इस जिले में जन्मे निडर सेनानी के नाम से थर-थर कांपते थी अंग्रेजी हुकूमत

Sonbhadra Intresting Story: सोनभद्र के सेनानियों ने कठिनाइयों के बावजूद स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और "परिवर्तन" नामक अखबार के माध्यम से लोगों को एकजुट किया.  

इस जिले में जन्मे निडर सेनानी के नाम से थर-थर कांपते थी अंग्रेजी हुकूमत
सोनभद्र: भौतिक सुविधाओं के लिहाज से सोनांचल भले ही पिछड़ा रहा हो, लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन में यहां के सेनानी हमेशा ही आगे रहे हैं. बात चाहे नमक कानून तोड़ने की हो या फिर अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए विवश करने की. अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ माहौल बनाने और लोगों में आजादी का जोश जगाने में सेनानियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी. ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ निकाला अखबार इतिहासकार दीपक कुमार केसरवानी बताते हैं कि यहां तक कि सेनानियों ने आपसी सहयोग से एक अखबार भी निकाला. “परिवर्तन” नाम का यह साप्ताहिक पत्र आदिवासी अंचल के लोगों को ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ खड़ा करने और संघर्ष के लिए एकजुट करने का बड़ा जरिया बना. ब्रिटिश हुकूमत के कड़े पहरे और बंदिशों के बावजूद सेनानी रात-रात भर जागकर अखबार तैयार करते और सुबह-सुबह गांव-गांव जाकर उसका वितरण करते थे. भूखमरी के बाद भी कम नहीं हुआ मनोबल सोनभद्र में सौ वर्ष पूर्व जब स्वतंत्रता आंदोलन शुरू हुआ, तब यहां विकास के नाम पर कुछ भी नहीं था. यह क्षेत्र उन दिनों अक्सर भुखमरी से जूझता था. सेनानी कुर्की, नीलामी और गिरफ्तारी का शिकार होते थे. इसके बावजूद उनका मनोबल जरा भी कम नहीं होता था. बेहद कठिन परिस्थितियों में भी क्रांतिकारी विचारों और महत्वपूर्ण सूचनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए सेनानियों ने “परिवर्तन” नामक समाचार प्रकाशित किया. अखबार प्रकाशित करने में आई कई बाधाएं स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक और मिर्जापुर के गांधी कहे जाने वाले महादेव चौबे ने जब समाचार प्रकाशित करने का निर्णय लिया, तो इस कार्य में बाधा ही बाधा थी. न तो छपाई के लिए मशीन थी और न ही प्रशिक्षित कंपोजर. इसी बीच देवरी कला के जमींदार परिवार के संकठा प्रसाद पांडेय अपने दो भाइयों दूधनाथ पांडेय और बाल गोविंद पांडेय के साथ पंडित महादेव चौबे से मिलने शहीद उद्यान आए. विचार-विमर्श के बीच समाचार पत्र के प्रकाशन में आ रही बाधाओं की चर्चा हुई. संकठा प्रसाद पांडेय ने राजा शारदा महेश से राजपुर में पड़ी छपाई मशीन को परासी बगीचे में पहुंचा दिया. दूधनाथ पांडेय को प्रेरित किया कि वे कंपोजिंग सीख लें. दूधनाथ पांडेय ने भी साइकिल से प्रतिदिन दस किलोमीटर का सफर कर राबर्ट्सगंज नगर के एक प्रिंटिंग प्रेस में जाकर कंपोजिंग का कार्य सीखा. किसने किया संपादन? मूर्धन्य साहित्यकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल के भतीजे चंद्रशेखर शुक्ल उन दिनों यहीं राजपुर में अध्यापन कार्य कर रहे थे. पंडित महादेव चौबे ने उन्हें संपादक की जिम्मेदारी सौंप दी. जब अंग्रेजों को भनक लगी कि परासी के पोखरे पर से समाचार पत्र का प्रकाशन होने जा रहा है, तो उन्होंने भी रणनीति बनाई और अचानक वहां धमकने लगे. दूधनाथ पांडेय रात में ही कंपोजिंग कर अखबार तैयार कर लेते थे और भोर में साइकिल से अखबार पहुंचा देते थे. संकठा प्रसाद पांडेय के दूसरे भाई बाल गोविंद पांडेय को तो अंग्रेजी हुकूमत ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. आज ऐसे सेनानियों के नाम पर जिला मुख्यालय से तकरीबन 8 किलोमीटर दूर शहीद उद्यान भी बनवाया गया है. यहां घूमने के लिए बाहर से आने वाले राष्ट्रप्रेमी पर्यटक भी आते हैं और इस गौरवशाली अतीत से परिचित होने का अनुभव प्राप्त करते हैं. Tags: Local18, Sonbhadra News, UP newsFIRST PUBLISHED : September 18, 2024, 12:41 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed