किसानों के बड़े काम आएगा ये AI रोबोट कर देगा सबसे मुश्किल काम जानें कीमत

डिवीजन आफ एग्रीकल्‍चर रिसर्च के साइंटिस्‍ट डा. दिलीप कुमार कुशवाहा बताते हैं कि किसानों के स्‍वास्‍थ्‍य को ध्‍यान में रखते हुए एआई तकनीक से पोलीहाउस के अंदर चलने वाला रोबोट तैयार किया है.

किसानों के बड़े काम आएगा ये AI रोबोट कर देगा सबसे मुश्किल काम जानें कीमत
नई दिल्‍ली. पोलीहाउस में फसल करने वाले किसानों के लिए बहुत ही उपयोगी खबर हो सकती है. फसल में कीटनाशकों का छिड़काव बाहर से किया जा सकेगा. यानी अब चारों तरफ से बंद पोली हाउस में दवा छिड़काव के लिए जाने की जरूरत नहीं होगी. इंडियन एग्रीकल्‍चर रिसर्च इंस्‍टीट्यूट (आईएआरआई) के डिवीजन ऑफ एग्रीकल्‍चर रिसर्च किसानों के स्‍वास्‍थ्‍य को ध्‍यान में रखते हुए एआई तकनीक से पोलीहाउस के अंदर चलने वाला रोबोट तैयार किया है. डिवीजन आफ एग्रीकल्‍चर रिसर्च के साइंटिस्‍ट डा. दिलीप कुमार कुशवाहा बताते हैं कि खुली फसल में कीटनाशकों के छिड़काव का असर किसानों के स्‍वास्‍थ्‍य पर पड़ने की आशंका रहती है, चूंकि पोलीहाउस बंद होता है. इसमें दवा छिड़काव के दौरान ज्‍यादा खतरे की आशंका रहती है. इसी को ध्‍यान में रखते हुए, डिवीजन के पीएचडी स्‍टूडेंट मुडे अर्जुन नाइक और प्रिंसिपल साइंटिस्‍ट डा. आदर्श कुमार के साथ मिलकर एआई रोबोट तैयार किया है. इसका नाम टेलेरोबोटिक टारगेट स्‍पेसिफिक सेलेक्टिव प्रेस्‍टीसाइड अप्‍लीकेटर दिया गया है. जानें खासियत इसमें किसी तरह का ईंधन का इस्‍तेमाल नहीं होता है. ये बैटरी से चलता है. आटोमैटिकट मशीन होने की वजह से स्‍प्रे करते समय किसान कीटनाशक के संपर्क में आने से बचेगा. अन्‍य पारंपरिक कीटनाशक स्‍प्रे की तुलना में इससे 50 से 55 फीसदी लागत कम आएगी. इस तरह करेगा काम रोबोट के साथ रिमोट होता है. किसान या ऑपरेटर रिमोट से इसे चलाएगा और होलीहाउस के अंदर भेजेगा. रिमोट में स्‍क्रीन और रोबोट में कैमरा लगा है. इससे आप बाहर से ही मोनिटर कर सकेंगे. रोबोट में कीटनाशक भरा होगा. इसमें कई सेंशर लगे हैं, जिसकी मदद से यह पहचान सकेगा कि सामने पेड़, पौधा या बेल लगी है या नहीं. उसी के अनुसार छिड़काव करेगा. अन्‍य फसलों के साथ टमाटर,खीरा और करेला में कीटनाशक के छिड़काव में उपयोगी साबित होगा. कीमत होगी और कम साइंटिस्‍ट डा. दिलीप कुमार कुशवाहा ने बताया कि अभी इसे बनाने में करीब एक लाख रुपये खर्च हुए हैं. लेकिन बल्‍क में इसके निर्माण में लागत और कम हो जाएगी. जिससे छोटे से छोटा किसान भी इसे खरीद सकेगा. Tags: Agriculture, India agricultureFIRST PUBLISHED : August 6, 2024, 12:00 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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