तेजस आएंगे तो ही मिग 21 जाएंगेबदल सकता है मिग 21 फाइटर की विदाई का वक्त

मिग 21 कभी भारतीय वायुसेना की बैकबोन हुआ करता था. पाकिस्तान को ध्यान में रखकर रूस से इसकी खरीद की थी और इसने वो काम भी बेहतर तरीके से अंजाम दिया. अब ये फेज आउट की कगार पर है. तेजस आएंगे तो ही ये वायुसेना से बाहर जाएंगे

तेजस आएंगे तो ही मिग 21 जाएंगेबदल सकता है मिग 21 फाइटर की विदाई का वक्त
Indian Airforce MiG-21: 1960 के दशक के दुनिया के सबसे बेहतरीन फाइटर में से एक रूसी मिग से अमेरिका सहित तमाम देश भी ख़ौफ़ खाते थे. भारतीय वायुसेना की कभी बैकबोन रहे मिग अब फेज आउट होने की कगार पर है. भारतीय वायुसेना में अब महज 2 एक्टिव स्क्वाड्रन मिग 21 बाइसन के बचे है. जिनकी जगह लेंगे स्वदेशी तेजस. मिग को पूरी तरह से वायुसेना से फेजआउट करने के लिए दिसंबर 2025 का समय तय किया गया था लेकिन जिन तेजस से इन्हें बदला जाना है इस वक्त उनका उत्पादन तेजी से नहीं हो पा रहा है. हांलाकि अभी तक आधिकारिक जानकारी तो साझा नहीं की लेकिन सूत्रों के मुतबिक इनके फेज आउट होने यानी की भारतीय वायुसेना से इनकी हमेशा के लिए विदाई होने का वक्त भी बदल सकता है. भारतीय वायुसेना ने मिग के कई वेरिएंट को इस्तेमाल किया जिसमें मिग 21 टाइप 77 , मिग 21 ब़िज (टाइप 75), मिग 21 टाइप 96 , मिग 25,  मिग 21 बिज़, मिग 21 बाइसन और मिग 29 शामिल है . मिग 21 टाइप 69 ( ट्रेनर ) मिग 21 बाइसन और मिग 29 भारतीय वायुसेना के बेड़े में अब भी ऑपरेट कर रहे हैं. मिग 21 बाइसन तो बस रिटायरमेंट के लिए वायुसेना की हरी झंडी का इंतेजार कर रही हैं जबकि मिग 29 साल 2030 के बाद वायुसेना सेना से बाहर होंगे. फिलहाल भारतीय वायुसेना के पास मिग 21 के दो स्क्वाड्रन में कुल 31 एयरक्राफ्ट ऑपरेट कर रहे हैं . भारतीय वायुसेना ने 1200 के करीब अलग अलग वेरियंट के मिग एयरक्राफ्ट को ऑप्रेट किया है एक समय तो कुल 19 स्क्वाड्रन भारतीय वायुसेना के पास थे . हांलाकि 1970 के दशक से अब तक 400 से ज्यादा क्रैश मिग के हुए और पायलटों की जान गई  इसी के चलते इसे फ्लाइंग कॉफ़िन के नाम से बुलाया जाने लगा था. किसी भी एयरक्राफ्ट की लाईफ उसके इंजन और उसके एयर फ्रेम पर निर्भर करता है. एक अनुमान के मुताबिक 40 से 42 साल फाइटर एयर क्राफ्ट की उम्र मानी जाती, जिसमें फ्लाई टाइम 2400 घंटे के करीब होते और मेजर ओवरहॉलिंग के बाद इनकी इनकी उम्र को पचास फीसदी तक और बढाई जा सकती है मिग 21 ने बदली कई जंग की सूरत भारत मिग का दुनिया में सबसे बड़ा ऑपेरटर रहा है साल 1961 में पाकिस्तान को ध्यान में रखते हुए इसे खरीदने का प्लान बना और साल 1964 में भारतीय वायुसेना में पहले सुपरसोनिक फाइटर जेट के तौर पर शामिल हुआ. मिग 21 का इस्तेमाल 1965 की जंग में बहुत कम हुआ लेकिन 1971 की जंग में तो इसने ईस्ट पाकिस्तान पर एसी मौत बरसाई की जंग ही खत्म हो गई . ढाका के गवर्नर हाउज पर 14 दिसंबर 1971 में भारतीय वायुसेना के चार मिग21 जिन्होंने गुवाहाटी के एयर बेस से उड़ान भरी और ढाका में गवर्नर हाउस को अटैक कर के ज़मींदोज़ कर दिया. और ये 1971 की जंग का एक सबसे बड़ा टर्निग पॉइंट था.  तो कार्गिल की जंग में भी मिग 21 ने अपना खूब जोहर दिखाया. एक मिग 21 भी भारतीय वायुसेना ने खोया. लेकिन कार्गिल की चोटियों में आ घुसे पाकिस्तानियों को मार भगाया. इसके बाद बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद जब पाकिस्तानी एयरफोर्स ने अपने F-16 और JF-17 के साथ भारतीय इलाके में घुसने की कोशिश की तो विंग कमॉंडर अभिनंदन ने अपने मिग 21 बाइसन से ही दुनिया के सबसे ताकतवर माने जाने वाले एक पाकिस्तानी F-16 को मार गिराया था जब हुआ मिग 21 फाइटर चोरी 60 के दशक में मिग की धमक एसी थी कि सभी देश उसकी तकनीक चाहते थे खास तौर पर तो अमेरिका और इजरायल. उस वक़्त दुनिया में एसा पहली बार हुआ था जब मिग 21 की चोरी हुई थी. सुन कर हैरानी हो रही होगी ना लेकिन ये चोरी सच है और ये क़िस्सा तो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. खुफिया ऑपरेशन चलाने के माहिर इजरायल की मोसाद ने इराकी वायुसेना से मिग 21 को चुराने के लिए ऑपरेशन डायमंड लॉंच किया और मुनीर रेड्फा नाम के इराक़ी पायलट के ज़रिए 16 अगस्त 1966 में दुनिया की सबसे चर्चित चोरी करवा दी. Tags: Indian air forceFIRST PUBLISHED : December 3, 2024, 20:44 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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