लाखों की नौकरी छोड़ शुरू की UPSC की तैयारी 5वें प्रयास में IPS बने अमित कुमार
लाखों की नौकरी छोड़ शुरू की UPSC की तैयारी 5वें प्रयास में IPS बने अमित कुमार
Success Story: कन्नौज के एसपी अमित कुमार आनंद की कहानी बहुत ही रोचक है. उन्होंने बीटेक करने के बाद 5 साल एक बड़ी कंपनी में नौकरी की. इसके बाद यूपीएससी की तैयारी शुरू की. जहां 4 बार लगातार असफलता मिलने के बाद उन्होंने 5वीं बार सफलात हासिल की.
कन्नौज. कहते हैं जहां चाह है वहां राह, भले ही आप कितने भी कमजोर क्यों ना हों, लेकिन आपका दृढ़ संकल्प आपको आसमान की ऊंचाइयों तक जरूर ले जाएगा. ऐसे ही मध्यम परिवार से आने वाले कन्नौज एसपी अमित कुमार आनंद ने अपनी कड़ी मेहनत से एक बड़ी कंपनी की नौकरी पाई और फिर लाखों रुपए की नौकरी छोड़कर और देश के प्रति अपना भी योगदान देने के लिए आईपीएस की तैयारी की.
बता दें कि एसपी अमित कुमार ने सफलता पाने के लिए एक नहीं, दो नहीं, तीन नहीं, बल्कि चार से ज्यादा प्रयास में 5वीं बार सफलता हासिल की. उनके टीचर ने लगातार उका सपोर्ट किया. पढ़ने में कमजोर होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी. उनमें पढ़ाई का ऐसा जुनून था कि कई कई दिन सूरज को भी नहीं देखा. उनका एक ही लक्ष्य था कि कुछ करके दिखाना है. जब आईपीएस बन पहुंचे तो माता-पिता के सामने उनकी दोनों आंखें नम हो गई. आज आईपीएस अमित कुमार समाज मे एक नजीर बन चुके हैं.
जानें कैसे किया कठिनाईयों को पार
एसपी अमित कुमार आनंद अहमदाबाद में कक्षा 1 से 7 तक केंद्रीय विद्यालय में पड़े. वहीं, नोएडा केंद्रीय विद्यालय में कक्षा 8 से 12 तक की पढ़ाई की. जिसके बाद उन्होंने बीटेक इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग की. 2006 से 2010 तक 5 साल टाटा स्टील कंपनी में लाखों के पैकेज पर काम किया. इसी दौरान उनके मन में कुछ ऐसा भाव आया. उन्होंने सोचा समाज देश के प्रति कुछ अपना भी योगदान बनता है.
पांचवें प्रयास में मिली सफलता
इसी कंपनी में अपना अस्तित्व खो जाएगा न कोई जानेगा न कोई पहचानेगा. मुझे अपनी एक पहचान बनानी है. इसके बाद उन्होंने एक अधिकारी बनने का सपना संजोया और जुड़ गए तैयारी में. वह काम के साथ-साथ आईपीएस की तैयारी करते थे. एक के बाद एक अटेंप्ट दिया, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी. चौथे प्रयास में इंडियन पोस्टल सर्विस में सफल हुए. उसके बाद भी उन्होंने लगातार प्रयास किया और 5वें प्रयास में आईपीएस बनके अपना और अपने परिवार का सपना पूरा किया.
कमजोरी को बनाई ताकत
अमित बताते हैं हाई स्कूल की परीक्षा तक वह पढ़ाई में काफी कमजोर थे. अहमदाबाद से जब वह नोयडा आए, उसी के बाद उन्होंने अपनी इस कमजोरी को अपनी सबसे बड़ी ताकत बनाया. उनके टीचर हमेशा से ही उनके अंदर एक चीज को महसूस करते थे कि वह कुछ अलग कर सकते हैं. उनको लगातार उनके टीचर प्रोत्साहित करते थे. इसके बाद उनके मन में भी आया कि टीचर बोलते हैं तो शायद वह कुछ अच्छा कर सकता हैं. इसके बाद उन्होंने मन लगाकर पढ़ना चालू किया और पूरे देश में 1000 बच्चों में सेलेक्ट होकर स्कॉलरशिप हासिल की.
जानें पढ़ाई का कैसा था सिड्यूल
अमित बताते हैं कि अगर मन लगाकर पढ़ाई कुछ ही घंटे की जाए तो वह भी बहुत है. इस तरह की तैयारी में सबसे बड़ा गुरु मंत्र रहता है कि आपको खुश रहना है, तनाव को पास नहीं आने देना है. वह हफ्ते में 6 दिन पढ़ाई करते थे और एक दिन अपने आप के लिए निकालते थे. जिसमें वह बाहर घूमना फिरना मूवी देखना पार्क में जाना और लोगों से बात करना पसंद करते थे.
जानें कब बने आईपीएस
अमित कुमार आनंद मूल निवासी गाजीपुर के हैं, उनके माता-पिता अब नोएडा में रहते हैं. पिता का नाम महेंद्र राम आनंद और मां प्रभावती हैं. पिता सीपीडब्ल्यूडी में कर्मचारी हैं. 2015 में उन्होंने आईपीएस का एग्जाम दिया और वहीं, 2016 के बैच में वह सेलेक्ट हुए. सबसे पहले मेरठ में ट्रेनिंग ली. इसके बाद वह मुरादाबाद में एसपी सिटी बने, लखनऊ में डीसीपी ईस्ट, सिद्धार्थ नगर में एसपी बने और फिर 1 अगस्त 2023 को कन्नौज के एसपी बने.
जानें उनके कार्यकाल की उपलब्धियां
अमित कुमार शुरुआत से ही कुछ अलग करने की सोच रखते थे. वह जब मुरादाबाद में एसपी सिटी थे तभी उनको स्पोर्ट्स से काफी लगाव था. वहीं, सिद्धार्थनगर में उन्होंने स्पोर्ट्स ग्राउंड बनवाया, एक्सरसाइज के लिए भी कोर्ट तैयार किया, लेकिन अपना असली स्किल कन्नौज में ही वह पूरा कर पाए. कन्नौज में उन्होंने नई प्रतिभाओं को निखारने के लिए बहुत कुछ किया. जिसमें उन्होंने कन्नौज के इतिहास में पहली बार बच्चों और बड़ों के लिए एक शूटिंग रेंज बनवाया. बच्चों को मार्शल आर्ट की भी शिक्षा दिलवाई जिसके चलते उनको डीजीपी स्तर से बेहतर पुलिसिंग के लिए गोल्ड और सिल्वर मेडल मिले.
जानें क्या बोले आईपीएस
आईपीएस अमित कुमार आनंद बताते हैं कि एक अच्छा मुकाम पाने के लिए सबसे पहले जरूरी होता है अपने अंदर कॉन्फिडेंस होना. निराशा हताशा को दूर रखना, खुश रहना. मैं शुरुआत से पढ़ाई में कमजोर था, लेकिन मेरे अध्यापकों और मेरे घर के सभी सदस्यों ने मेरा खूब सपोर्ट किया. कभी भी मेरे अंदर निराश हताश नहीं हुआ. स्कूल के कार्यक्रम में मुझे स्टेज पर आमंत्रित नहीं किया गया. तब से मेरे अंदर एक सोच आई कि मैं भी कुछ ऐसा करूं कि लोग मुझे जाने मुझे पहचाने.
इसके बाद उन्होंने पढ़ाई शुरू की. पढ़ाई को उन्होंने पढ़ाई की तरह ही लिया, ऐसा नहीं की दिन रात पढ़ाई की अपने आप को भी समय देना, पढ़ाई को भी समय देना, दोस्तों के साथ भी रहना, लेकिन पढ़ाई करते समय सिर्फ पढ़ाई पर फोकस करना. पांचवें अटेम्प्ट में आईपीएस की सफलता मिली. इसके लिए सबसे बड़ा श्रेय गुरुओं और उनके परिजनों को जाता है.
Tags: Kannauj news, Local18, Success StoryFIRST PUBLISHED : September 3, 2024, 16:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed