महिलाएं ऐसे करती है भाद्रपद की छठ पूजा 6 अंकों का है विशेष महत्व

भाद्रपद की इस छठ पूजा की विधि बहुत ही अनोखी है. इसमें सबसे पहले छ्यूल की टहनी और कुश को घर के आंगन में मिट्टी के सहारे खड़ा किया जाता है और उसी के पास एक तालाबनुमा गड्ढा खोदकर उसमें गांव से दूर किसी तालाब से पानी लाकर डाल दिया जाता है. महिलाएं एक-दूसरे को कहानी सुनाकर छठी माता के महत्व को बताती है. 

महिलाएं ऐसे करती है भाद्रपद की छठ पूजा 6 अंकों का है विशेष महत्व
सुल्तानपुर. उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर समेत अवध क्षेत्र में भाद्रपद माह की षष्ठी तिथि को एक अलग तरह का छठ पर्व मनाया जाता है. यह पूजा माताएं अपने पुत्र की लम्बी उम्र के लिए करती है. ऐसा माना जाता है कि यह पूजा सिर्फ वहीं माताएं कर सकती हैं, जिनके पुत्र होते हैं. यह पूजा इसलिए भी अनोखी हो जाती है क्योंकि इस पूजा में पुत्र अपनी माता नहीं बल्कि माताएं अपने पुत्र का पैर छूती हैं. इस छठ पर्व से जुड़ी है खास मान्यताएं पौराणिक मान्यता के अनुसार इस पूजा की कहानी अत्यंत प्रसिद्ध है. पौराणिक मान्यता के अनुसार किसी राज्य के एक राजा को लंबे अर्से के बाद पुत्र प्राप्त हुआ, लेकिन उनका राज्य सूखे से ग्रस्त था. इस समस्या का हल निकालने के निए राजा ने एक पंडित को बुलाया और राज्य में सूखे पड़े तालाबों के लिए उपाय सुझाने को कहा.  पंडित ने बताया कि यह सगरा (तालाब) एक पुत्र की बलि मांग रहा है.तब राजा ने अपने पुत्र की बलि देने के लिए उसे तालाब में छोड़ दिया. उसी दौरान छठ माता प्रकट हुई और राजा के पुत्र को वापस कर दिया और तालाब में पानी भी लबालब भर गया. तभी से भाद्रपद माह की षष्ठी तिथि को छठ माता की पूजा शुरू हो गई. छठ पूजा में इन सामाग्रियों का होता है उपयोग इस छठ पूजा में एक विशेष तरह के पेड़ छ्यूल की टहनी, कुश, महुआ के पत्ते का बनाया हुआ दोना, पुष्प, रोली, भैंस का दूध, दही, पसाढी के धान का चावल, चना, गेहूं का दाना, अक्षत, काजल आदि सामग्री का प्रयोग किया जाता है. भाद्रपद की इस छठ पूजा की विधि बहुत ही अनोखी है. इसमें सबसे पहले छ्यूल की टहनी और कुश को घर के आंगन में मिट्टी के सहारे खड़ा किया जाता है और उसी के पास एक तालाबनुमा गड्ढा खोदकर उसमें गांव से दूर किसी तालाब से पानी लाकर डाल दिया जाता है. महिलाएं एक-दूसरे को कहानी सुनाकर छठी माता के महत्व को बताती है. 6 अंकों का है खास महत्व इस पूजा विधि में 6 अंकों का खास महत्व है क्योंकि माताएं छ्यूल के 6 पत्तों, महुआ के 6 दोने और हवन में 6 बार देशी घी की आहुति देती है.  यानि पूरे पूजन विधि में सभी प्रक्रिया 6 बार की जाती है. इस दौरान छ्यूल के पत्ते पर रखे गये दही को महिलाएं बिना हाथ लगाए मुंह से खाती है. Tags: Chhath Puja, Dharma Aastha, Local18, Sultanpur news, UP newsFIRST PUBLISHED : August 27, 2024, 20:38 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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