दोहरा मापदंड विनाश का रास्ता संभल हिंसा पर जमीयत ने SC में लगाई गुहार

Sambhal Violence: संभल में 24 नवंबर को जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हालत खराब हो गई, जिसमें पत्थर बाजी और आगजनी की घटना में चार लोगों की मौत हो गई और करीब 20 लोग घायल हो गए.

दोहरा मापदंड विनाश का रास्ता संभल हिंसा पर जमीयत ने SC में लगाई गुहार
नई दिल्ली. संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर हुई हिंसा का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने उत्तर प्रदेश के संभल जैसी घटना को रोकने के लिए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. मौलाना अरशद मदनी ने कहा, “पूजा स्थलों की सुरक्षा के लिए कानून के वास्तविक स्वरूप को लागू करने की कमी के कारण देश में संभल जैसी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है. इन घटनाओं को रोका जाना बहुत जरूरी है. पूजा स्थल अधिनियम-1991 के बावजूद निचली अदालतें मुस्लिम पूजा स्थलों का सर्वे करने के आदेश जारी कर रही हैं, जो कि कानून का उल्लंघन है.” उन्होंने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने पूजा स्थलों की सुरक्षा के कानून की सुरक्षा और उसके प्रभावी कार्यान्वयन (लागू) के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर पिछले एक साल से कोई सुनवाई नहीं हुई है. सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने केंद्र की मोदी सरकार को हलफनामा दाखिल करने के लिए कई बार मोहलत दी थी, लेकिन मामले की सुनवाई नहीं हो सकी थी. अब संभल की घटना के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अपील की है और जल्द से जल्द सुनवाई करने का अनुरोध किया है. मौलाना अरशद मदनी ने संभल में पुलिस फायरिंग की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि पुलिस की बर्बरता का एक लंबा इतिहास है, चाहे वह मलियाना हो या हाशिमपुरा, मुरादाबाद, हलद्वानी या संभल, हर जगह पुलिस का एक ही चेहरा देखने को मिलता है. पुलिस का काम कानून-व्यवस्था बनाए रखना और लोगों के जीवन तथा संपत्ति की रक्षा करना है, लेकिन दुर्भाग्य से पुलिस शांति की वकालत करने की बजाय अल्पसंख्यकों और विशेषकर मुसलमानों के साथ एक पार्टी की तरह व्यवहार करती है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि यह याद रखना चाहिए कि न्याय का दोहरा मापदंड अशांति और विनाश का रास्ता खोलता है. इसलिए, कानून का मानक सभी के लिए समान होना चाहिए. किसी भी नागरिक के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए. इसकी इजाजत ना तो देश का संविधान देता है और ना ही कानून. मौलाना ने कहा कि संभल में अराजकता, अन्याय और क्रूरता की एक जीती-जागती तस्वीर है, जिसे न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया के लोग अपनी आंखों से देख रहे हैं. अब नौबत गोलियों तक पहुंच गई है। कैसे संभल में बिना उकसावे के सीने में गोली मार दी गई. कई वीडियो वायरल हो चुके हैं, लेकिन अब एक बड़ी साजिश के तहत प्रशासन ये बताने की कोशिश कर रहा है कि जो लोग मारे गए, वो पुलिस ने नहीं, बल्कि किसी और की गोली से मरे हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि क्या पुलिस ने गोली नहीं चलाई, जबकि पुलिस की बंदूकों से गोलियों की बारिश हो रही थी, पूरी सच्चाई कैमरे में कैद है. उन्होंने कहा कि पुलिस को बचाने का मतलब है कि पुलिस ने मुस्लिम युवाओं को मारने के लिए अपनी रणनीति बदल दी है. इसके लिए उन्होंने अवैध हथियारों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. सिर्फ एक संभल ही नहीं देश के कई जगहों पर जिस तरह से विवाद हो रहे हैं, हमारे पूजा स्थलों के बारे में और जिस तरह से स्थानीय न्यायपालिका इन मामलों में गैर-जिम्मेदाराना फैसले ले रही है, वह 1991 में लाए गए धार्मिक पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन है. Tags: Maulana Arshad Madani, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : November 26, 2024, 23:12 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed