धान के पौधे में आ गई बालियां भूलकर भी न करें ये 2 काम! फसल हो जाएगी बर्बाद
धान के पौधे में आ गई बालियां भूलकर भी न करें ये 2 काम! फसल हो जाएगी बर्बाद
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात कृषि एक्सपर्ट डॉ एनपी गुप्ता ने बताया कि धान की फसल इन दिनों 60 से 65 दिन की हो चुकी है. अब धान की फसल में बालियां निकलने और बाली से दाने बनने की प्रक्रिया चल रही है. इस समय किसानों को सिंचाई का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है.
शाहजहांपुर : धान की फसल के लिए सितंबर का महीना बेहद ही संवेदनशील माना जाता है. इस समय किसानों द्वारा की गई जरा सी चूक उत्पादन को प्रभावित कर सकती है. क्योंकि सितंबर के महीने में धान के पौधों में बालियां निकलने की प्रक्रिया होती है. अगेती रोपाई वाली फसल में बालियों से दाने बनने का महत्वपूर्ण समय होता है. इस समय अगर किसान धान की फसल में सिंचाई का विशेष ध्यान रखें तो उनको अच्छा उत्पादन मिल सकता है. किसान धान की फसल में आवश्यकता अनुसार ही सिंचाई करें.
कृषि विज्ञान केंद्र नियामतपुर में तैनात कृषि एक्सपर्ट डॉ एनपी गुप्ता ने बताया कि धान की फसल इन दिनों 60 से 65 दिन की हो चुकी है. अब धान की फसल में बालियां निकलने और बाली से दाने बनने की प्रक्रिया चल रही है. इस समय किसानों को सिंचाई का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है. खेत में ज्यादा पानी भरने से फसल को नुकसान हो सकता है. तेज हवा चलने से फसल गिर भी सकती है. ऐसे में जरूरी है कि किसान विधिवत तरीके से धान की सिंचाई करें.
सिंचाई करते समय रखें इन बातों का ध्यान
डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि धान की फसल में इस समय हल्की सिंचाई करने की जरूरत है, ताकि खेत में नमी बनी रहे. किसान ध्यान रखें कि शाम के वक्त सिंचाई करें और सुबह को अतिरिक्त पानी खेत से बाहर निकाल दें. जिससे कि उनकी फसल सुरक्षित रहेगी.
तेज हवाओं से धान को खतरा
डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि धान की फसल में ज्यादा पानी भरने से मिट्टी नरम हो जाती है. तेज हवा चलने से पौधे गिर सकते हैं. फूल झड़ जाएंगे. जिससे दाने दागी हो जाएंगे और उत्पादन पर बुरा असर पड़ेगा.
भूरा फुदका भी कर सकता है अटैक
डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि सितंबर के महीने में बारिश कम होती है. गर्मी की वजह और अधिक यूरिया के इस्तेमाल से भूरा फुदका भी धान की फसल को चपेट में ले सकता है. जोकि रस चूसता है. रस चूसने से पौधे को सूख जाते हैं. ऐसे में जरूरी है कि किसान भूरा फुदका की कड़ी निगरानी करें. खेतों में ज्यादा पानी ना भरे. अगर भूरा फुदका दिखाई दे तो किसान अप्लाइड या ब्रूनो नाम की दवा का छिड़काव कर दें. एक एकड़ फसल के लिए 300 से 400 लीटर पानी का इस्तेमाल करें.
Tags: Agriculture, Local18, Shahjahanpur News, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : September 17, 2024, 14:00 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed