करेले की खेती का यह अनोखा तरीका एक ही फसल से किसान हो रहे मालामाल

Karele ki Kheti Karne ke Tips: फर्रुखाबाद के फतेहगढ़ बरगदिया घाट निवासी धर्मेंद्र कश्यप बताते हैं कि वह पिछले 18 वर्षों से सब्जियों की खेती कर रहे हैं. इस समय पर वह अपने खेतों में करेले की फसल का उत्पादन कर रहे हैं. उन्होंने इस फसल की बुवाई मार्च महीने में की थी. लेकिन, अब करेले की फसल लगातार उत्पादन दे रही है.

करेले की खेती का यह अनोखा तरीका एक ही फसल से किसान हो रहे मालामाल
सत्यम कटियार /फर्रुखाबाद: बारिश के इस मौसम में अगर आप भी नगदी आमदनी वाली फसलों की खेती करने की सोच रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए है.क्योंकि, इस समय करेले की खेती से किसानों को लाखों की आमदनी होगी. एक बार इस फसल को लगाने के बाद लगातार 3 महीनों तक जमकर पैदावार होती है. ऐसे समय पर फर्रुखाबाद की जलवायु में पांच तरह के करेले की खेती की जा सकती है. करेले की फसल लगाने के लिए साल में फरवरी से मार्च से और जून से जुलाई तक का महीना बेहद लाभदायक होता है. फर्रुखाबाद के फतेहगढ़ बरगदिया घाट निवासी धर्मेंद्र कश्यप बताते हैं कि वह पिछले 18 वर्षों से सब्जियों की खेती कर रहे हैं. इस समय पर वह अपने खेतों में करेले की फसल का उत्पादन कर रहे हैं. उन्होंने इस फसल की बुवाई मार्च महीने में की थी. लेकिन, अब करेले की फसल लगातार उत्पादन दे रही है. वह बताते हैं कि इसकी फसल को तैयार करने में आमतौर पर तीस हजार रुपए की लागत आती है. फसल तैयार हो जाने के बाद इसकी बिक्री हाथों-हाथ हो जाती है. डिमांड और अच्छे रेट मिलने पर इस फसल से दो से ढाई लाख रुपये प्रति बीघा कमाई कर सकते हैं. करेले की खेती का तरीका किसान धर्मेंद्र कश्यप बताते हैं कि इसकी फसल करने के लिए सबसे पहले जमीन की रोटावेटर या कल्टीवेटर से अच्छी तरीके से जुताई करके खरपतवार हटाई जाती है. इसके बाद आप इस फसल को बरसात के मौसम में भी कर सकते हैं. इस समय खराब गोबर को जैविक खाद की तरह प्रयोग कर सकते हैं. वहीं उन्नत सील करेले के बीजों को बोना फायदेमंद होता है. इस फसल को हम मचान विधि और खुले मैदान में जमीन पर भी फैलाकर फसल प्राप्त कर सकते हैं. यह किस्में मुख्य रूप से कल्याणपुर बारहमासी, काशी हरित, सफेद काशी उर्वशी, सोलन पूसा 2 जैसी किस्म लाभकारी हैं. रोगों की समय से ऐसे करें पहचान करेले की खेती करने वाले किसान बताते हैं कि इसमें बैक्टीरिया लगने की वजह से इसके पौधे की बेल और पत्तियों पर सफेद गोलाकार जाले जैसी दिखाई देने लगती है. इसके बाद वह कत्थई रंग का भी हो जाता है. इस रोग में समानता इसकी पत्तियां पीली होकर सूखने लगती हैं. ऐसे समय पर किसान इस रोग से बचाव करने के लिए देसी तरीके से 5 लीटर खट्टा छाछ और 2 लीटर गोमूत्र के साथ ही 40 लीटर पानी मिलाकर छिड़काव करें. इससे 3 सप्ताह तक करेले की बेल सुरक्षित रहती है. वहीं, समय से नमी के अनुसार हर तीसरे दिन सिंचाई भी कर सकते हैं. Tags: Agriculture, Farrukhabad news, Local18FIRST PUBLISHED : July 25, 2024, 09:59 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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