जमानत में देरी पर इलाहाबाद HC की खिंचाई SC ने कहा- छुट्टियों में काम करें या केस हमें भेज दें

सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई को कहा था कि पहली बार अपराध करने के ऐसे सभी आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया जाना चाहिए, जो 10 साल जेल में गुजार चुके हैं. इसके 2 महीने बाद कोर्ट को बताया गया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में 62 जमानत अर्जियां अभी लंबित हैं. 2 महीने में 232 नई बेल एप्लिकेशन दाखिल हो चुकी हैं. यूपी सरकार ने बताया कि 853 मामलों पर अभी विश्लेषण किया जाना बाकी है.

जमानत में देरी पर इलाहाबाद HC की खिंचाई SC ने कहा- छुट्टियों में काम करें या केस हमें भेज दें
नई दिल्लीः विचाराधीन कैदियों को जमानत पर छोड़ने के मामले में ढिलाई पर सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट और उत्तर प्रदेश सरकार को जमकर फटकार लगाई. पीटीआई के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसके स्पष्ट आदेश के बावजूद 10 साल से जेलों में रहकर अपने मुकदमों की सुनवाई का इंतजार कर रहे लोगों को रिहा नहीं किया गया है. अगर हाईकोर्ट को इन मामलों को संभालना मुश्किल लग रहा है तो बताएं, हम इनका अतिरिक्त बोझ उठाने के लिए भी तैयार हैं. शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट से कहा कि उसे कुछ हटकर सोचना चाहिए और इन मामलों के जल्दी निपटारे के लिए छुट्टियों में भी काम करना चाहिए. जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने गौर किया कि उत्तर प्रदेश की जेलों में बड़ी तादाद में ऐसे आरोपी कैद हैं, जो बरसों से अपनी अपीलों पर सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई को कहा था कि पहली बार अपराध करने के ऐसे सभी आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया जाना चाहिए, जो 10 साल जेल में गुजार चुके हैं. सर्वोच्च अदालत ने हाईकोर्ट से ऐसे मामलों को इकट्ठा करके एकसाथ निपटारा करने का आदेश दिया था. इस आदेश को 2 महीने गुजरने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में अभी 62 जमानत अर्जियां लंबित हैं और 2 महीने में 232 नई बेल एप्लिकेशन दाखिल हो चुकी हैं. यूपी सरकार की तरफ से बताया गया कि 853 ऐसे मामले हैं, जिनमें पहली बार के आरोपी 10 साल से ज्यादा समय से जेल में हैं. सरकार की तरफ से सीनियर एडवोकेट गरिमा प्रसाद ने कहा कि इन मामलों पर सरकार अभी विश्लेषण कर रही है. पीटीआई के मुताबिक, शीर्ष अदालत ने कड़ा रवैया अपनाते हुए कहा कि गाइडलाइंस बना दिए जाने के बावजूद हाईकोर्ट जमानत याचिकाओं पर जल्दी सुनवाई नहीं कर रहा है. बेच ने हाईकोर्ट से कहा कि यदि आपको इन्हें संभालना कठिन लग रहा है तो हम इस बोझ को उठा लेंगे. जमानत याचिकाओं को हमें भेज दीजिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपको शनिवार या रविवार को कोर्ट में बैठने जैसा कुछ अलग हटकर सोचना होगा. आप लोगों को हमेशा के लिए जेल में नही रख सकते. ऐसा करके हम लोगों की स्वतंत्रता के साथ समझौता कर रहे हैं. हम यह आपको कई बार कह चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को आदेश दिया कि वह दो हफ्ते के अंदर 853 मामलों की सूची उनके सीरियल नंबरों के साथ उसके सामने पेश करे. इसमें कैदी की हिरासत में बिताई गई अवधि के साथ ये भी बताया जाए कि इन मामलों में से कितनों की जमानत का सरकार ने विरोध किया और किस आधार पर. शीर्ष अदालत ने 15 साल से अधिक और 10 से 14 साल तक जेल में रह चुके कैदियों पर हाईकोर्ट के वरिष्ठ रजिस्ट्रार द्वारा दाखिल रिपोर्ट पर गौर किया. बेंच ने कहा कि ऐसा लगता है कि 62 जमानत याचिकाओं का निपटारा अभी बाकी है और अगले दो-तीन हफ्ते में ये सूचीबद्ध हो सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई अब 17 अगस्त को होगी. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Allahabad high court, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : July 26, 2022, 09:37 IST