लड़की-लड़की और लड़के-लड़के की शादी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे कई वकील की ये मांग

Same Sex Marriage News:वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, नीरज किशन कौल, मेनका गुरुस्वामी, अधिवक्ता करुणा नंदी और अरुंधति काटजू जैसे वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने मौखिक उल्लेख के दौरान मुख्य न्यायाधीश से आग्रह किया कि समीक्षा याच‍िका की सुनवाई ओपन कोर्ट में की जाए, न कि उनके कमरों की गोपनीयता में जैसा कि आमतौर पर किया जाता है. हालांकि, सीजेआई ने कहा कि ऐसा नहीं किया जा सकता.

लड़की-लड़की और लड़के-लड़के की शादी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे कई वकील की ये मांग
नई द‍िल्‍ली. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्‍ट‍िस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने 9 जुलाई को वकीलों के मौखिक अनुरोध पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की है. आपको बता दें क‍ि 10 जुलाई यानी कल को ओपन कोर्ट में समलैंगिक विवाह (सेम सेक्‍स मैर‍िज) को वैध बनाने से इनकार करने वाले अपने बहुमत के फैसले की संविधान पीठ द्वारा समीक्षा की जाएगी. वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, नीरज किशन कौल, मेनका गुरुस्वामी, अधिवक्ता करुणा नंदी और अरुंधति काटजू जैसे वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने मौखिक उल्लेख के दौरान मुख्य न्यायाधीश से आग्रह किया कि समीक्षा याच‍िका की सुनवाई ओपन कोर्ट में की जाए, न कि उनके कमरों की गोपनीयता में जैसा कि आमतौर पर किया जाता है. हालांकि, सीजेआई ने कहा कि ऐसा नहीं किया जा सकता. वरिष्ठ अधिवक्ता एनके कौल ने ‘विवाह समानता’ निर्णय के खिलाफ समीक्षा याचिका का उल्लेख किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानून में वैध मानने से इनकार कर दिया था. सीजेआई ने पूछा क‍ि ओपन कोर्ट में समीक्षा कैसे की जा सकती है, आप जानते हैं कि यह चैंबर में होती है. पीठ ने कहा कि समीक्षा चैंबर में तय की जाती है और संविधान पीठ सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका के गुण-दोष पर विचार करेगी. सीजेआई ने कहा क‍ि समीक्षा याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई की जाए या नहीं, इसका फैसला भी चैंबर में न्यायाधीशों द्वारा वकीलों के बिना किया जाता है. फैसला देने वाले 2 जज र‍िटायर हो चुके पुनर्विचार याचिका पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ सुनवाई करेगी, जिसमें न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, हिमा कोहली, बीवी नागरत्ना और पीएस नरसिम्हा शामिल हैं. उल्लेखनीय है कि समलैंगिक विवाह पर फैसला सुनाने वाले पांच न्यायाधीशों की पीठ के दो न्यायाधीश, न्यायमूर्ति रवींद्र भट और एसके कौल, 2023 में सेवानिवृत्त हो गए हैं. क्‍या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला पिछले साल अक्टूबर में, सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने भारत में समलैंगिक विवाह को वैध बनाने के खिलाफ फैसला सुनाया था. इस मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक पेटेंट वकील उदित सूद ने अक्टूबर 2023 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए समीक्षा याचिका दायर की. अक्टूबर 2023 में, सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से माना कि विवाह करने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है और न्यायालय LGBTQIA+ व्यक्तियों को विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह करने के अधिकार को मान्यता नहीं दे सकता है. पांच न्यायाधीशों की पीठ ने विशेष विवाह अधिनियम, 1954 की वैधता को बरकरार रखा. शीर्ष अदालत ने समलैंगिक जोड़ों के विवाह करने या नागरिक संघ बनाने के अधिकार को मान्यता देने से इनकार कर दिया. Tags: Same Sex Marriage, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : July 9, 2024, 13:26 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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