Opinion: लोक कल्याण के लिए किया जाने वाला शासन है सुशासन
Opinion: लोक कल्याण के लिए किया जाने वाला शासन है सुशासन
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, दूरदर्शी नेता, कवि, संपादक, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. उनकी सरकार ने लोक कल्याण के लिए सुशासन की दिशा में सतत कार्य किए.
हितानंद शर्मा
शासन में ‘सुशासन’ का भाव भारत की संस्कृति की विशिष्टता है. सुशासन, अर्थात लोक मंगल की कामना से किया जाने वाला शासन. भगवान श्रीराम के रामराज्य के आदर्श शासन से प्रेरणा लेकर हर युग में सुशासन के अनेक उदाहरण रहे हैं, जिनमें शासक लोक कल्याण के लिए कार्य करते रहे. यह भारतीय संस्कृति का सौंदर्य ही है कि शासन में ‘सुशासन’ सदैव प्राथमिकता में रहा. विदेशी शासकों के आ जाने से कालांतर में विस्मृ्त हुए इस भाव को पुन: जागृति एवं ऊर्जा तब मिली जब पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार ने लोक कल्याण के लिए सुशासन की दिशा में सतत कार्य किए. इसीलिए अटलजी के सम्मान में 2014 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को सुशासन दिवस मनाने की घोषणा की गई.
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, दूरदर्शी नेता, कवि, संपादक, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. भारत माता के महान सपूत और राजनीति के अजातशत्रु अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को शिक्षक पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता कृष्णा देवी के घर ग्वालियर में हुआ था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर और मुरैना में हुई. ग्वालियर से स्नातक और कानपुर से राजनीति विज्ञान से स्नातकोत्तर करने के बाद अटलजी ने स्वयं को राष्ट्रसेवा में समर्पित कर दिया. इस जन्म शताब्दी वर्ष में देश उनके सुशासन और ऐतिहासिक योगदान के लिए अटलजी को विशेष रूप से स्मरण कर रहा है.
चार दशकों तक राजनीति में सक्रिय रहते हुए अटलजी नौ बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के सदस्य रहे. वे भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य और अध्यक्ष रहने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य एवं बाद में अध्यक्ष रहे. उन्होंने प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री, विपक्ष के नेता और संसद की स्थायी समितियों के अध्यक्ष के रूप में देश की नीतियों को आकार दिया.
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लोक कल्याण के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए. जमीन से गहरा जुड़ाव होने से वे आमजन की समस्याओं को भी उतनी ही संवेदनशीलता से समझते थे. इसे उनके एक कार्य से सहजता से समझा जा सकता है. वे उस समय के प्रधानमंत्री थे जब पक्के रास्ते न होने न होने से गांवों में पहुंचना कठिन होता था. बारिश के दिनों में तो कई गावों के रास्ते बंद हो जाते थे. अटलजी ने इस समस्या को ध्यान में रखते हुए ‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना’ प्रारंभ की और पूरे देश के गावों को पक्की सड़कों से जोड़ दिया गया. इससे गांवों में आना-जाना सुलभ हुआ तो वहीं ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी उनका यह कदम अत्यंत कारगर सिद्ध हुआ.
सामाजिक समरसता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए
केवल ग्राम सड़क योजना ही नहीं उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्गों का उन्नयन कर आधुनिक ढंग से निर्माण पर बल दिया. ‘स्वर्णिम चतुर्भुज’ परियोजना भारत के चार प्रमुख शहरों दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, और कोलकाता को जोड़ने वाला राजमार्ग नेटवर्क तैयार करने की ऐसी ही परियोजना है. अटलजी ने सामाजिक समरसता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए. समाज के हर वर्ग का ध्यान रखते हुए अपनी नीतियों का निर्धारण किया. देश के जनजाति समाज के कल्याण के लिए उन्होंने अलग से जनजाति कार्य मंत्रालय बनाया. पेयजल एवं सिंचाई के लिए उन्होंने नदियों को जोड़ने की परियोजना का भी प्रस्ताव रखा. अटलजी की 100वीं जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज इस परियोजना में मध्यप्रदेश की केन-बेतवा नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना की आधारशिला रखेंगे.
जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान का नारा
अटल जी ने देश की प्रगति के लिए कार्य करते हुए हर दिशा में राष्ट्र को सबल बनाने का संकल्प लिया था. यही कारण है कि किसानों को सेठ-साहूकारों के कर्जों से बचाने के लिए उन्होंने ‘किसान क्रेडिट कार्ड’ जैसी लाभदायक योजना प्रारंभ की तो वहीं दूरसंचार के क्षेत्र में नई नीतियों को अपनाया जिसका सुफल आज संचार क्रांति के रूप में दिखाई देता है. राष्ट्र रक्षा का कार्य सदैव उनकी प्राथमिकता में रहा. इसीलिए विपरीत वैश्विक परिस्थितियों में भी पूरे साहस के साथ पोखरण में 11 मई 1998 को पांच परमाणु परीक्षणों से उन्होंने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल कराया. इस अवसर पर उन्होंने “जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान” का नारा दिया. भारत की सामरिक शक्ति मजबूत करने के लिए उन्होंने विशेष निर्णय लिए. वहीं धोखे से कारगिल में घुस आई पाकिस्तानी सेना को खदेड़ देने के लिए सेना का मनोबल बढ़ाते हुए सैन्य एवं कूटनीतिक मोर्चे पर दृढ़ता से कार्य किया और भारत के हाथों परास्त होकर पाकिस्तान को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी.
उनका भाषण ऐतिहासिक रहा
राष्ट्र, धर्म और संस्कृति से वे गहनता से जुड़े रहे. विदेश मंत्री के रूप में संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में दिया गया उनका भाषण ऐतिहासिक रहा. 1996 में पहली बार 13 दिनों के लिए भारत के 10वें प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया. पीएम के रूप में उनका दूसरा कार्यकाल 1998 से 1999 तक 13 महीने का था. उन्होंने तीसरी बार 1999 से 2004 तक पीएम के रूप में पूर्ण कार्यकाल के लिए पदभार संभाला. 2018 में 93 वर्ष की आयु तक वे समाज के मार्गदर्शक की भूमिका में रहे. अटलजी भारतीय राजनीति में आदर्श, शिष्टता और नैतिकता का प्रतीक बने. उनके विचार प्रगतिशील, लोकतांत्रिक और समावेशी थे. उन्होंने महिला सशक्तिकरण, सामाजिक समानता और विज्ञान-प्रौद्योगिकी के विकास को देश की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण माना. वे लोकमंगल का भाव लिए सुशासन करने के लिए सदैव याद किए जाएंगे.
(लेखक भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश के प्रदेश संगठन महामंत्री है)
Tags: Atal Bihari Vajpayee, Atal Bihari Vajpayee JayantiFIRST PUBLISHED : December 24, 2024, 21:40 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed