क्या मुफ्तखोरी पर कोई राजनीतिक दल करेगा चर्चा सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान किसने क्या कहा
क्या मुफ्तखोरी पर कोई राजनीतिक दल करेगा चर्चा सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान किसने क्या कहा
PIL To Regulate Poll Manifestos: चुनावों में मुफ्त की घोषणा वाले वादे के खिलाफ अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर केंद्र सरकार के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सैद्धांतिक तौर पर हम इस याचिका का समर्थन करते हैं.
हाइलाइट्सइस साल जनवरी में इस मुद्दे को लेकर जनहित याचिका दायर की गई थीअब इस जनहित याचिका पर 11 अगस्त को सुनवाई होगीसुप्रीम कोर्ट ने ‘रेवड़ी कल्चर' से निपटने के लिए एक विशेषज्ञ निकाय बनाने की वकालत की
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने देश में चुनाव से पहले रेवड़ी कल्चर को खत्म करने को लेकर गंभीर रुख दिखाया है. कोर्ट ने कहा है कि चुनाव आयोग और सरकार इससे पल्ला नहीं झाड़ सकते और ये नहीं कह सकते कि वे कुछ नहीं कर सकते. उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में केंद्र, नीति आयोग, वित्त आयोग और भारतीय रिजर्व बैंक सहित सभी हितधारकों से चुनावों के दौरान मुफ्त में दिए जाने वाले उपहारों के मुद्दे पर विचार करने और इससे निपटने के लिए ‘रचनात्मक सुझाव’ देने को कहा है.
मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमण और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त में उपहार देने के मुद्दे को ‘गंभीर’ करार दिया और संकेत दिया कि वह इस मुद्दे से निपटने के लिए सरकार को उपाय सुझाने के लिए एक निकाय स्थापित करने का आदेश देगा. आईए एक नज़र डालते हैं कि सुनवाई के दौरान किसने क्या कहा…
1. मुफ्त उपहारों पर बहस: मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमण ने कहा कि कोई भी राजनीतिक दल मुफ्त उपहारों के मुद्दे पर बहस करने के लिए तैयार नहीं होगी. वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल के इस सुझाव पर प्रतिक्रिया देते हुए कि इस मामले पर संसद में बहस होनी चाहिए. CJI रमना ने कहा. ‘सिब्बल, क्या आपको लगता है कि संसद में बहस होगी? कौन सी राजनीतिक पार्टी बहस करेगी? आजकल हर कोई मुफ्त चाहता है.’ सिब्बल इस मामले में किसी पक्ष का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे थे, लेकिन उन्हें अपनी राय देने के लिए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने आमंत्रित किया था.
2.आदर्श आचार संहिता लागू करने पर: सॉलिसिटर जनरल ने सुझाव दिया कि चुनाव आयोग को मामले को देखने पर अपने रुख पर पुनर्विचार करने के लिए कहा जा सकता है. चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू करने के मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर पीठ ने कहा, ‘ये सभी सिर्फ औपचारिकताएं हैं. आदर्श आचार संहिता कब लागू होती है? चुनाव से ठीक पहले. पूरे चार साल आप कुछ न कुछ करते रहेंगे और फिर आखिर में एक आदर्श आचार संहिता शामिल करेंगे…’
3. हितधारकों पर विचार मंथन: SC ने कहा कि सभी हितधारकों को इस पर विचार करना चाहिए और “गंभीर” मामले से निपटने के लिए सुझाव देना चाहिए. केंद्र, वित्त आयोग, विधि आयोग, आरबीआई के साथ-साथ सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों को सुझाव देने के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए और एक विशेषज्ञ पैनल का गठन किया जाना चाहिए. पीठ ने कहा, ‘हमारा विचार है कि सभी हितधारक, लाभार्थी … और सरकार और नीति आयोग, वित्त आयोग, आरबीआई और विपक्षी दलों जैसे संगठनों को इन मुद्दों पर विचार-मंथन और कुछ रचनात्मक सुझाव देने की प्रक्रिया में शामिल होना चाहिए. हम सभी पक्षों को निर्देश देते हैं कि वे इस तरह के निकाय की संरचना के बारे में सुझाव दें ताकि हम निकाय के गठन के लिए एक आदेश पारित कर सकें.’
4.गाइडलाइन जारी करने पर: शीर्ष अदालत ने ये भी कहा कि वह सभी हितधारकों के विचारों को ध्यान में रखे बिना मुफ्त उपहार के मामले पर कोई दिशा निर्देश पारित नहीं करेगा. CJI रमण ने कहा, ‘हम दिशानिर्देश पारित नहीं करने जा रहे हैं. यह महत्व का विषय है जहां अलग-अलग हितधारकों द्वारा सुझाव लेने की आवश्यकता है. चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को कदम उठाने की आवश्यकता है. ये सभी बहस कर सकते हैं और फिर वे ईसीआई और सीजी को एक रिपोर्ट सौंप सकते हैं.’
5.पोल पैनल की भूमिका पर: 26 जुलाई को, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मुफ्त के मामले पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा था. SC ने कहा, ‘चुनाव आयोग और सरकार यह नहीं कह सकते कि हम इस बारे में कुछ नहीं कर सकते. उन्हें इस मुद्दे पर विचार करना होगा और सुझाव देना होगा.’ जनहित याचिका का समर्थन करते हुए, मेहता ने एक बार फिर कहा कि पोल पैनल को न केवल लोकतंत्र की रक्षा के लिए बल्कि देश के आर्थिक अस्तित्व की रक्षा के लिए फ्रीबी संस्कृति को भी रोकना चाहिए. (भाषा इनपुट के साथ)
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी |
Tags: Election commission, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : August 04, 2022, 09:00 IST