कैसे खरीदें औकात के बाहर की प्रॉपर्टी समझिए फ्रैक्शनल ऑनरशिप का फंडा
कैसे खरीदें औकात के बाहर की प्रॉपर्टी समझिए फ्रैक्शनल ऑनरशिप का फंडा
Property Knowledge : फ्रैक्शनल ऑनरशिप का मॉडल निवेशकों को प्रॉपर्टी मार्केट में प्रवेश करने का एक आसान और प्रभावी तरीका प्रदान करता है. जो भारत के बढ़ते रियल एस्टेट बाजार के साथ मेल खाता है. ऐसे में यदि आप भी ऐसे विकल्प की ओर कदम बढ़ाते हैं तो निश्चय ही यह आपके लिए लाभकारी साबित हो सकता है.
नई दिल्ली. निवेश के लिए प्रॉपर्टी हमेशा से ही सबका पसंदीदा विकल्प रहा है. लेकिन, महंगे कॉमर्शियल प्रॉपर्टीज में निवेश करना हर किसी के बस की बात नहीं होती. अगर आप भी महज कुछ लाख या हजार रुपये लगाकर किसी अरबों की महंगी प्रॉपर्टी में हिस्सेदार बनना चाहते हैं तो इसका तरीका भी है. आजकल भारतीय रियल्टी सेक्टर में एक नई प्रवृत्ति तेजी से उभरती देखी जा सकती है जिसे आंशिक स्वामित्व या फ्रैक्शनल ऑनरशिप कहा जाता है. संपत्ति की ऐसी खरीदारी में उसके निवेशक के पास किसी संपत्ति विशेष का पूर्ण स्वामित्व नहीं होता है, बल्कि उस संपत्ति में हिस्सेदारी आंशिक तौर पर होती है.
दरअसल, फ्रैक्शनल ऑनरशिप लगभग वैसे ही है जैसे शेयर बाजार में आप किसी कंपनी की हिस्सेदारी खरीद पाते हैं. जहां तक रियल्टी सेक्टर की बात है तो निवेश के ऐसे विकल्प के जरिये महंगी यानी उच्च मूल्य वाली संपत्तियों में भी निवेश के विकल्प तलाशे जा सकते हैं. आंशिक स्वामित्व की यह प्रणाली उन छोटे निवेशकों के लिए बेहद आकर्षक है, जो कम पूंजी के बावजूद प्रॉपर्टी मार्केट में भागीदार बनना चाहते हैं. यह कैसे काम करती है, इसकी पूरी जानकारी प्रॉपर्टी मामलों के जानकार प्रदीप मिश्रा से लेते हैं.
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काफी सरल है इसमें निवेश
आंशिक स्वामित्व के जरिए निवेशकों को बड़े प्रॉपर्टी बाजार तक पहुंच मिलती है, विशेष रूप से उन वाणिज्यिक यानी कॉमर्शियल संपत्तियों में, जिन्हें खरीदना व्यक्तिगत रूप से कठिन होता है. महानगरों या फिर बड़े शहरों की बात करें तो वहां संपत्तियों की कीमतें अक्सर अधिक होती हैं, जो एक सामान्य निवेशक के लिए खरीद पाना आसान नहीं होता. आंशिक स्वामित्व के जरिये कोई भी निवेशक महंगी संपत्तियों में हिस्सेदारी लेकर निवेश कर सकता है. इससे उन्हें प्रॉपर्टी से मिलने वाले संभावित लाभ का हिस्सा मिलता है, बिना बड़ी राशि लगाए. यह निवेश मॉडल कई लोगों के लिए आर्थिक रूप से सुलभ बनता जा रहा है.
जोखिम काफी कम
आंशिक स्वामित्व निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने का भी अवसर प्रदान करता है. सामान्य तौर पर, रियल एस्टेट में निवेश करने के लिए एक ही संपत्ति में भारी रकम लगानी पड़ती है, जिससे जोखिम बढ़ जाता है. परंतु इस मॉडल के तहत, निवेशक विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग संपत्तियों में थोड़ा-थोड़ा निवेश कर सकते हैं. इससे उनके जोखिम भी बंट जाते हैं और किसी एक संपत्ति की कीमत घटने पर उन्हें दूसरी संपत्तियों से भरपाई हो जाएगी. यह निवेश मॉडल जोखिम को नियंत्रित करने का एक बेहतरीन तरीका है.
पेशेवर प्रबंधन से मिलता है लाभ
इस मॉडल की एक बड़ी खासियत यह है कि निवेशकों को संपत्ति के रखरखाव की चिंता नहीं करनी पड़ती. आंशिक स्वामित्व में निवेशक पेशेवर संपत्ति प्रबंधन कंपनियों की सेवाओं का लाभ उठाते हैं, जो संपत्ति के दिन-प्रतिदिन के प्रबंधन की जिम्मेदारी संभालती हैं. यह उन निवेशकों के लिए एक बड़ी राहत है, जो संपत्ति की देखरेख से मुक्त रहना चाहते हैं. एनआरआई निवेशक भी इस मॉडल में रुचि दिखा रहे हैं, क्योंकि उन्हें भारत में संपत्ति खरीदने का अवसर मिलता है, बिना प्रत्यक्ष प्रबंधन की जिम्मेदारी के.
संभावनाएं एवं चुनौतियां
आंशिक स्वामित्व में निवेश के कई फायदे हैं, लेकिन इसमें कुछ चुनौतियां भी हैं. सबसे बड़ी चुनौती तरलता की है. संपत्ति का हिस्सा बेचना उतना आसान नहीं होता जितना कि शेयर बाजार में होता है. इसके अलावा, सह-स्वामियों के बीच संपत्ति के उपयोग या प्रबंधन को लेकर मतभेद हो सकते हैं. निवेशकों को इस मॉडल में प्रवेश करने से पहले कानूनी सलाह लेनी चाहिए और संभावित विवादों से बचने के लिए सभी शर्तों को स्पष्ट रूप से समझना चाहिए. इसमें कोई दो राय नहीं कि आंशिक स्वामित्व भारतीय रियल एस्टेट में एक नया और निवेश का दिलचस्प मॉडल है जिसके आने वाले वर्षों में और लोकप्रिय होने की संभावनाएं हैं.
Tags: Business news, Property, Property investmentFIRST PUBLISHED : November 1, 2024, 13:58 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed