यूरिन को फिल्टर कर पिएंगे पानी खास सूट तैयार स्पेस में इजी होगी लाइफ!
यूरिन को फिल्टर कर पिएंगे पानी खास सूट तैयार स्पेस में इजी होगी लाइफ!
Science News: सुनिता विलियम्स और दिवंगत कल्पना चावला जैसी स्पेस यात्री साइंस में रूचि रखने वाले हर भारतीय यूथ की आइडियल हैं. लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि इन स्पेस यात्रियों को अंतरिक्ष में कैसी जिंदगी बितानी पड़ती है. अंतरिक्ष का इनका सफर जितना रोमांचक है वह उतना ही कष्टदायी भी होता है.
Science News: अंतरिक्ष में हर चीज की परेशानी होती है. अंतरिक्ष यात्रियों का पूरा बॉडी क्लॉक बदल चुका होता है. बॉडी पर खुद का कंट्रोल नहीं रहता. उनको पीने के पानी से लेकर टॉयलेट जाने तक में परेशानी होती है. क्योंकि वहां कोई ग्रेविटी नहीं होती और इस कारण बॉडी से निकलने वाले वेस्ट मैटेरियल जैसे मल और पेशाब को भी अलग करने में दिक्कत आती है. ऐसे में अंतरिक्ष यात्रियों की एक सबसे बड़ी परेशानी को दूर करने के लिए साइंटिस्टों ने एक ऐसा सूट बनाया है जो उनके पेशाब को पेय जल में कंवर्ट कर देगा. फिर इस पेयजल में ग्लूकोज और प्रोटीन मिक्स कर स्पेस यात्रियों की बॉडी के लिए जरूरी ऊर्जा उपलब्ध करवाई जाएगी.
दरअलस, अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा बीते करीब 40 सालों से एक ही स्पेस सूट का इस्तेमाल कर रहा है. इस सूट को पहनकर स्पेस वॉक पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कई बार शरीर से निकलने वाले वेस्ट मैटेरियल जैसे मल, पेशाब, पसीना… सब मिक्स हो जाते हैं और उनकी पूरी बॉडी दूषित हो जाती है. लेकिन, उनके पास इससे बचने का कोई उपाय नहीं होता. अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन से एक स्पेस वॉक के दौरान एक यात्री को करीब 6:30 घंटे तक बाहर रहना पड़ता है. इस कारण उनको पानी और शरीर के लिए जरूरी ऊर्जा की कमी का सामना करना पड़ता है.
आधा लीटर पेशाब से 400 एमएल पानी
सीएनएन की वेबसाइट पर इस खास सूट के बारे में एक खास रिपोर्ट छपी है. इस खास सूट को न्यूयॉर्क के वेल कार्नेल मेडिकल कॉलेज के साइंटिस्टों ने तैयार किया है. इस ड्यून (Dune) सूट नाम दिया गया है. इसका प्रोटोटाइप तैयार हो गया है. इस सूट में बैक पर एक खास किस्म का फिल्टर लगाया गया है, जो पेशाब को फिल्टर कर उसे पेय जल में कंवर्ट कर देता है.
इसकी क्षमता पांच मिनट में 500 एमएल पेशाब फिल्टर करने की है. इस 500 एमएल पेशाब को फिल्टर इस खास सूट से करीब 400 एमएल पेय जल हासिल किया जा सकता है. फिर इस सूट में ही ग्लूकोज और अन्य पोषक तत्व मिलाने की तकनीक है. इससे स्पेस यात्रियों की जिंदगी काफी आसान हो जाएगी. अगर नासा इस सूट को स्वीकार कर लेता है तो आने वाले वक्त में स्पेस में जाने वाले यात्रियों की जिंदगी थोड़ी बेहतर हो जाएगी.
हालांकि इस सूट को अभी नासा के कई अन्य मानकों पर खरा उतरना होगा. अभी इस सूट की सबसे बड़ी कमी यही है कि यह मौजूदा सूट की तुलना में आठ किलो ज्यादा वजनदार है. लेकिन, इसे बनाने वाली कंपनी का दावा है अंतरिक्ष यात्री इसकी खूबियों को देखते हुए इसे आसानी से अपना लेंगे.
Tags: Nasa study, Space ScienceFIRST PUBLISHED : July 16, 2024, 14:11 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed