3 नए क्रिमिनल कानून आज से लागू क्या बदलेगा- आप पर क्या होगा असर 10 प्वाइंट्स

Three New criminal laws explained: तीन नये आपराधिक कानून आज यानी सोमवार से देशभर में लागू हो जाएंगे. इससे भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव आएंगे. इसके साथ ही औपनिवेशिक काल के कानूनों का अंत हो जाएगा. तो चलिए जानते हैं कि इससे कानून-व्यवस्था में क्या बदलाव आएंगे और आम लोगों की जिंदगी पर इसका क्या असर होगा.

3 नए क्रिमिनल कानून आज से लागू क्या बदलेगा- आप पर क्या होगा असर 10 प्वाइंट्स
नई दिल्ली: आज से देश की अदालतों में दंड की जगह न्याय देने पर अधिक प्राथमिकता होगी. जी हां, ब्रिटिश काल के कानूनों का आज से खात्मा हो जाएगा. तीन नये आपराधिक कानून आज यानी सोमवार से देशभर में लागू हो जाएंगे. इससे भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक बदलाव आएंगे. इसके साथ ही औपनिवेशिक काल के कानूनों का अंत हो जाएगा. भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ब्रिटिश काल के क्रमश: भारतीय दंड संहिता (इंडियन पीनल कोड), दंड प्रक्रिया संहिता (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (इंडियन एविडेंस एक्ट) का स्थान लेंगे. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मुताबिक, तीन नये क्रिमिनल लॉ यानी आपराधिक कानून न्याय मुहैया कराने को प्राथमिकता देंगे. जबकि अंग्रेजों (देश पर ब्रिटिश शासन) के समय के कानूनों में दंडनीय कार्रवाई को प्राथमिकता दी गई थी. तो चलिए 10 प्वाइंट में जानते हैं देश में तीन नए आपराधिक कानूनों के लागू होने से क्या-क्या बदल जाएगा. आज से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो रहे हैं. नये कानूनों से भारत में एक आधुनिक न्याय प्रणाली स्थापित होगी. इसमें ‘जीरो एफआईआर’, पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराना, ‘एसएमएस’ (मोबाइल फोन पर संदेश) के जरिये समन भेजने जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम और सभी जघन्य अपराधों के वारदात स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल होंगे. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इन कानूनों में कुछ मौजूदा सामाजिक वास्तविकताओं और अपराधों से निपटने का प्रयास किया गया. साथ ही संविधान में निहित आदर्शों को ध्यान में रखते हुए इनसे प्रभावी रूप से निपटने का एक तंत्र मुहैया कराया गया है.नये कानूनों के तहत आपराधिक मामलों में फैसला मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के भीतर आएगा और पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय किए जाएंगे. दुष्कर्म पीड़िताओं का बयान कोई महिला पुलिस अधिकारी उसके अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज करेगी. इके अलावा, मेडिकल रिपोर्ट सात दिन के भीतर देनी होगी. महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है, किसी बच्चे को खरीदना और बेचना जघन्य अपराध बनाया गया है और किसी नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद का प्रावधान जोड़ा गया है. सूत्रों की मानें तो ‘ओवरलैप’ धाराओं का आपस में विलय कर दिया गया है. उन्हें आसान बनाया गया है. भारतीय दंड संहिता की 511 धाराओं के मुकाबले इसमें केवल 358 धाराएं होंगी.नए क्रिमिनल लॉ के मुताबिक, शादी का झूठा वादा करने, नाबालिग से दुष्कर्म, भीड़ द्वारा पीटकर हत्या करने, झपटमारी आदि मामले दर्ज किए जाते हैं लेकिन मौजूदा भारतीय दंड संहिता में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं थे. मगर अब भारतीय न्याय संहिता में इनसे निपटने के लिए प्रावधान किये गए हैं. ये तीनों कानून न्याय, पारदर्शिता और निष्पक्षता पर आधारित हैं.नये कानूनों के तहत अब कोई भी व्यक्ति पुलिस थाना गये बिना इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम से घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज करा सकता है. इससे मामला दर्ज कराना आसान और तेज हो जाएगा तथा पुलिस द्वारा त्वरित कार्रवाई की जा सकेगी. ‘जीरो एफआईआर’ से अब कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज करा सकता है, भले ही अपराध उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं हुआ हो. इससे कानूनी कार्यवाही शुरू करने में होने वाली देरी खत्म होगी और मामला तुरंत दर्ज किया जा सकेगा. नये कानून में जुड़ा एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि गिरफ्तारी की सूरत में व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में सूचित करने का अधिकार दिया गया है. इससे गिरफ्तार व्यक्ति को तुरंत सहयोग मिल सकेगा. इसके अलावा, गिरफ्तारी विवरण पुलिस थानों और जिला मुख्यालयों में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा जिससे कि गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार और मित्र महत्वपूर्ण सूचना आसानी से पा सकेंगे. नये कानूनों में महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी गयी है जिससे मामले दर्ज किए जाने के दो महीने के भीतर जांच पूरी की जाएगी. नये कानूनों के तहत पीड़ितों को 90 दिन के भीतर अपने मामले की प्रगति पर नियमित रूप से जानकारी पाने का अधिकार होगा. नये कानूनों में, महिलाओं व बच्चों के साथ होने वाले अपराध पीड़ितों को सभी अस्पतालों में निशुल्क प्राथमिक उपचार या इलाज मुहैया कराया जाएगा. यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि पीड़ित को आवश्यक चिकित्सकीय देखभाल तुरंत मिले. आरोपी तथा पीड़ित दोनों को अब प्राथमिकी, पुलिस रिपोर्ट, आरोपपत्र, बयान, स्वीकारोक्ति और अन्य दस्तावेज 14 दिन के भीतर पाने का अधिकार होगा. अदालतें समय रहते न्याय देने के लिए मामले की सुनवाई में अनावश्यक विलंब से बचने के वास्ते अधिकतम दो बार मुकदमे की सुनवाई स्थगित कर सकती हैं. नये कानूनों में सभी राज्य सरकारों के लिए गवाह सुरक्षा योजना लागू करना अनिवार्य है ताकि गवाहों की सुरक्षा व सहयोग सुनिश्चित किया जाए और कानूनी प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता व प्रभाव बढ़ाया जाए. अब ‘लैंगिकता’ की परिभाषा में ट्रांसजेंडर भी शामिल हैं. इससे समावेशिता और समानता को बढ़ावा मिलता है. पीड़ित को अधिक सुरक्षा देने तथा दुष्कर्म के किसी अपराध के संबंध में जांच में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए पीड़िता का बयान पुलिस द्वारा ऑडियो-वीडियो माध्यम के जरिए दर्ज किया जाएगा. महिलाओं, पंद्रह वर्ष की आयु से कम उम्र के लोगों, 60 वर्ष की आयु से अधिक के लोगों तथा दिव्यांग या गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को पुलिस थाने आने से छूट दी जाएगी. वे अपने निवास स्थान पर ही पुलिस सहायता प्राप्त कर सकते हैं. इस तरह से देखा जाए तो तीन नए क्रिमिनल लॉ से आम आदमी को कानूनी झंझट से थोड़ी राहत मिल सकती है. उन्हें केस-मुकदमा और कोर्ट-कचहरी की वजह से बहुत ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा. Tags: Amit shah, Criminal LawsFIRST PUBLISHED : July 1, 2024, 06:22 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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