पिता की हत्या का लिया बदलापढ़ें सुल्तानपुर के बाहुबली ब्रदर्स की कहानी

UP Ke Bahubali: दोनों भाइयों ने अपनी पिता की विरासत को आगे बढ़ाया. इसकी शुरुआत 1994 से शुरू होती है, जब मोनू और सोनू के पिता तत्कालीन विधायक इंद्रभद्र सिंह और सदानंद तिवारी उर्फ संत ज्ञानेश्वर के बीच अदावत हो गई. संत ज्ञानेश्वर सुल्तानपुर जिले के कूड़ेभर थाना क्षेत्र के माझावर गांव में आश्रम बनाना शुरू किया था.

पिता की हत्या का लिया बदलापढ़ें सुल्तानपुर के बाहुबली ब्रदर्स की कहानी
हाइलाइट्स चंद्रभद्र सिंह उर्फ़ मोनू और उनके भाई यशभद्र सिंह मोनू का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है दोनों भाइयों पर कई मुकदमे दर्ज हैं और जेल में सजा भी काट चुके हैं सुल्तानपुर. यूपी के सुल्तानपुर जिले में पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह उर्फ़ मोनू और उनके भाई यशभद्र सिंह मोनू का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. ‘बाहुबली ब्रदर्स’ की छवि अपने लोगों में रॉबिन हुड की तरह है तो वहीं विरोधी भी बाहुबल के पैमाने पर उनसे सीधे टक्कर लेने में कतराते हैं. शायद यही कारण है कि जिले में कभी गैंगवार की स्थिति नहीं बनी. वैसे तो दोनों भाइयों पर कई मुकदमे दर्ज हैं और जेल में सजा भी काट चुके हैं, बावजूद इसके इनका क्षेत्र में दबदबा कायम है. आलम यह है कि छोटे-मोटे झगडे तो इनकी जनअदालत में सुलटा दिए जाते हैं. दरअसल, दोनों भाइयों ने अपनी पिता की विरासत को आगे बढ़ाया. इसकी शुरुआत 1994 से शुरू होती है, जब मोनू और सोनू के पिता तत्कालीन विधायक इंद्रभद्र सिंह और सदानंद तिवारी उर्फ संत ज्ञानेश्वर के बीच अदावत हो गई. संत ज्ञानेश्वर सुल्तानपुर जिले के कूड़ेभर थाना क्षेत्र के माझावर गांव में आश्रम बनाना शुरू किया था. गांव के चौकीदार रामजस यादव ने आश्रम के लिए अपनी जमीन देने का विरोध किया था. जिस पर संत ज्ञानेश्वर के शिष्यों ने रामजस यादव की हत्या कर दी थी. चंद्रभान सिंह उर्फ सोनू के पिता इंद्रभद्र सिंह उस समय इसौली विधानसभा से विधायक थे, उन्होंने रामजस के परिवार वालों का साथ दिया. जिसके बाद वहां का जनसमूह ज्ञानेश्वर के आश्रम के खिलाफ हो गया. भीड़ ने आश्रम को उखाड़ फेंका इसके बाद से ही ज्ञानेश्वर और इंद्रभद्र सिंह में ठन गई, हालांकि बाद में ज्ञानेश्वर ने वहां आश्रम बनवा लिया. 21 जनवरी 1999 को इंद्रभद्र सिंह की हत्या कर दी गई. इसमें संत ज्ञानेश्वर के करीबी दीनानाथ समेत पांच लोग आरोपी बनाए गए, जिन्हें बाद में सजा भी हुई. ज्ञानेश्वर के खिलाफ भी हत्या की साजिश का मुकदमा दर्ज किया गया था. पिता की हत्या के बाद संभाली विरासत पिता की हत्या के बाद दोनों भाइयों ने उनकी विरासत संभाली और दुश्मनी को आगे बढ़ाया. 10 जनवरी 2006 को इलाहाबाद के माघ मेला में अंतिम स्नान के लिए संत ज्ञानेश्वर अपने शिष्यों के साथ आए थे. जिसके बाद वह अपने पूरे काफिले के साथ वाराणसी के लिए रवाना हुआ था. इसी दौरान हथियारों से लैस हमलावरों ने संत ज्ञानेश्वर की गाड़ी को निशाना बनाकर हमला बोल दिया. इस फायरिंग में संत ज्ञानेश्वर के के साथ-साथ उनके कई शिष्यों की मौत हो गई थी, जिसमें महिलाएं भी शामिल थी. मोनू पर 19 मुकदमे दर्ज इसी घटना के बाद से इलाके में दोनों भाइयों का दबदबा बढ़ गया. चन्द्रभद्र सिंह मोनू पर हत्या, हत्या के प्रयास, बलवा, गैंगस्टर और गुंडा एक्ट जैसे करीब 19 मुकदमे दर्ज हैं. अपराध के साथ ही दोनों भाइयों ने खाड़ी भी पहन ली और राजनीति में भी उतर आए. मोनू सिंह तीन बार विधायक भी बने. हालांकि सांसदी के चुनाव में उन्हें सफलता नहीं मिली. लेकिन 2024 के लोक सभा चुनाव में मेनका गांधी की हार में दोनों का भी हाथ रहा. दोनों ने सपा के प्रत्याशी का समर्थन किया और नतीजा यह निकला की मेनका गांधी को हार का सामना करना पड़ा. Tags: Sultanpur news, UP Ke Bahubali, UP latest newsFIRST PUBLISHED : July 1, 2024, 12:48 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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