ट्विन टावर के बाद अब 15 लाख फ्लैट खरीदारों ने उठाई आवाज कब मिलेगी रजिस्ट्री
ट्विन टावर के बाद अब 15 लाख फ्लैट खरीदारों ने उठाई आवाज कब मिलेगी रजिस्ट्री
हर इलेक्शन में ऐसे फ्लैट खरीदार (Flat Buyers) मुद्दा बनते हैं, लेकिन रिजल्ट आते ही मुद्दे हवा-हवाई हो जाते हैं. 2022 के यूपी विधानसभा के चुनावों में फ्लैट बायर्स की संस्था नोएडा एस्टेट फ्लैट ओनर्स मेन एसोसिएशन (Nefoma) के अध्यक्ष अन्नु खान ने दादरी (Dadri) सीट से चुनाव भी लड़ा. सोचा शायद इसी रास्ते से मसला हल हो जाए. लेकिन चुनावों में जीत नहीं मिली. ऐसे फ्लैट खरीदारों ने रजिस्ट्री नहीं तो वोट नहीं का नारा भी लगाया. लेकिन नतीजा फिर भी ज़ीरो ही रहा.
नोएडा. फ्लैट (Flat) का 80 से 100 फीसद तक भुगतान किए 8-10 साल हो चुके हैं. लेकिन हैरत की बात है कि अभी तक इनके फ्लैट की रजिस्ट्री नहीं हुई है. बिना रजिस्ट्री के इन्हें कब्जा दे दिया गया है. बहुत सारे खरीदार तो ऐसे भी हैं जिन्हें रजिस्ट्री तो दूर की बात फ्लैट में कब्जा भी नहीं मिला है. ऐसे लोग मकान का किराया देने के साथ ही बैंक लोन (Bank Loan) की किस्त भी साथ-साथ देने को मजबूर हैं. ऐसे फ्लैट खरीदारों की संख्या 1.5 लाख से ज्यादा है. नोएडा-ग्रेटर नोएडा में फ्लैट खरीदारों (Flat Buyers) की संस्था नोएडा एस्टेट फ्लैट ओनर्स मेन एसोसिएशन (Nefoma) और न्यू एरा फ्लैट ओनर्स वेलफेयर एसोसिएशन (Nefowa) इनकी लड़ाई लड़ रही है. ट्विन टावर केस (Twin Tower Case) के बाद से इनका मुद्दा भी मुखर हो गया है. इनकी निगाह भी अब सुप्रीम कोर्ट की ओर लगी हुई हैं.
2010 में रुपये देने के बाद भी अभी तक नहीं मिला कब्जा
शुभकामना सिटी फ्लैट ओनर्स के जरनल सेक्रेटरी रफी अहमद ने बताया कि शुभकामना सिटी प्रोजेक्ट के फ्लैट बायर्स ने बिल्डर के कहने पर 2010 में 95 फीसद पैसा दे दिया था. प्रोजेक्ट के तहत बिल्डर को 10 टावर बनाने थे. हर एक टॉवर में 120 फ्लैट बनने थे. इस हिसाब से कुल 1200 फ्लैट का निर्माण बिल्डर को कराना था. बिल्डर द्वारा 2010 में 600 फ्लैट की बुकिंग की गई. साथ ही बुकिंग के वक्त वादा किया गया था कि 2013 में फ्लैट का कब्जा दे दिया जाएगा. लेकिन पैसा लेने के बाद बिल्डर ने सिर्फ 5 टावर का स्ट्रक्चर ही खड़ा कर कर पूरे 95 फीसद पैसे ले लिए और उसके बाद काम बंद कर दिया. इसके बाद से हम लगातार भटक रहे हैं.
ऐसे फ्लैट खरीदारों की इसलिए नहीं हो पाती रजिस्ट्री
फ्लैट खरीदार मनीष शर्मा का कहना है कि फ्लैट का कब्जा देने के दौरान बिल्डर ने पूरा पैसा ले लिया. रजिस्ट्री के लिए पूछा तो जवाब मिला कि कुछ दिन में हो जाएगी. लेकिन 7 साल बीतने के बाद भी आज तक रजिस्ट्री नहीं हो सकी है. संबंधित अथॉरिटी जाने पर जवाब मिलता है कि आपके बिल्डर ने ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) और कंप्लीशन सर्टिफिकेट (सीसी) का पैसा जमा नहीं किया है. इसलिए जब तक पैसा जमा नहीं होगा तो रजिस्ट्री भी नहीं होगी. इस तरह के कई मामले सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं. कोर्ट ने फैसला सुनाकर उसे सुराक्षित रख लिया है.
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बिल्डर पर कार्रवाई शुरू होते ही वो एनसीएलटी में चला जाता है
नोएडा एस्टेट फ्लैट ओनर्स मेन एसोसिएशन (नेफोमा) अध्यक्ष अन्नू खान की मानें तो यूपी रेरा और सुप्रीम कोर्ट में लड़ी गई एक लम्बी लड़ाई के बाद उम्मीद जागी थी कि दागी बिल्डर्स की प्रापर्टी सीज कर उसकी नीलामी से आने वाली रकम पीड़ित फ्लैट बायर्स में बांट दी जाएगी.
लेकिन जब यह मौका आया तो उस लिस्ट के बिल्डर दिवालिया होने लगे. वो अपना मामला एनसीएलटी में ले गए. जेपी बिल्डर के 25 हजार फ्लैट खरीदारों का मामला पहले से ही एनसीएलटी में चल रहा है. लेकिन 5 साल बीतने के बाद भी सभी फ्लैट खरीदार खाली हाथ हैं. लॉजिस्टिक सिटी, सुपरटेक और यूनीटेक एनसीएलटी में पहले ही जा चुके हैं.
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Tags: Noida Authority, Own flat, Supreme court of indiaFIRST PUBLISHED : August 30, 2022, 16:10 IST