जवानी बुढ़ापा नहीं भारत के बचपन के बारे में आई ये डराने वाली रिपोर्ट
जवानी बुढ़ापा नहीं भारत के बचपन के बारे में आई ये डराने वाली रिपोर्ट
School Numbers Dip: UDISE+ की एक रिपोर्ट ने भारत में तहलका मचा दिया है. यह रिपोर्ट संकेत देता है कि भारत में बचपन खतरे में हैं. क्योंकि स्कूलों में बच्चों के एडमिशन की संख्या घट रही है. UDISE+ रिपोर्ट के अनुसार, कई सालों में पहली बार स्कूलों में छात्रों के नामांकन में 2022-23 और 2023-24 में एक करोड़ से अधिक की गिरावट आई है.
हाइलाइट्स स्कूलों में छात्रों का नामांकन घटा है. 2022-23 से अब तक 1 करोड़ से ज़्यादा की कमी. शिक्षा मंत्रालय ने बेहतर डेटा कलेक्शन को बताया कारण.
नई दिल्ली: देश में एक ऐसी रिपोर्ट सामने आई है, जिसने सरकार को सोचने पर मजबूर कर दिया है. यह रिपोर्ट जवान लोगों या बुजुर्गों पर नहीं है. यह रिपोर्ट भारत के बचपन की है. इस रिपोर्ट के बाद सरकार को तुरंत एक्शन लेने की जरूरत है. स्कूलों में बच्चों की संख्या घट रही है. यह बतौर समाज चिंताजनक और सोचने वाली स्थिति है. हालांकि UDISE+ की रिपोर्ट ने थोड़ी राहत जरूर दी है. UDISE+ रिपोर्ट के अनुसार, कई सालों में पहली बार स्कूलों में छात्रों के नामांकन में 2022-23 और 2023-24 में एक करोड़ से अधिक की गिरावट आई है. जबकि पिछले चार सालों में हर साल औसतन लगभग 26 करोड़ की गिरावट आई थी, अधिकारियों ने इस गिरावट का श्रेय बेहतर डेटा कलेक्शन विधियों को दिया है.
इंडिन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार UDISE भारत में स्कूली शिक्षा पर सबसे व्यापक डेटाबेस है. यह प्री-प्राइमरी से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्तर तक शिक्षा की गुणवत्ता की निगरानी और मूल्यांकन के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्य करता है. यह रिपोर्ट शिक्षा मंत्रालय द्वारा नामांकन, शिक्षकों की संख्या और स्कूलों की संख्या जैसे मापदंडों पर राज्यों द्वारा सीधे दिए गए डेटा के आधार पर तैयार की जाती है.
लेटेस्ट रिपोर्ट से पता चलता है कि 2018-19 से 2021-22 तक स्कूल नामांकन 26 करोड़ से ऊपर रहा, जिसमें हर साल कुछ लाख छात्रों की मामूली वृद्धि हुई. जबकि 2020-21 के जिस समय कोविड का दौर था उस दौरान थोड़ी गिरावट आई थी, इस पूरे समय में संख्या 26 करोड़ से ऊपर रही. पहली बार, नामांकन के आंकड़े 2022-23 में 25.17 करोड़ तक गिर गए और 2023-24 में और घटकर 24.8 करोड़ हो गए. यह 2018-19 से 2021-22 की अवधि से लगभग 1.55 करोड़ छात्रों (लगभग 6 प्रतिशत) की गिरावट दर्शाता है, जब नामांकन औसत 26.36 करोड़ था.
सरकार ने क्या कहा?
शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने नामांकन में गिरावट को स्वीकार किया, लेकिन कहा कि यह 2022-23 में लागू किए गए संशोधित डेटा कलेक्शन विधियों से उपजा है. नई प्रणाली के तहत, स्कूलों को अब केवल स्कूल-स्तरीय संख्याओं के बजाय छात्र-विशिष्ट जानकारी प्रदान करनी होगी. इसके लिए हर छात्र के लिए विस्तृत रिकॉर्ड की आवश्यकता होती है. इसमें उनका नाम, माता-पिता का नाम, पता और आधार संख्या शामिल है, न कि केवल कुल कक्षा संख्या की रिपोर्ट करना. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “इससे कुछ संख्याएं समाप्त हो सकती हैं, जैसे कि वे बच्चे जो सरकारी स्कूल और निजी दोनों में रजिस्टर्ड हैं.”
Tags: Education news, School Shut downFIRST PUBLISHED : January 1, 2025, 09:38 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed