जोरावर से बचके रहनापहाड़ों पर चीते सी तेजी वजन उड़ा देगा होश

खासबात तो ये है कि महज 2 से ढाई साल के अंदर ही ज़ोरावर का डिज़ाइन भी तैयार हो चुका है और प्रोटोटाइप भी आ गया है. DRDO और L&T मिलकर इस प्रोजेक्ट को तैयार कर रहे हैं. DRDO चेयरमैन  ने गुजरात के हज़िरा में डेवलप हो रहे इस प्रोजेक्ट को देखा और इसकी पहली झलक भी दिखाई.

जोरावर से बचके रहनापहाड़ों पर चीते सी तेजी वजन उड़ा देगा होश
नई दिल्‍ली. साल 2020 में पैंगाग के दक्षिणी छोर पर चीन के टैंकों के सामने जब भारतीय T-72 और T-90 टैंकों ने मोर्चा संभाला तो चीन को उल्टे पैर अपने टैंकों को वापस ले जाना पड़ा था. चीन के साथ भविष्य के तनातनी की संभावनाओं के मद्देनजर भारतीय सेना ने भी हाई ऑलटेट्यूड एरिया में अपनी ताकत को दोगुना करने के लिए “प्रोजेक्ट ज़ोरावर” बना लिया. ज़ोरावर नाम सुनकर उस महान सेनापति का नाम मन में आ जाता है जिसने लद्दाख, तिब्बती और गिलगित बालटिस्तान को जीता था अब उसी योद्धा के नाम भारतीय थलसेना ने एलएसी के हाई एल्टीट्यूड एरिया में अपने लाइट टैंक उतारने की तैयारी कर ली है. खासबात तो ये है कि महज 2 से ढाई साल के अंदर ही ज़ोरावर का डिज़ाइन भी तैयार हो चुका है और प्रोटोटाइप भी आ गया है. DRDO और L&T मिलकर इस प्रोजेक्ट को तैयार कर रहे हैं. DRDO चेयरमैन  ने गुजरात के हज़िरा में डेवलप हो रहे इस प्रोजेक्ट को देखा और इसकी पहली झलक भी दिखाई. अभी अलगे छह महीने तक इसके डेवलपमेंट ट्रायल होने है और फिर 2025 में इसे सेना को सुपुर्द किया जाएगा. ट्रायल के बाद माना जा रहा है कि 2027 तक भारतीय सेना के पास लाइट टैंक ज़ोरावर होगा. चीनी ब्लैक पैंथर बनाम ज़ोरावर थलसेना प्रोजेक्ट ज़ोरावर के तहत 25 टन के 350 लाइट टैंक को भारतीय सेना में शामिल करना चाहती है. 22 अप्रैल 2021 में पहली बार सेना ने ट्रेक लाइट टैंक की खरीद के लिए RFI यानी रिक्वेस्ट फ़ॉर इंफ़ॉरमेशन जारी किया. उस RFI के तहत भारतीय स्वदेशी कंपनियों से लाइट टैंक मे भारतीय  सेना की जरुरत को बताया गया, जिसमें साफ कहा गया कि ये टैंक स्वदेशी और स्टेट ऑफ आर्ट इक्विपमैंट होंगा. भारतीय सेना तकरीबन 350 लाइट टैंक को लेने की तैयारी में है. हर टैंक का वजन 25 टन का होगा चाहिए. अगर हम चीन के लाइट टैंक की बात करें तो चीन ने अपने ZTQ-15 या कहें टाईप 15 टैंक को पूरे एलएसी पर तैनात कर रखा है. ये टैंक 33 टन वजनी है और कम वजन के चलते ये आसानी से हाई ऑलटेट्यूड के इलकों में उंचाई वाली जगह पर आसानी से चढ़ जाते हैं. वहीं, भारतीय सेना के मौजूदा रूसी निर्मित टैंक T-72 और T-90 का वजन 40 टन से ज़्यादा है लेकिन भारतीय टैंक की मारक क्षमता चीनी लाईट टैंक से बहुत मजबूत है. यह भी पढ़ें:- VIDEO: सत्ता सौंपी , हाथ मिलाया, साइकिल से चल दिये , ऐसे कोई पीएम जाता है! चीनी सेना में 400 से ज़्यादा टैंक को शामिल किया जब भारत चीन के बीच एलएसी पर तनाव हुआ तो भारतीय सेना के टैंक C-17 ग्लोब मास्टर और IL -76 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ़्ट के जरिए लेह तक पहुंचाए गए और उसके बाद उन्हें सड़क के जरिए एलएसी के पास तक पहुंचाया गया. ज़ाहिर सी बात है कि ये एक जटिल ऑपरेशन था लेकिन अब भारतीय सेना के पास लाइट टैंक होने के बाद इन ऑपरेशन की जटिलता थोड़ी सरल होगी. टाईप 15 चीन की तीसरी पीढ़ी का टैंक है जो कि 2017 में डोकलाम विवाद के बाद साल 2018 में चीनी सेना में 400 से ज़्यादा टैंक को शामिल किया गया और धीरे धीरे उसकी तैनाती पूरे एलएसी पर की गई. चीन के इसी लाइट टैंक को जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने तीसरी पीढ़ी के लाइट टैंक लेने की तैयारी कर ली है क्‍या है ज़ोरावर की खासियत? टैंक का डिज़ाइन भारतीय सेना का है, जिसे स्वदेशी कंपनियों ने तैयार किया है. DRDO और लार्सन एंड टर्बों ने भारतीय सेना के लाईट टैंक के लिए जो आरएफआई जारी की थी उसमें टैंक की स्पीड अधिकतम होनी चाहिए. यहां तक की रिवर्स में भी ये टैंक हर टेरेन में फर्स्‍ट राउंड हिट होगा यानी की एक राउंड में ही दुश्मन के टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों को सटीक निशाना बनाएगा. इसका डिज़ाइन ऐसा होगा जो कि रोड और रेल के जरिए आसानी से मूव कराए जा सकें. इस टैंक में जितने भी सिस्टम लगे होंगे वो हाई एल्‍टीट्यूड के माइनस तापमान और रेगिस्तान के ज्‍यादा तापमान में भी अधिकतम फायर रेंज होगी. इस लाइट टैंक में क्रू 2 से 3 होंगे. अर्मेनिया और अजरबैजान युद्ध से सीखा अर्मेनिया और अजरबैजान और मौजूदा रूस-यूक्रेन की जंग से इस बात का तो अंदाजा लग ही गया कि टैंक जंग जीतने के लिए तो जरूरी है लेकिन इन्हें एरियल खतरे यानी आर्यूम एवी और एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलों के खतरे से भी बचाना होगा. लिहाजा आरएफआई में पहले ही इस बात को ध्यान में रखकर तैयार कर ली गई थी. आरएफआई में इस नए लाइट टैंक की खूबी में दुश्मन के टैंक के आलावा यूएवी, आर्मड व्हीकल को निशाना बनाने की क़ाबिलियत का होना जरूरी किया गया है चूंकि टैंक के बैरल का एलिवेशन बहुत ज़्यादा नहीं होता लेहाजा हाई एंगल फ़ायर की खूबी होनी जारूरी है. साथ ही टैंक में राउंड लोड भी ऑटोमैटिक होना चाहिये. एक्सप्लोसिव रियेक्टिव आर्मर, सॉफ़्ट किल, कैमिकल , बायोलॉजिकल, न्यूक्लियर प्रोटेक्शन के साथ-साथ  फायर  डिटेक्शन एंड सप्रेसन सिस्टम भी होना आनिवार्य हो. साथ ही मॉर्डर्न एडवांसड मल्टी पर्पज स्मार्ट म्यूनेशन के साथ गन ट्यूब से लांच होने वाल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल से लैस होगा. ये आधुनिक टैंक में दिन रात दोनों समय में हाई रेजोल्यूशन साइट और रीयल टाइम सिचुएशनल अवेयरनेस उपकरण होगा.  साथ ही हर तरह के एंटी एयरक्राफ़्ट और अलग अलग कैलिबर के मल्टीप्ल वेपन रिमोट कंट्रोल वेपन स्टेशन होगा. अब प्रोटोटाइप तैयार है. अगले 6 महीने में कुछ ट्रायल होंगे फिर यूजर ट्रायल के बाद ही ये साफ हो पाएगा कि क्या ज़ोरावर सेना की सभी ज़रूरतों को पूरा करता है या नहीं. Tags: Defense Ministry, Hindi news, Indian armyFIRST PUBLISHED : July 6, 2024, 21:54 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed