क्या 9वीं बार सांप के काटने पर विकास द्विवेदी मर जाएगा डॉक्टरों ने दी राय
क्या 9वीं बार सांप के काटने पर विकास द्विवेदी मर जाएगा डॉक्टरों ने दी राय
यूपी के फतेहपुर का रहने वाले विकास द्विवेदी को 8वीं बार सांप ने डस लिया है. अब सभी को 9वीं बार सांप के काटने का भय सता रहा है. हालांकि इसे सर्पदंश के बजाय सांप के काटने का फोबिया बता रहे डॉक्टरों से जानते हैं, विकास सांप के अगली बार काटने पर मर जाएगा या फोबिया से मुक्त हो जाएगा.
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर के रहने वाले विकास द्विवेदी को बार-बार सांप के काटने की घटना मिस्ट्री बन चुकी है. विकास ने दावा किया है कि सांप ने सपने में आकर उससे कहा था कि 8 बार डसने पर वह बच जाएगा लेकिन नौवीं बार काटने पर उसकी मौत हो जाएगी. दावे के मुताबिक विकास को 8 बार सांप ने डस भी लिया है और वह बच गया है. हालांकि विकास के इस दावे को डॉक्टर लगातार खारिज कर रहे हैं और वे इसे स्नेक फोबिया बता रहे हैं. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि अगर विकास को 9वीं बार सांप डसता है तो क्या सच में उसकी मौत हो जाएगी या वह बच गया तो इस फोबिया से हमेशा के लिए मुक्त हो जाएगा.. आइए जानते हैं इस पर डॉक्टरों की क्या राय है? s
फतेहपुर के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. राजीव नयन गिरि ने jharkhabar.comhindi से बातचीत में बताया कि विकास द्विवेदी के पूरे घटनाक्रम को देखने के बाद यह समझ में आया है कि वह सांप के काटने के डर यानि ओफिडियोफोबिया से पीड़ित है. उसका कहना है कि 8 बार सांप उसे डस चुका है, 9वीं बार में वह मर जाएगा. ऐसे में ओफिडियोफोबिया के चलते तो मौत नहीं होती है लेकिन अगर व्यक्ति ज्यादा भयभीत हो जाता है तो उसकी हार्ट अटैक या स्ट्रोक की वजह से मौत भी हो सकती है, लेकिन अगर ऐसा नहीं होता तो वह बच जाएगा.
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डॉ. गिरि ने बताया, ‘जब यह मामला सामने आया था तो हमने दो बार टीम भेजकर विकास द्विवेदी और उसके परिवार को यह कहा कि वे जिला अस्पताल में आएं, यहां उनका पूरी सुरक्षा के साथ इलाज होगा. सीसीटीवी कैमरे से लेकर गार्ड निगरानी में रहेंगे लेकिन वे नहीं आए. डॉक्टरों की टीम के अलावा हमने सपेरे को भी बुलवाया और विकास द्विवेदी के सांप काटने का परीक्षण भी कराया, जिसमें यही बात सामने आई कि वह गंभीर रूप से फोबिया से ग्रस्त है.’
क्या मर जाएगा विकास?
डॉ. गिरि कहते हैं कि जब सांप ने काटा ही नहीं तो मौत कैसे हो सकती है? यह सिर्फ एक डर है. सांप के काटने का यह फोबिया उन यूरोपियन देशों में बहुत कॉमन है जहां अक्सर सांप के काटने की घटनाएं होती हैं और इसी वजह से वहां 10 में से एक मामला ओफिडियोफोबिया का होता है. भारत में भी ऐसे मरीज होते हैं, जिन्हें लगता है कि उन्हें सांप काट लेगा या सांप उनके पीछे पड़ा है. विकास जैसे केस हुए हैं क्योंकि यह मानसिक रूप से कमजोर लोगों में हो सकता है. ये लोग डरे रहते हैं और अगर सही इलाज नहीं कराते तो इस स्थिति में लंबे समय तक भी रह सकते हैं.
हालांकि ऐसी स्थिति में मरीजों की मौतों का कोई डेटा भारत को लेकर उपलब्ध नहीं है. फिर देखा जाता है कि साइकोलॉजिकल दिक्कत या फोबिया में अगर कोई दूसरी बीमारी न हो तो मौत नहीं होती है.
9वीं बार सर्पदंश से बचा तो हो जाएगा फोबिया से मुक्त?
डॉ. गिरि ने बताया कि अगर 9वीं बार सर्पदंश के बाद वह बच जाता है तो वह ठीक भी हो सकता है. जैसा कि पता चला है कि वह राजस्थान के बालाजी मंदिर में है, वहां वह भगवान पर भरोसा कर रहा है. चूंकि फोबिया भी पूरी तरह साइकोलॉजिकल टर्म ही है और भगवान की शरण में जाकर पूरा भरोसा करना भी मानसिक विश्वास ही है ऐसे में अगर वह बच गया तो धीरे-धीरे संभव है कि इस भय से मुक्त हो जाए और उसका यह फोबिया भी अपने आप खत्म हो जाए.
क्या बोले साइकेट्रिस्ट, हो सकती है मौत?
कौशांबी स्थिति यशोदा मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में साइकेट्रिस्ट डॉ. संदीप गोविल कहते हैं कि सांप के काटने पर बहुत सारे बदलाव शरीर में होते हैं, मरीज के ब्लड में बहुत कुछ बदलता है. जहर से उसकी शारीरिक और मानसिक स्थिति बदल जाती है लेकिन अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक विकास द्विवेदी के मामले में सर्पदंश का मामला नहीं है. यह उसकी दिमागी परेशानी है. जहां तक 9वीं बार सांप के काटने पर उसकी मौत की बात है तो साइकेट्री शुरू ही यहां से होती है कि मौत नहीं होगी. टेंशन, तनाव, परेशानी, भय सबकुछ होगा लेकिन मौत नहीं होगी.
अपने आप ठीक हो सकता है विकास?
डॉ. गोविल कहते हैं कि साइकेट्री में एक बीमारी होती है हाइपोकॉन्ड्रियासिस. भारत के संदर्भ में देखें तो इस बीमारी से ग्रस्त मरीज को लगता है कि वह मरने वाला है, उसे गंभीर बीमारी हो चुकी है, वह सबसे भीषण बीमारियों को ढूंढकर डॉक्टर के पास लाता है. विकास द्विवेदी का केस भी लगभग यही है. मेडिकल साइंस के अनुसार विकास के सर्पदंश का केस साइकेट्रिक इलनेस का ही लक्षण है.
इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि शहरों में इस बीमारी से जूझ रहे लोगों को हार्ट अटैक, कैंसर, एक्सीडेट और ब्रेन ट्यूमरआदि बीमारियों से मौत का डर होता है, जबकि ग्रामीण इलाकों में सांप-बिच्छु के काटने, कुएं में गिरने या डूबने आदि से मौत का खौफ होता है. दरअसल जब मानसिक बीमारी बढ़ती है तो मरीज को एक झूठा विश्वास हो जाता है. उसे सपने भी आते हैं, वह उसे सच मानने लगता है.
विकास इस बीमारी से पीड़ित है तो जरूरी नहीं है कि 9वीं बार काटने पर बच जाने के बाद उसकी ये बीमारी ठीक हो जाएगी. संभव है कि यह बीमारी फिर उसे किसी और रूप में परेशान करे. साइकेट्री में देखा गया है कि जब दवा नहीं चलेगी तब तक इससे पूरी तरह मुक्त होना मुश्किल है. उसे कुछ न कुछ डर लगता रहेगा. यह साइकेट्रिक डिल्यूशन का केस है, इसमें ब्रेन पूरी इमेज बना देता है, और वही सच लगता है.
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Tags: Cobra snake, Dausa news, Fatehpur News, Health News, Snake VenomFIRST PUBLISHED : July 25, 2024, 16:53 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed