SC में तो कमाल हो गया! तुषार मेहता ने कही ऐसी बात सिबब्ल भी बोले हम साथ-साथ

SG Tusar Mehta Vs Kapil Sibal: देश के जाने माने वकील कपिल सिब्बल और सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता जो आमतौर पर बहस के दौरान एक-दूसरे का जोरदार विरोध करते हैं. लेकिन बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में कमाल हो गया. दोनों एक मामले पर एक दूसरे के साथ सहमत हो गए.

SC में तो कमाल हो गया! तुषार मेहता ने कही ऐसी बात सिबब्ल भी बोले हम साथ-साथ
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को गजब हो गया. देश के जाने माने वकील कपिल सिब्बल और सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता जो आमतौर पर बहस के दौरान एक-दूसरे का जोरदार विरोध करते हैं, एक मामले पर एक दूसरे से सहमत हो गए. दरअसल मामला सुप्रीम कोर्ट द्वारा अदालती छुट्टियों के बारे में है. कोर्ट की टिप्पणी के बाद दोनों इस मामले पर सहमत नजर आए. बार बेंच की रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट ने टिप्पणी की कि जो लोग अदालत की छुट्टियों की आलोचना करते हैं उन्हें यह एहसास नहीं है कि न्यायाधीशों को वीकेंड का आनंद भी नहीं मिलता है. यह टिप्पणी न्यायमूर्ति बीआर गवई ने की, जो न्यायमूर्ति संदीप मेहता के साथ संविधान के अनुच्छेद 131 (केंद्र-राज्य विवादों के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय का मूल क्षेत्राधिकार) के तहत पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दायर एक मूल मुकदमे की सुनवाई कर रहे थे. पढ़ें- ‘मीलॉर्ड मुझे कोई समस्या नहीं है…’ अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में क्यों दी यह दलील, कहा- मुझे नहीं लगता कि… सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा SG मेहता के अनुरोध पर मामले को गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया. जैसे ही मामला ख़त्म हुआ, न्यायमूर्ति गवई ने एसजी से मामले की सुनवाई से पहले अदालत में अपनी दलीलों पर एक नोट जमा करने को कहा. कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर तीन दिन में बहस पूरी हो सकी तो कोर्ट आगामी गर्मी की छुट्टियों के दौरान फैसला लिखेगा. ये था पूरा मामला कोर्ट ने वर्तमान पीठ के समक्ष मामले के अधूरे रहने की संभावना का जिक्र करते हुए कहा कि ‘पिछली बार की तरह ऐसा नहीं होना चाहिए. हम जुलाई के बाद की बेंचों को नहीं जानते…’ इस स्तर पर, भारत में अदालतों की लंबी छुट्टियों पर एक अनौपचारिक बातचीत शुरू हुई. SG मेहता ने कहा कि जो लोग अदालतों की आलोचना करते हैं, उन्हें उनकी कार्यप्रणाली के बारे में पता नहीं है. SG तुषार मेहता ने क्या कहा उन्होंने आगे कहा कि ‘लॉर्डशिप को हल्के-फुल्के अंदाज में ग्रीष्मकालीन अवकाश का समय बर्बाद नहीं करना चाहिए. करने के लिए बेहतर काम हैं और लॉर्डशिप में वैसे भी एक दिन में 60 मामले होते हैं. जो लोग उच्च न्यायालय, सुप्रीम कोर्ट के लंबे अवकाश की आलोचना करते हैं, उन्हें नहीं पता कि न्यायाधीश कितना काम करते हैं.’ . Tags: Kapil sibal, Supreme Court, Tushar mehtaFIRST PUBLISHED : May 2, 2024, 07:59 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed