31 मई 1857 को यूपी का ये जिला हो गया था अंग्रेजों से आजाद
31 मई 1857 को यूपी का ये जिला हो गया था अंग्रेजों से आजाद
क्रांतिकारियों ने 31 मई 1857 को शाहजहांपुर के चर्च में जिले के कलेक्टर को तलवार से काट दिया था. उसका परिवार बमुश्किल बचकर भागा. भीषण रक्तपात के बाद विद्रोहियों ने शाहजहांपुर को स्वतंत्र घोषित कर दिया था. अगले एक वर्ष तक शाहजहांपुर संघर्ष चलता रहा.
सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर : शहीदों की नगरी शाहजहांपुर की धरती पर अंग्रेज़ों को नींद उड़ाने वाले शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह और अशफाक उल्ला खान जैसे शूरवीरों ने जन्म लिया. इन्हीं शूरवीरों ने काकोरी रेल एक्शन को अंजाम दिया. और हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम लिया था. तय समय पर सन 1857 की क्रांति की शुरुआत भी शाहजहांपुर की ही धरती से की गई थी. यहां क्रांतिकारी जवाहर राय और काजी सरफराज अली खान ने इस क्रांति का बिगुल फूंका था. गौरतलब है कि प्लान के अनुसार 31 मई को 1857 की क्रांति की शुरुआत होनी थी लेकिन मेरठ के सिपाहियों ने 10 मई को ही विद्रोह की शुरुआत कर दी थी.
शाहजहांपुर में 31 मई 1857 का इतिहास रक्तपात से भरा हुआ है. गौरतलब है कि 10 मई को मेरठ में भड़की विद्रोह की चिंगारी शाहजहांपुर में आकर शोला बन चुकी थी. क्रांतिकारियों ने 31 मई 1857 को शाहजहांपुर के चर्च में जिले के कलेक्टर को तलवार से काट दिया था. उसका परिवार बमुश्किल बचकर भागा. भीषण रक्तपात के बाद विद्रोहियों ने शाहजहांपुर को स्वतंत्र घोषित कर दिया था. अगले एक वर्ष तक शाहजहांपुर संघर्ष चलता रहा.
28वीं रेजिमेंट की इस बटालियन ने किया विद्रोह
एसएस कॉलेज के इतिहास विभागाध्यक्ष और 1857 के संग्राम पर किताब लिखने वाले डॉ. विकास खुराना बताते हैं कि जब दिल्ली और लखनऊ जैसे बड़े शहरों पर अंग्रेजों ने अपनी हुकूमत कायम कर ली थी. उसके बाद अंग्रेजों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन छेड़ा गया. डॉ विकास खुराना बताते हैं कि 28वीं रेजिमेंट की पहली बटालियन के जवाहर राय और उनके साथी काजी सरफराज अली ने शाहजहांपुर से इस क्रांति का बिगुल फूंकने का जिम्मा संभाला था. काज़ी सरफराज अली देश भर के मुस्लिम उलेमाओं से संपर्क कर रहे थे. 31 मई को देशभर में एक साथ क्रांति छेड़ने का फैसला लिया गया लेकिन मेरठ में 10 मई को ही विद्रोह फूट पड़ा.
मेरठ में समय से पहले हो गया विद्रोह
इतिहासकार डॉ. विकास खुराना बताते हैं कि 6 मई को कुछ सैनिकों को ब्रिटिश हुकूमत द्वारा सजा दी गई. इसके बाद 9 मई को उसी बटालियन के कुछ सैनिक मेरठ की सड़कों पर निकले तो कुछ महिलाओं ने उनके सामने चूड़ियां फेंक दी. इसके बाद उन्हें सैनिकों ने 10 मई को मेरठ में विद्रोह छेड़ दिया गया.
देशभर से क्रांतिकारी आते थे शाहजहांपुर
डॉ. खुराना बताते हैं कि जवाहर राय और काजी सरफराज अली से मिलने के लिए मुगल बादशाह के जनरल बख्त खां, नाना साहब, तात्या टोपे और बेगम हजरत महल जैसे क्रांतिकारी भी शाहजहांपुर आए और यहां से आंदोलन को धार दी. डॉ विकास खुराना ने बताया कि काजी सरफराज अली खान और जवाहर राय गोरखपुर के रहने वाले थे. काजी सरफराज अली खान उलेमाओं की उस विंग को लीड कर रहे थे. जो देश में अंग्रेजों के खिलाफ माहौल बना रहे थे.
31 मई को शाहजहांपुर में हुआ था बड़ा संघर्ष
डॉ. विकास खुराना बताते हैं कि 31 मई 1857 को सुबह जवाहर राय और रामनारायण दुबे, ग्रेनेडियर कंपनी के सिपाही महादेव, तीसरी कंपनी के सिपाही ठाकुर बिंदा सिंह, रामदीन सिंह और शिव शरण सिंह ने शाहजहांपुर के सेंट मैरी चर्च में पूजा करने पहुंचे अंग्रेज अधिकारियों पर तलवारों से हमला कर दिया. इस हमले में तत्कालीन डीएम एम रिक्रेट, डॉ. बाउलिंग, कैप्टन जेम्स, मेजर पॉवेल, रेव जे मैकुलम, मिस्टर लिमिस्टियर और स्मिथ सहित कई अंग्रेज अधिकारियों को मौत के घाट उतार दिया.
चर्च के अंदर घुसना चाहते थे क्रांतिकारी
अंग्रेज अधिकारियों को मौत के घाट उतारने के बाद क्रांतिकारियों ने चर्च के अंदर मौजूद महिलाओं और बच्चों के ऊपर भी हमला करना चाहा. लेकिन चर्च के दरवाजे अंदर से बंद थे. क्रांतिकारी तलवारों से दरवाजा को तोड़ने का प्रयास करते रहे लेकिन वह चर्च के अंदर प्रवेश नहीं कर पाए. इसके बाद क्रांतिकारी परेड लाइन से बंदूकें के लेने के लिए चले गए. तब तक चर्च के अंदर मौजूद महिलाओं और बच्चों का रेस्क्यू कर लिया गया.
Tags: Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : May 30, 2024, 16:21 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed