धान की फसल को बर्बाद कर देता है यह रोग जानिए बचाव के उपाय

राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के सहायक विकास अधिकारी दिलीप कुमार सोनी बताते हैं कि धान की फसल में कई प्रकार के कीट- रोग एवं वायरस जनित रोग लगते हैं.

धान की फसल को बर्बाद कर देता है यह रोग जानिए बचाव के उपाय
सौरभ वर्मा/रायबरेली: हल्की हल्की बूंदाबांदी के साथ ही मानसून ने दस्तक दे दी है.मानसून का आना किसानों के लिए एक तरह से खुशी का पैगाम माना जाता है.क्योंकि मानसून के आते ही किसान धान की रोपाई के लिए तैयारी शुरू कर देते हैं.आपको बताते चलें कि धान की फसल खरीफ के सीजन की मुख्य फसल मानी जाती है. किसान धान की फसल से अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए तरह-तरह के उर्वरकों एवं रोग से बचाव के लिए कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं. जिससे कि उनकी फसल को किसी भी प्रकार का नुकसान न होने पाए. परंतु कुछ रोग वायरस जनित होते हैं. जो धान की नर्सरी के समय ही प्रभावित हो जाते हैं. जिससे फसल की ग्रोथ कम पड़ जाती है .स्पाइनारियो विरिडे समूह के वायरस का प्रकोप होने पर धान का पौधा बौना हो जाता है. जिसका सीधा असर धान की पैदावार पर पड़ता है. साथ ही फसल भी खराब होने लगती है .तो आइए कृषि विशेषज्ञ से जानते हैं इससे बचाव के उपाय के बारे में . कृषि के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव रखने वाले रायबरेली के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के सहायक विकास अधिकारी दिलीप कुमार सोनी बताते हैं कि धान की फसल में कई प्रकार के कीट- रोग एवं वायरस जनित रोग लगते हैं. इन्हीं में से एक है स्पाइनारियोविरिडे समूह का वायरस, जो धान की फसल को बौना कर देता है. जिससे किसानों की फसल बर्बाद हो जाती है. ये हैं लक्षण  वह बताते हैं कि कीट पतंगों के द्वारा फैलने वाले इस वायरस जनित रोग के प्रभावी होने पर धान का बुवाई के शुरुआती दिनों में ही धान के पौधे की पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं. पौधा ज्यादा हरा दिखाई देता है. परंतु ग्रोथ नही होती है. जड़ों में कालापन आ जाता है. धान की फसल में यह लक्षण दिखने पर कृषि विशेषज्ञ से सलाह लेकर इसकी रोकथाम के लिए इसमें जरूरी कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए. ऐसे करें रोकथाम  LOCAL 18 से बात करते हुए एडीओ एजी बताते हैं कि धान की फसल में बौनेपन की समस्या से निजात पाने के लिए किसान व्हाइट बैक प्लांट हापर, ग्रीन प्लांट हापर, ब्राउन प्लांट हापर का नियंत्रण करके निजात पा सकते हैं. क्योंकि यह वायरस कीट पतंगों के कारण ही फैलता है. साथ ही इससे बचाव के लिए रासायनिक उर्वरकों की जगह जैविक उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए. आगे की जानकारी देते हुए बताते हैं कि यदि यह  रोग फसल में ज्यादा प्रभावी है, तो कृषि विशेषज्ञ की सलाह पर उचित कीटनाशक का प्रयोग करके किसान अपनी फसल को इस वायरस जनित रोग से बचाव कर सकते हैं. साथ ही वह बताते हैं कि किसान फसल रोपाई की जगह सीधी बुवाई करके भी इससे निजात पा सकते हैं. Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : June 26, 2024, 12:13 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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