इस खेती से चमकी किसान की किस्मत! कम जमीन में कर रहा छप्परफाड़ कमाई

कमालगंज के उगरापुर गांव के निवासी किसान विनोद कुमार बताते हैं कि वह बचपन से ही मिश्रित खेती करते आ रहे हैं. जिससे उन्हें तगड़ी कमाई होती है. किसान विनोद ने बताया कि मिश्रित खेती में प्रति बीघा चार से पांच हजार रुपए की लागत आती है.

इस खेती से चमकी किसान की किस्मत! कम जमीन में कर रहा छप्परफाड़ कमाई
सत्यम कटियार/फर्रुखाबाद: अगर आपके पास कम भूमि है और आप मुनाफे वाली खेती करना चाहते हैं. वह भी ऐसी खेती जिसे एक बार लगाने के बाद छह से आठ महीने तक उत्पादन मिल सके, तो आप अपने खेतों में इस विधि से बैंगन के साथ मिश्रित खेती कीजिए. जिससे आपको तगड़ी कमाई होगी. जिले के किसान बैंगन के साथ अन्य फसलें उगागर मिश्रित खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं. इस खेती में लागत भी कम आती है. प्रति बीघा पांच हजार रुपए लागत आती है. मिश्रित खेती करने वाले किसान बताते हैं कि वह लगातार कई सालों से यह खेती करते आ रहे हैं. इससे उन्हें कभी नुकसान नहीं हुआ बल्कि लाखों का मुनाफा हो रहा है. कमालगंज के उगरापुर गांव के निवासी किसान विनोद कुमार बताते हैं कि वह बचपन से ही मिश्रित खेती करते आ रहे हैं. जिससे उन्हें तगड़ी कमाई होती है. किसान विनोद ने बताया कि मिश्रित खेती में प्रति बीघा चार से पांच हजार रुपए की लागत आती है. हरी सब्जियों की है बाजार में तगड़ी डिमांड किसान विनोद ने बताया कि वह दस सालों से यह खेती करते आ रहे हैं. खेती के लिए उनके पास जमीन कम है. जिसको देखते हुए वह उसी भूमि में मिश्रित खेती करते हैं. जिससे उन्हें एक बीघा में पचास से साठ हजार रूपए का मुनाफा हो जाता है. वहीं बैंगन की फसल को उगाने में लगभग दो से पांच हजार रुपए की लागत आ रही है. लेकिन एक बार जब खेत से फसल निकलनी शुरू होती है, तो फिर मंडी में डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे समय पर उनका बैगन की मंडी में हाथों हाथ बिक्री हो जाती है. मिश्रित खेती का तरीका किसान बताते हैं कि वह अपने खेतों में सबसे पहले बैगन के पौधों की रोपाई करते हैं. इसके बाद उसमें शलजम और चुकंदर के बीजों को बो देते हैं. इसके बाद की क्यारियों के ऊपर धनिया की बुवाई करते हैं. एक समय के बाद जब बैगन की फसल तैयार होती है, तो नीचे से अन्य फसलंे भी तैयार होने लगती हैं. ऐसे में वह इन फसलों से मोटी कमाई करते हैं. क्या है खेती का तरीका किसान ने बताया कि वह सबसे पहले खेत को अच्छे से समतल करके इसमें क्यारियां बनाकर पहले से तैयार की गई बैगन के पौधों को प्रति एक मीटर पर दो पौधों को रोप देते हैं. समय से इसमें सिंचाई करते हैं. इसके बाद जब पौधे बड़े होने लगते हैं, तो इनसे बैगन निकलने लगते हैं. जिसे मंडी में बिक्री कर देते हैं. इसके बाद जब पौधों से पूरी फसल निकल जाती हैं. तो इसके पौधे को खेत में ही हरी खाद के रूप के प्रयोग करते हैं. Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : July 4, 2024, 08:53 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed