भिंडी की खेती से किसान हो रहे मालामाल! जानें कम लागत में कैसे होती है कमाई
भिंडी की खेती से किसान हो रहे मालामाल! जानें कम लागत में कैसे होती है कमाई
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद के किसान अरविंद बताते हैं कि भिंडी की बुवाई के दो माह में यह तैयार होने लगती है. जिसमें हर सप्ताह भिंडी खेत से निकलना शुरू हो जाती है.
फर्रुखाबाद: एक समय था जब गांव में रोजगार न होने के चलते यहां की मेहनतकश किसानों को शहर की ओर रुख करना पड़ता था. लेकिन अब समय बदलने के साथ ही यहां के किसान भी आधुनिक खेती करने में निपुण हो गए हैं. ऐसे समय पर न केवल उन्होंने खेती किसानी का तरीका बदला है. बल्कि कम जमीन पर ही तगड़ी कमाई कर रहे हैं. जिसमें यहां के किसान आलू- धान को छोड़कर सब्जियों की खेती करते हैं. जिससे इन्हें होती है नकदी वाली कमाई.
फर्रुखाबाद के याकूतगंज निवासी किसान अरविंद बताते हैं कि वह अपने खेतों में भिंडी, लौकी, शलजम जैसी फसलों को मिश्रित रूप में उगाते हैं. जिसमें आमतौर पर छह हजार रूपए प्रति बीघा की लागत आती है. वहीं जब एक बार फसल तैयार हो जाती है तो बंपर आमदनी वह भी कैश में आना शुरू हो जाता है. क्योंकि सबसे पहले भिंडी की फसल तैयार होती है जो हर सप्ताह तुड़ाई की जाती है. वहीं इस फसल से 6 से 10 बार भिंडी की तुड़ाई की जाती है. इसके बाद तैयार होती है लौकी और दूसरी फसलें जिससे बिक्री का यह क्रम बना रहता है और लगातार नकदी के रूप में कमाई भी होती रहती है.
किसान बताते हैं की सब्जी की पैदावार काफी अच्छी होती जिससे उन्हें मुनाफा भी हो रहा है. लेकिन कभी-कभी सही भाव मंडी में नहीं मिल पाता है. जिसके कारण इन्हें लाभ कम हो पाता. लेकिन इस समय सब्जियों की बिक्री अच्छी हो रही है और कमाई भी कर रहे हैं.
इस फसल से कम समय में अधिक मुनाफा
किसान ने बताया कि जिस प्रकार सब्जियों की फसले साल भर विशेष तरीके से की जाती हैं. ऐसे समय पर इसका उत्पादन भी अच्छा होता रहता है. बस इसमें नमी बनाई रखने के लिए समय से सिंचाई की जाती है. जब फसल तैयार हो जाती है तो उस समय अच्छे तरीके से उसकी देखरेख और तुड़ाई करके मंडी में वह बिक्री करते रहते हैं. जिस प्रकार वह है इन सब्जियों को तैयार करने में जैविक उर्वरक का इस्तेमाल करते हैं. जो कि वह अपने घर पर ही तैयार करते हैं जिसके कारण लागत कम हो जाती है और भिंडी का उत्पादन अच्छा होता है.
कब होती है इसकी खेती
भिंडी की खेती किसी भी क्षेत्र में आसानी से की जा सकती है. जिस प्रकार भिंडी की खेती उचित जल निकासी वाले खेतों में सही रहती है. जिसमें मृदा में कम सिंचाई के बावजूद भी नमी बनी रहे और गर्मी और बारिश के मौसम में जल भराव न हो सके. इसके लिए हल्की दोमट मिट्टी उचित मानी जाती है. वहीं विभिन्न प्रकार के अलग-अलग मौसम में भी यह फसलें तैयार की जा सकती हैं.
Tags: AgricultureFIRST PUBLISHED : May 31, 2024, 17:21 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed