रहे हैं और अच्छी कमाई करते हैं. किसान का कहना है कि इस फसल से उन्हें आज तक कभी नुकसान नहीं हुआ बल्कि रोजाना की होने वाली बिक्री से उन्हें नगदी रुपए भी मिलते हैं. किसान ने बताया कि आमतौर पर प्रति बीघा दो से तीन हजार रुपए की लागत आती है. एक बार फसल तैयार होने के बाद पहले हरे खीरे की बिक्री होती है और फिर खीरा पकने के बाद उसके बीजों की बिक्री से भी कमाई होती है.
किसान जबर सिंह ने बताया कि बाजार में हरे खीरे की डिमांड बनी रहती है. हरे खीरे का सीजन जाने के बाद जब खीरे बड़े हो जाते हैं तो काफी खीरे पेड़ में ही पकने लगते हैं. पके खीरों से निकलने वाले बीजों को वह बाजार और अन्य मंडियों में प्रति किलो के हिसाब से बेचते हैं. इससे उन्हें एक बीघा में चालीस से पचास हजार रूपए का मुनाफा हो जाता है.
खर्चों से छुटकारा दिलाती है जैविक खाद
किसान जबर सिंह बताते हैं कि वह जब से खीरे की खेती कर रहे हैं तब से उन्हें अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती. यह फसल तीन से चार महीने में उपज देने लगती है. उन्होंने बताया कि गर्मी में तो वह शाम को ही खेत से खीरे तोड़ लेते हैं और सुबह बाजार में बेच देते हैं. इससे उन्हें मजदूर भी नहीं लगाने पड़ते और बिक्री भी अच्छी होती है.
खीरे की खेती का तरीका
किसान जबर सिंह ने बताया कि वह सबसे पहले खेत को अच्छे से समतल करके इसमें क्यारियां बनाते हैं. इसके बाद पहले से तैयार खीरे के बीजों या पौधों को प्रति एक मीटर पर दो पौधों को रोप देते हैं. समय से इसमें सिंचाई करते हैं. जब खीरा तैयार हो जाता है तो मंडी में इनको बेच दिया जाता है. पके खीरे के बीजों को सुखाकर सफाई के साथ अच्छे से पैक करके मंडी में प्रति किलो की दर से बेच देते हैं.
Tags: Local18FIRST PUBLISHED : July 7, 2024, 20:16 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed