112 साल की हुई सबसे ‘बूढ़ी ट्रेन’ कभी मुंबई से पेशावर ‘हवा से करती थी बातें

मौजूदा समय 112 साल पुरानी एक ऐसी ट्रेन चल रही है, जो कभी प्रीमियम श्रेणी की होती थी और मुंबई से पेशावर तक 2494 किमी. का सफर केवल 47 घंटे में पूरी करती थी. आजादी के बाद इस ट्रेन का रूट छोटा कर दिया लेकिन बंद नहीं की गयी.

112 साल की हुई सबसे ‘बूढ़ी ट्रेन’ कभी मुंबई से पेशावर ‘हवा से करती थी बातें
नई दिल्‍ली. मौजूदा समय वंदेभारत से लेकर राजधानी शताब्‍दी जैसे कई प्रीमियम श्रेणी की ट्रेनें दौड़ रही हैं. वहीं , 112 साल पुरानी एक ऐसी ट्रेन चल रही है, जो कभी प्रीमियम श्रेणी की होती थी और मुंबई से पेशावर तक 2494 किमी. का सफर केवल 47 घंटे में पूरी करती थी. आजादी के बाद इस ट्रेन का रूट छोटा कर दिया लेकिन बंद नहीं की गयी. आप भी इससे से सफर कर इतिहास के गवाह बन सकते हैं. मुंबई से फिरोजपुर छावनी के बीच दौड़ने रही 12137/ 12138 पंजाब मेल ने आज एक जून को 112 वर्ष पूरे कर लिए हैं. पंजाब मेल प्रसिद्ध फ्रंटियर मेल से 16 वर्ष से अधिक पुरानी है. वास्तव में बैलार्ड पियर मोल स्टेशन, मुंबई जीआईपीआर सेवाओं का केंद्र था. पंजाब मेल या पंजाब लिमिटेड उस समय इस नाम से जानी जाती थी. 1 जून 1912 को आरंभ हुई. रेलवे के अनुसार बॉम्बे से पेशावर पंजाब मेल कब शुरू हुई, यह स्पष्ट नहीं‌ है. वर्ष 1911 के पेपर और 12 अक्टूबर 1912 को एक नाराज यात्री ने ‘दिल्ली में ट्रेन के देर से आगमन’ से संबंधित शिकायत दी थी. इससे अनुमान लगाया गया है कि पंजाब मेल ने 1 जून 1912 को बैलार्ड पियर मोल स्टेशन से यात्रा शुरू की है. पंजाब मेल मुंबई से फिरोजपुर छावनी तक की 1930 किमी तक की दूरी 52 स्टेशनों पर रुकने के वाबजूद औसतन स्पीड 59 प्रतिघंटे से 32 घंटे 35 मिनट में पूरी करती है. अब इसमें रेस्‍टोरेंट कार के स्‍थान पर पेंट्रीकार लगाई जाती है. कभी प्रीमियम ट्रेन होती थी पंजाब मेल. विभाजन से पहले सबसे तेज रफ्तार वाली ट्रेन विभाजन के पूर्व में पंजाब लिमिटेड ब्रिटिश भारत की सबसे तेज रफ्तार वाली ट्रेन थी. पंजाब लिमिटेड के मार्ग का बड़ा हिस्‍सा जीआईपी (ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे ) रेल पथ पर से इटारसी, आगरा, दिल्‍ली, अमृतसर तथा लाहौर होते हुए पेशावर छावनी में समाप्‍त हो जाता था. इस ट्रेन ने 1914 से बंबई वीटी (अब छत्रपति शिवाजी टर्मिनस मुंबई) से संचालन शुरू किया. बाद में इसे पंजाब लिमिटेड के स्‍थान पर पंजाब मेल कहा जाने लगा और इसकी रोजाना संचालन शुरू हो गयीं. चलती ट्रेन में बुजुर्गों को मिली ऊपर की बर्थ बदलाना हो या दवाई मंगवानी हो, इस एप से 40 मिनट में मदद की गारंटी! 1930 में लगा तृतीय श्रेणी का कोच 1930 के मध्‍य में पंजाब मेल में तृतीय श्रेणी का कोच लगाया गया. 1914 में बांबे से दिल्‍ली का जीआईपी रूट 1,541 किमी था, जिसे यह ट्रेन 29 घंटा 30 मिनट में पूरा करती थी. 1920 के प्रारंभ में इसके समय को घटाकर 27 घंटा 10 मिनट किया गया. 1945 में पंजाब मेल में वातानुकूलित शयनयान लगाया गया. 1972 में ट्रेन फिर से 29 घंटे लेने लगी. सन् 2011 में पंजाब मेल 55 अन्य स्‍टेशनों पर रुकने लगी. ट्रेन में होते थे छह डिब्‍बे पंजाब लिमिटेड बंबई के बैलार्ड पियर मोल स्टेशन से जीआईपी मार्ग के माध्यम से पेशावर तक, लगभग 2,496 किमी की दूरी तय करने के लिए 47 घंटे लेती थी. ट्रेन में छह डिब्‍बे थे, तीन यात्रियों के लिए, और तीन डाक सामान और मेल के लिए होते थे. तीन यात्री डिब्बों ये केवल 96 यात्रियों को ले जाने की क्षमता थी. ट्रेन के कोच में होता है कितने टन का AC, कैसे इतने बड़े स्पेस को कर देता है कूल कई बार बदला रूट 1968 में इस गाडी को डीजल इंजन से झांसी तक चलाया जाने लगा तथा बाद में डीजल इंजन नई दिल्‍ली तक चलने लगा और 1976 में यह फिरोजपुर तक जाने लगी। 1970 के अंत या 1980 के प्रारंभ में पंजाब मेल भुसावल तक विद्युत कर्षण पर डब्‍ल्‍यू सीएम/1 ड्यूल करंट इंजन द्वारा चलाई जाने लगी. जिसमें इगतपुरी में डीसी से एसी कर्षण बदलता था. लॉकडाउन में बंद हुई फिर दोबारा चली 22 मार्च, 2020 से कोविड -19 लॉकडाउन के दौरान यात्री ट्रेन सेवाओं को निलंबित कर दिया गया था, धीरे-धीरे सेवाओं को दिनांक 1 मई 2020 से अनलॉक के बाद स्पेशल ट्रेनों के रूप में फिर से शुरू किया गया. 1 दिसंबर 2020 से पंजाब मेल स्पेशल ने एलएचबी कोचों के साथ अपनी यात्रा शुरू की है. इस ट्रेन की नियमित सेवा दिनांक 15 नवंबर 2021 से शुरू हुई. वर्तमान में इसमें एक फर्स्ट एसी , सहवातानुकूलित टू टीयर, 2 -एसी टू टियर ,6- एसी थ्री टीयर, , 6 शयनयान, एक पैंट्रीकार, 5 सेकेंड क्लास के कोच तथा एक जनरेटर वैन है. वर्तमान में यह गाड़ी 250 प्रतिशत से अधिक आक्यूपेंसी पर चल रही है. Tags: Indian railway, Indian Railway newsFIRST PUBLISHED : June 1, 2024, 07:01 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed