ट्विन टावर गिरने से पहले आ जाएगी बिल्डर और अथॉरिटी के कनेक्शन की जांच रिपोर्ट!
ट्विन टावर गिरने से पहले आ जाएगी बिल्डर और अथॉरिटी के कनेक्शन की जांच रिपोर्ट!
सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के निर्देश पर चार सदस्यीय एसआईटी (SIT) बनाई गई थी. एसआईटी ने 4 आईएएस (IAS) समेत 26 अफसरों की संलिप्तता बताई थी. अब उसी एसआईटी की रिपोर्ट के मुताबिक सिविल सर्विसेज रूल्स की धारा-351 (ए) के तहत रिटायरमेंट से चार साल के अंदर नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) खुद अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकती है. इसके तहत दोषियों की पेंशन से नुकसान की राशि की रिकवरी भी की जा सकती है. वहीं जिसको रिटायर हुए चार साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है उसके खिलाफ सिविल सूट के जरिए कार्रवाई की जाएगी.
नोएडा. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेश के बाद से सुपरटेक (Supertech) की एमरॉल्ड योजना के ट्विन टावर (Twin Tower) को गिराने की कार्रवाई चल रही है. जानकारों के मुताबिक 21 अगस्त को ट्विन टावर गिरा दिए जाएंगे. लेकिन उससे पहले गैरकानूनी तरीके से नियमों को ताक पर रखकर ट्विन टावर बनवाने वाले नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) के अफसर और बिल्डर के खिलाफ जांच रिपोर्ट आ जाएंगी. सूत्रों की मानें तो 15 जुलाई को जांच कमेटी अपनी रिपोर्ट अथॉरिटी के सीईओ को सौंप देगी. वहीं इसके बाद यह रिपोर्ट शासन को लखनऊ भेज दी जाएगी. चर्चा है कि इस रिपोर्ट में एक दर्जन से ज्यादा अफसरों को आरोपी बनाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने भी कमेंट करते हुए कहा था कि इस मामले में बिल्डर और अथॉरिटी कनेक्शन की जांच होनी चाहिए.
आरोपों के सुबूत मांग रहे लेकिन आरोप पर जवाब नहीं दे रहे अफसर
जानकारों की मानें तो शासन के आदेश पर नोएडा अथॉरिटी ने एक कमेटी बनाकर ट्विन टावर मामले की जांच कराई है. इस जांच में एक दर्जन से ज्यादा रिटायर्ड और सेवारत अफसरों और कर्मचारियों को आरोपी बनाया गया है. बताया जा रहा है कि इसमे से चार अफसरों को तो निलंबित भी किया जा चुका है. लेकिन जिन्हें आरोप पत्र भेज गए थे उन्होंने उनका कोई जवाब नहीं दिया है.
हां, इतना जरूर है कि वो जांच टीम से अपने खिलाफ सुबूत मांग रहे हैं. लेकिन जब उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया जाता है तो आते भी नहीं है और कोई जवाब भी नहीं देते हैं. गौरतलब रहे फरवरी में जांच शुरू हुई थी, लेकिन अभी तक किसी भी आरोपी ने जांच टीम को सहयोग नहीं किया है.
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4 सीईओ और एसीईओ ने ऐसे पहुंचाया था फायदा
जानकारों की मानें तो निर्माण करते वक्त दो टावर के बीच 16 मीटर की दूरी होनी चाहिए, लेकिन एमरॉल्ट योजना के मामले में ऐसा नहीं किया गया. साल 2009 से 2012 के बीच नोएडा अथॉरिटी में तैनात रहे 4 आईएएस अफसर 2 सीईओ और 2 एसीईओ ने सभी नियमों को ताक पर रखकर बिल्डर्स को फायदा पहुंचाया था. यही वजह है कि वैश्विक मंदी के उस दौर में जब सभी कारोबार कराह उठे थे तो नोएडा के कुछ बिल्डर्स चांदी काट रहे थे.
ये थे नोएडा अथॉरिटी के नियम-
किसी भी बिल्डर्स को ग्रुप हाऊसिंग का प्लॉट लेने के लिए जमीन की कीमत का 10 फीसद पैसा रजिस्ट्रेशन के वक्त और 20 फीसद आवंटन के वक्त देना होता था. बाकी 70 फीसद पैसा 5 साल के दौरान 10 बराबर किस्तों में चुकाना होता था.
लेकिन जब बदल दिए गए नियम-
नियम बदलने के बाद ग्रुप हाऊसिंग का प्लॉट लेने के लिए जमीन की लागत का 5 फीसद रजिस्ट्रेशन शुल्क और 5 फीसद आवंटन शुल्क कर दिया गया. आवंटन के बाद तीन साल तक बकाया पैसे पर केवल ब्याज लेने का नियम बना दिया गया. वहीं तीन साल बाद 7 सालों में 14 बराबर किस्तों में बाकी 90 फ़ीसदी पैसा देने की रियायत बिल्डर्स को दे दी गई.
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FIRST PUBLISHED : June 23, 2022, 12:05 IST