जब नहीं थे AC तो राजा-महाराजा कैसे करते थे सफर कैसे ठंडा होता था रेल कोच

मौजूदा समय भीषण गर्मी से स्‍लीपर और जनरल क्‍लास से सफर करने वाले यात्री भी परेशान हो रहे हैं. लेकिन आपने कभी सोचा है कि जब ट्रेनों में एसी क्‍लास नहीं होते थे तो राजा-महाराज कैसे सफर करते थे, गर्मी से बचने के लिए ट्रेनों में क्‍या व्‍यवस्‍था होती थी. आइए जानें!

जब नहीं थे AC तो राजा-महाराजा कैसे करते थे सफर कैसे ठंडा होता था रेल कोच
नई दिल्‍ली. मौजूदा समय भीषण गर्मी से लोग परेशान हैं. तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा रहा है. ऐसे में ट्रेनों में एसी क्‍लास में सफर करने वालों को कोई परेशानी नहीं हो रही है, लेकिन स्‍लीपर और जनरल श्रेणी में चलने वाले यात्रियों को परेशानी हो रही है. उन्हें लू के थपेड़े झेलने पर पड़ हैं. लेकिन आपने कभी सोचा है कि जब ट्रेनों में एसी क्‍लास नहीं होते थे तो राजा-महाराजा कैसे सफर करते थे, गर्मी से बचने के लिए ट्रेनों में क्‍या व्‍यवस्‍था होती थी. आइए जानें. भारत में पहली ट्रेन 16 अप्रैल 1853 को मुंबई (बॉम्बे) के बोरीबंदर से ठाणे के बीच चालाई गई थी. ट्रेन का पहला सफर तालियों की गड़गड़ाहट और 21 तोपों की सलामी के साथ ही शुरू हुआ था. पहले ट्रेनों को ठंडा करने के लिए कोई भी सिस्‍टम नहीं था. राजा-महराजा और रईस लोग गर्मियों में सफर करते थे. एसी से पहले ठंडक के लिए यह व्‍यवस्‍था हुई शुरू राजा-महराजाओं और अंग्रेज अफसरों को सफर के दौरान गर्मी परेशान करती थी. इससे बचने के उपाय खोजने शुरू किए गए और 1872 में सफलता हाथ लगी. आर गुप्‍ता की किताब भारतीय रेलवे के अनुसार ट्रेनों में एयर कूलिंग सिस्‍टम शुरू किया गया. फर्स्‍ट क्‍लास कोचों में इस तकनीक का इस्‍तेमाल किया गया और कोचों को ठंडा रखा जाने लगा. इस तरह गर्मियों से राहत मिलनी शुरू हुई. यह सिस्‍टम करीब 64 साल तक चलता रहा. एसी कोच की हुई शुरुआत देश में पहली बार एसी कोच 1936 में तैयार हुआ. हालांकि इस दिशा में काम पहले से चल रहा था. इस साल फर्स्‍ट क्‍लास के कुछ कोचों को एसी बनाया गया. देश में पहली बार चलती ट्रेनों में एसी का संचालन शुरू होना किसी अजूबे से कम नहीं था. दिल्‍ली-हावड़ा के बीच पहली एसी ट्रेन चली 1936 से लेकर 1956 तक यानी 20 साल तक प्रमुख ट्रेनों में ही एसी कोच लगाए जाते रहे. 1956 में देश में पहली बार पूरी ट्रेन एसी बनाई गयी, जो दिल्‍ली से हावड़ा के बीच चली. एसी थर्ड क्‍लास की हुई शुरुआत पहले एसी फर्स्‍ट और सेकेंड क्‍लास में लगा होता था. हालांकि 1988 में पहली शताब्‍दी ट्रेन की शुरुआत हुई. इसके बाद थर्ड क्‍लास को एसी बनाने पर काम शुरू हुआ और 1993 में इसमें सफलता मिली. ट्रेन में एसी थर्ड क्‍लास शुरू हुआ. इस तरह सिटिंग के अलावा थर्ड, सेकेंड और फर्स्‍ट क्‍लास में एसी कोच शुरू हुए. Tags: AC Trains, Indian railway, Indian Railway newsFIRST PUBLISHED : May 21, 2024, 15:13 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed