किसान ने शुरू की यह खेती बंपर हो रही पैदावार लाखों में कमा रहा मुनाफा

बाराबंकी जिले के सरीफाबाद गांव के रहने वाले युवा किसान सतेंद्र  मूली की खेती कर कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. जिसके लिए वो सालों से मूली की खेती कर रहे हैं.

किसान ने शुरू की यह खेती बंपर हो रही पैदावार लाखों में कमा रहा मुनाफा
संजय यादव/ बाराबंकी:  बरसात के सीजन में मूली की खेती किसानो के लिए काफी लाभकारी साबित हो सकती है. वैसे तो इसकी खेती जाड़े के मौसम में ज्यादा होती है, लेकिन इन दिनों मूली की खेती कर किसान अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. दरअसल बारिश के सीजन में मूली की खेती करना काफी मुश्किल होता है. क्योंकि इसमें फसलें सड़ने व गलने के साथ रोग लगने का खतरा ज्यादा रहता है. इसलिए किसान इसकी खेती बहुत ही कम करते हैं. यही कारण है कि आजकल मूली की बाजारों में काफी डिमांड रहती है. वैसे तो हमारे यहां मूली की कई किस्में मिट्टी और जलवायु के अनुसार अलग-अलग स्थानों पर उगाई जाती हैं, लेकिन कम समय में अच्छा उत्पादन देने वाली किस्मों में पूसा हिमानी, पूसा देसी, पूसा चेतकी, पूसा रेशमी, आदि किस्मों को उगा सकते हैं. वहीं बाराबंकी जिले के सरीफाबाद गांव के रहने वाले युवा किसान सतेंद्र  मूली की खेती कर कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. जिसके लिए वो सालों से मूली की खेती कर रहे हैं. मूली की खेती कर रहे युवा किसान सतेंद्र ने बताया कि पहले हम बरसात के मौसम में धान आदि की खेती करते थे. लेकिन इसमें हमें अधिक मुनाफा नही हो पा रहा था. इसके बाद उन्हें मूली की खेती की जानकारी हुई. फिर हमने मूली की खेती की शुरुआत की. जिसमें हमें अच्छा मुनाफा हुआ. इस बार दो बीघे में मूली की फसल लगाई है. जिसमें लागत एक बीघे में 4 से 5 हजार रुपए आती है और मुनाफ़ा करीब एक फसल पर एक से डेढ़ लाख रुपये तक हो जाता है. वहीं बरसात के मौसम में मूली की खेती करने पर पानी की बचत होती है. वहीं फसल का उत्पादन भी बढ़िया होता है. इस खेती में समय समय पर खाद ,पानी और कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करके किसान अच्छी फसल प्राप्त कर सकते हैं. वहीं मूली की खेती किसी भी तरह के मौसम में की जा सकती है. लेकिन खेती के लिए 20 से 25 डिग्री टेंपरेचर बेहतर माना गया है. वहीं, गहरी दोमट मिट्टी में इसकी खेती करने पर बंपर पैदावार मिलती है. इसकी खेती शुरू करने से पहले खेत की 3 से 4 बार जुताई की जाती है. फिर खेत से खरपतवार निकालने के बाद मिट्टी की मोटी लाइन बनाई जाती है. लाइनों के ऊपर मूली के बीज को बोया जाता है. वहीं महज बुवाई करने पर 40 से 50 दिन के अंदर फसल तैयार  हो जाती है. इसलिए समय से इसकी खुदाई का काम कर लेना चाहिए. Tags: Hindi news, Local18FIRST PUBLISHED : August 4, 2024, 08:31 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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