बाढ़ से तबाह हो गई किसानों की फसल भूखे मर रहे मवेशी प्रशासन से मिली निराशा
बाढ़ से तबाह हो गई किसानों की फसल भूखे मर रहे मवेशी प्रशासन से मिली निराशा
शाहजहांपुर में बाढ़ पीड़ित किसानों की जब प्रशासन ने नहीं सुनी तो किसानों ने खुद मोर्चा संभाल लिया. किसान नदी के टूटे हुए बांध को खुद बांध रहे हैं. बांध को बांधने के लिए किसानों ने क्षेत्र से चंदा इक्कठा किया है. किसानों को आशंका है कि दोबारा बाढ़ आने से उनकी फसलें बर्बाद न हो जाएं.
सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर: बीते दिनों भारी बारिश और उफान पर आई नदियों के बाद उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बाढ़ ने जमकर तबाही मचाई. शाहजहांपुर में भी गर्रा और खन्नौत नदी उफान पर थी. नदियों में बाढ़ आने की वजह से आसपास के हजारों एकड़ में पानी ही पानी भर गया. बाढ़ की चपेट में आने से किसानों की फसलें तो बर्बाद हुई हैं. इसके अलावा आबादी क्षेत्र में भी लोगों को भारी नुकसान हुआ है, लेकिन बाढ़ के बाद शाहजहांपुर से पीड़ित किसानों के हतोत्साहित होने की तस्वीरें भी सामने आई है. यहां बाढ़ की वजह से बर्बाद हुए किसानों की सुनने वाला अब कोई नहीं. किसान दोबारा फसल लगाना चाह रहे हैं, किसानों को डर है कि नदी के पानी से उनकी फसलें फिर से बर्बाद न हो जाएं. किसान नदी के टूटे हुए बांध को दुरुस्त करवाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन जब किसी ने नहीं सुनी तो अब किसान खुद ही बांध को दुरुस्त कर रहे हैं.
दो नदियों के बीच बसा हुआ शहर शाहजहांपुर, यहां बाढ़ आने के बाद नदियों ने जमकर तबाही मचाई. शहर के दोनों ओर से गुजरने वाली गर्रा और खन्नौत नदी ने हजारों एकड़ क्षेत्र को बाढ़ की चपेट में ले लिया. शहर के शहबाजनगर में गर्रा नदी ने जमकर तबाही मचाई है. यहां नदी किनारे बना अंग्रेज़ों के जमाने का बांध टूटने के बाद बड़े क्षेत्र में पानी भर गया. पानी भरने से किसानों की धान और गन्ने की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई है. मवेशी भूखे मर रहे हैं. बाढ़ का दंश झेलने के बाद मायूस किसान जब प्रशासन से मदद की गुहार लगाने पहुंचे, तो वहां भी मायूसी ही हाथ लगी. किसानों का कहना है कि प्रशासन ने उनकी एक नहीं सुनी. किसान प्रशासन से मांग कर रहे थे कि नदी के टूटे हुए बांध को दुरुस्त कराया जाए अन्यथा नदी में जरा सा जलस्तर बढ़ने के बाद एक बार फिर से नदी का पानी उनके खेतों में चला जाएगा. मायूस किसानों ने खुद जिम्मा संभाला और चंदा इकट्ठाकर बांध को दुरुस्त करना शुरू कर दिया है.
आखिर कैसे टूटा नदी का बांध
किसान अमित में बताया कि 10 जुलाई को नदी में जल स्तर बढ़ा तो एक जगह से बांध टूटने की जानकारी मिली. जिसके बाद क्षेत्र के सैंकड़ों की संख्या में लोग मौके पर पहुंचे और बोरियों में मिट्टी भरकर बांध की मरम्मत कर दी. कुछ ही देरी में दूसरी जगह से भी बांध की मिट्टी खिसकने लगी, तो किसानों ने इकट्ठे होकर वहां भी बोरियां लगाकर बांध को मजबूत किया, लेकिन जब तीसरी जगह से बांध टूट गया तो किसान अपने घरों की ओर भाग गए और गृहस्थी के सामान को निकालने लगे, लेकिन पानी का बहाव इतना तेज था कि बहुत से ऐसे परिवार रहे जो अपना दो वक्त की रोटी के लिए सामान भी सुरक्षित नहीं कर पाए. कुछ ही मिनटों में पूरे क्षेत्र में पानी की पानी हो गया.
प्रशासन ने भी किया निराश
नदी का जलस्तर गिरने के बाद पानी कम हुआ तो क्षेत्र के लोगों ने इकट्ठे होकर जिला अधिकारी से मदद की गुहार लगाई, तो जिलाधिकारी ने कहा कि वह लोग उनके पास शिकायत करने की बजाय अपनी समस्या को लखनऊ जाकर बताएं. वह इस मामले में कोई मदद नहीं कर सकते. जिसके बाद किसानों ने सिंचाई विभाग में भी बांध को बंधवाने की मांग की. किसानों का कहना है कि सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने कहा कि इस बांध को लेकर उनके पास कोई रिकार्ड मौजूद नहीं है और ना ही कभी उनके विभाग के द्वारा इस बांध पर कोई काम कराया गया है. जांच करा कर कार्रवाई की जाएगी.
किसानों ने खुद जिम्मा संभाला
कई जगह से निराशा हाथ लगने के बाद किसानों ने खुद ही मोर्चा संभाल लिया. किसानों ने चंदे से पैसा इकट्ठा कर बांध को बांधने की योजना बनाई. अब किसान एक दर्जन ट्रैक्टर और जेसीबी मशीन की मदद से मिट्टी डालकर बांध को बांधने का प्रयास कर रहे हैं. क्योंकि किसानों को डर सता रहा है कि अगर बांध को नहीं बांधा गया तो नदी का जरा सा भी जलस्तर बढ़ने के बाद उनके फसलें फिर से नष्ट हो जाएंगी.
भूखे मर रहे हैं मवेशी
शाहबाज नगर क्षेत्र के रहने वाले किसान अमित कुमार का कहना है की बाढ़ की चपेट में आने से कई गांव प्रभावित हुए हैं. लोगों के पास मवेशियों को खिलाने के लिए चारा नहीं बचा है. किसानों की फसलें बर्बाद हो गई है लेकिन प्रशासन किसानों की कोई मदद नहीं कर रहा.
छत पर बैठ कर बचाई जान, नहीं मिली कोई मदद
किसान बख्शीश सिंह का कहना है कि बाढ़ का पानी उनके घरों में 5 से 6 फिट तक भर गया था. फसलें भी पूरी तरह से डूब गई. गन्ने की फसल सुख गई है. इसके अलावा उनकी 25 एकड़ बासमती धान की फसल भी बर्बाद हो गई. गांव के प्रधान से लेकर प्रशासन के किसी अधिकारी ने बाढ़ पीड़ितों की कोई मदद नहीं की. बाढ़ के दौरान भी किसी तरह की कोई राहत सामग्री उन तक नहीं पहुंचाई गई. उन्होंने अपने परिवार के साथ एक सप्ताह तक घर की छत के पर बैठकर किसी तरह से अपनी जान बचाई.
Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : July 22, 2024, 14:51 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed