Baloda Bazar: पंथ के लोगों का नंगा नाच फिर बड़े नेताओं पर एक्शन क्यों नहीं

छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार में सोमवार को सतनामी पंथ के प्रदर्शन में भड़की हिंसा पुलिस प्रशासन की एक कमजोर कड़ी दिखती है. करीब एक माह से चल रहे इस विवाद में पुलिस का स्थानीय खुफिया तंत्र पूरी तरह विफल रहा. वह अब भी पंथ के बड़े नेताओं पर हाथ डालने से बचता दिख रहा है.

Baloda Bazar: पंथ के लोगों का नंगा नाच फिर बड़े नेताओं पर एक्शन क्यों नहीं
छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में सतनामी समाज के प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा कई सवाल पैदा करती है. इस हिंसा में करीब 75 वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया. कई पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हैं. एसपी ऑफिर में आग लगा दी गई. इसके बाद जिला प्रशासन ने धारा 144 लगाकर कार्रवाई शुरू की है. बड़ी संख्या में लोगों को गिरफ्तार किया गया है. लेकिन, घटना घट जाने और करोड़ों रुपये की संपत्ति के नुकसान के बाद अब प्रशासन के इस कार्रवाई का क्या मतलब है. क्या है पूरा मामला सतनामी समुदाय के एक धार्मिक स्तंभ को नुकसान पहुंचाने के मामले में समुदाय के लोग यह प्रदर्शन कर रहे थे. जिले के गिरौदपुरी में 15 दिन पहले अमर गुफा में जैतखंभ में तोड़फोड़ की गई थी. इसके बाद जिला पुलिस ने तीन आरोपियों की गिरफ्तारी किया था. लेकिन सतनामी समाज के लोग आरोपी की पहचान सही नहीं होने के कारण मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे. इसमें प्रदर्शनकारियों ने सोमवार दोपहर को जिला कलेक्ट्रेट परिसर को घेर लिया. वे उग्र हो गए. प्रदर्शनकारियों ने पथराव, तोड़फोड़ के बाद आगजनी करते हुए कलेक्टर परिसर में खड़े कार और कई वाहनों के साथ एसपी ऑफिस में भी आग लगा दी. इस घटना में कई पुलिसकर्मी जख्मी हुए हैं. क्या जैतखंभ दरअसल, सतनाम पंथ एक धार्मिक आंदोलन है. इसकी स्थापना 19वीं सदी में घासीदास ने की थी. इस पंथ के अधिकतर लोग दलित समुदाय से आते हैं. जैतखंभ को सतनामी समाज एक पवित्र प्रतीक के रूप में पूजता है. यह लौदाबाजार जिले के गिरौदपुरी धाम में पवित्र अमर गुफा में स्थित है. देर से एक्शन में आई सरकार पहली बात तो यह कि अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने के लिए किसी भी समुदाय को हिंसा की छूट नहीं दी जा सकती. इस मामले में सरकार और प्रशासन को कड़ा रुख अपनाना चाहिए. सतनामी समुदाय ने लिखित में यह कहा था कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण होगा. प्रशासन का कहना है कि लगभग पांच हजार की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़ दिए और पुलिसकर्मियों पर पथराव किया जिसमें अधिकारियों सहित कई पुलिसकर्मी घायल हो गए. एक अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार ने पहले ही जैतखंभ में तोड़फोड़ की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं. उन्होंने बताया कि विभिन्न संगठनों और सतनामी समुदाय के प्रतिनिधियों की मांग पर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. फिर सवाल यह है कि जब मामले की न्यायिक जांच के आदेश हो गए थे तो पंथ को आंदोलन की अनुमति क्यों दी गई. प्रशासन ने उसने बातचीत क्यों नहीं की. प्रशासन का खुफिया तंत्र फेल इतने व्यापक स्तर पर कोई भी हिंसा अचानक नहीं हो सकती. इससे पता चलता है कि पुलिस का स्थानीय खुफिया तंत्र पूरी तरह फेल था. अब प्रशासन ने बलौदाबाजार क्षेत्र में धारा 144 लागू की है. यह आदेश 16 तारीख को रात 12 बजे तक जारी रहेगा. छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध संत बाबा घासीदास ने सतनाम पंथ की स्थापना की थी. राज्य की अनुसूचित जातियों में बड़ी संख्या सतनामी समाज के लोगों की है तथा यह समाज यहां के प्रभावशाली समाजों में से एक है. पंथ के बड़े नेता क्यों नहीं हुए गिरफ्तार पुलिस का कहना है कि वीडियो फुटेज के आधार पर हिंसा में लिप्त प्रदर्शनकारियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है. लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि अभी तक पंथ के बड़े नेता क्यों नहीं गिरफ्तार किए गए है. जिन्होंने इन प्रदर्शन में हिंसा नहीं होने का आश्वासन दिया था वे नेता कहां हैं. पुलिस को बिना किसी राजनीतिक दबाव के सबसे पहले इन नेताओं पर सलाखों के भीतर डालना चाहिए. Tags: Balodabazar newsFIRST PUBLISHED : June 11, 2024, 14:01 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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