Ground Report : काए महराज पड़ गई तुम्‍हाए करेजे में ठंड़क हरादई तुमने बीजेपी

क्‍या भितरघात की वजह से उत्‍तर प्रदेश बुंदेलखंड में बीजेपी लोकसभा चुनाव क्‍यों हार गई, उत्‍तर प्रदेश की हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी चुनाव क्‍यों हारी, इसकी समीक्षा खुद स्‍थानीय वोटर्स ने की है. क्‍या कहना है स्‍थानीय वोटर्स का जानने के लिए पढ़िए आगे...

Ground Report : काए महराज पड़ गई तुम्‍हाए करेजे में ठंड़क हरादई तुमने बीजेपी
‘काए महराज, पड़ गई तुम्‍हाए करेजे में ठंड़क, हरादई तुमने बीजेपी….’ बेलाताल (हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला एक कस्‍बा) की एक चाय की दुकान में बैठे एक शख्‍स ने दुकान में दाखिल हो रहे दूसरे शख्‍स को देखते ही अपने इन शब्‍दों का बांण चला दिया. दुकान में दाखिल हो रहे शख्‍स ने उसी रफ्तार से अपने शब्‍दों का जवाबी बांण छोड़ते हुए बोला… ‘हमने काए हराई, हमने तो बीजेपी को वोट करो तो, का जाने काए हार गई बीजेपी…’ पहले शख्‍स ने एक बार फिर पूरी तल्‍खी के साथ अपना सवालिया बांण छोड़ा… ‘छोड़ों महाराज, तुम्‍हें नइ मालुम तुम्‍हाए विधायक ने पूरा खेल रचो तो… यई लाने चरखारी तो हारिइ हारी, हमीरपुरौ हरा दइ…. मानो न मानो तुम्‍हाए विधायक बदौलत बुंदेलखंड में बीजेपी को सूखो आओ है…’ कुछ ऐसा ही संवाद बेलाताल की सिर्फ एक चाय की दुकान में ही नहीं, बल्कि पूरे हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी गली-मोहल्‍लों में जारी है. हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं के बीच जारी इस संवाद में बीजेपी की मामूली वोटों से हुई इस हार की विस्‍तृत समीक्षा की जा रही है. इस पूरे संवाद में जो एक बात सबसे कॉमन है, वह है चरखारी से भाजपा विधायक बृजभूषण राजपूत और उनके पिता पूर्व सांसद गंगा चरण राजपूत की भूमिका. इस संसदीय क्षेत्र में रहने वाले कई लोग पूर्व सांसद गंगा चरण राजपूत और नव निर्वाचित सपा सांसद अजेन्द्र सिंह लोधी की रिश्‍तेदारी को इस हार का प्रमुख आधार बना रहे हैं. यह भी पढ़ें: राजपूतों की नाराजगी के योगी कनेक्शन का रिजल्ट जान लीजिए, जाटलैंड में क्या बीजेपी चित हो गई… आप ये जानना चाहते होंगे कि यूपी में राजपूतों की नाराजगी का क्या असर हुआ, क्या भारतीय जनता पार्टी की घटी हुई सीटों के लिए राजपूत वोटबैंक जिम्मेदार है. अंतिम चरण के रूझान इसकी तरफ इशारा नहीं कर रहे. पूरी कहानी समझने के लिए क्लिक करें. आरोपों के घेरे में बीजेपी के विधायक और पूर्व सांसद चल‍िए अब आपको समझाते हैं उत्‍तर प्रदेश के हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र की पूरी कहानी और क्‍यों चरखारी विधायक बृजभूषण राजपूत को इस तरह के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है. सबसे पहले बात करते हैं विधायक बृजभूषण के पिता और पूर्व सांसद गंगा चरण राजपूत की. गंगा चरण राजपूत तीन बार हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे हैं. पहली बार 1989 में जनता दल के टिकट पर सांसद बने, वहीं 1996 और 1998 में बीजेपी की टिकट पर सांसद बने. लोधी समाज के अगुवा के तौर पर होती है इनकी गिनती गंगा चरण राजपूत 2002 में वह बीजेपी का साथ छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए और 2009 में कांग्रेस का हाथ छोड़कर बसपा के हाथी पर सवार हो गए. देश में पीएम नरेंद्र मोदी की लहर को देखते हुए 2015 में वह वापस फिर बीजेपी में आ गए. पूर्व सांसद गंगाचरण राजपूत के बेटे मौजूदा समय में चरखारी विधानसभा से बीजेपी के विधायक हैं. पूर्व सांसद गंगा चरण राजपूत लोधी समाज से आते हैं और उन्‍हें इलाके में इस समाज के अगुवा की तरह देखा जाता है. यह भी पढ़ें: अयोध्‍या ही नहीं इस ‘राम नगरी’ से भी मिला झटका, बुंदेलखंड की इस सीट से भी हारी BJP, जानें बड़ी वजह… अयोध्‍या की तरह बीजेपी ने एक और राम नगरी हारी है और यह राम नगरी है बुंदेलखंड में. इस सीट पर लोगों की नाराजगी बीजेपी से नहीं, बल्कि… बीजेपी के हाथों से क्‍यों फिसली यह राम नगरी, जानने के लिए क्लिक करें. क्‍यों चर्चा के केंद्र में हैं बीजेपी के विधायक और पूर्व सांसद संवाद में लोगों के बीच जारी अटकलों का बाजार पूर्व सांसद गंगा चरण राजपूत और नवनिर्वाचित सांसद अजेन्द्र सिंह लोधी की रिश्‍तेदारी के वजह से गर्म है. बताया जा रहा है कि गंगा चरण राजपूत और अजेंद्र सिंह लोधी के बीच समधी का रिश्‍ता है. दरअसल, अजेंद्र सिंह लोधी की भतीजी की शादी गंगाचरण राजपूत के बड़े बेटे अखिल राजपूत से हुई है. समधी वाले इसी रिश्‍ते को आधार बनाकर स्‍थानीय लोग इस हार का ठीकरा विधायक और सांसद पर फोड़ रहे हैं. बीजेपी विधायक की विधानसभा से हारे पुष्‍पेंद्र और… स्‍थानीय लोग पूर्व सांसद और चरखारी विधायक पर अपने आरोपों ठीकरा लोकसभा के नतीजों के आधार पर फोड़ रहे हैं. दरअसल, हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र में कुल पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिसमें हमीरपुर, राठ, चरखारी, महोबा और तिंदवारी विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. 4 जून को आए नतीजों में बीजेपी के उम्‍मीदवार पुष्‍पेंद्र सिंह चंदेल राठ, महोबा और तिंदवारी विधानसभा क्षेत्र से तो जीत गए, लेकिन चरखारी और हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र से हार गए. यह भी पढ़ें: वादों की गारंटी, 400 पार, POK या रामलहर, बीजेपी की सीटें खटाखट क्यों घटीं… सुबह जिस बुलेट की गति से कमल चार सौ की तरफ जा रहा था, 11 बजे तक 300 के लिए संघर्ष कर रहा है. सरकार किसकी बनेगी, इस पर संशय नहीं है लेकिन अपने बूते बीजेपी अगर 272 पार नहीं करती है तो मुश्किल होगी. बानगी उन रिपोर्ट्स में देखिए जिसमें कहा जा रहा है कि सोनिया गांधी समर्थन के लिए नीतीश कुमार से बात करेंगी. आगे क्‍या होगा, जानने के लिए क्लिक करें. विधायक और पूर्व सांसद को लेकर जनता के अपने तर्क नतीजतन, बीजेपी प्रत्‍याशी पुष्‍पेंद्र सिंह चंदेल को महज 2629 वोटों से हार का सामना करना पड़ा. चूंकि, बीजेपी प्रत्‍याशी चरखारी विधानसभा से हार गए, लिहाजा लोगों ने विधायक और पूर्व सांसद की रिश्‍तेदारी को इस हार की वजह बताना शुरू कर दिया. बीजेपी का समर्थन करने वाले लोगों का आरोप है कि पूर्व सांसद और विधायक ने अपनी भूमिका तटस्‍थ रखी, जिसकी वजह से बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. एक नजर में देखिए किस विधानसभा में दोनों प्रत्‍याशियों कि मिले कितने वोट. विधानसभा क्षेत्रपुष्‍पेंद्र सिंह चंदेल  (बीजेपी प्रत्‍याशी)अजेंद्र सिंह लोधी (नवनिर्वाचित सपा सांसद)हमीरपुर105644 126708 चरखारी9059392438 राठ 116516 115264 महोबा93076 79077तिंदवारी8154476516 बीजेपी प्रत्‍याशी खुद भी हैं अपनी हार की बड़ी वजह! स्‍थानीय लोगों के अनुसार, बीजेपी प्रत्‍याशी पुष्‍पेंद्र सिंह चंदेल खुद भी अपनी हार के लिए जिम्‍मेदार हैं. आरोप है कि बीजेपी प्रत्‍याशी और बीते दस वर्षों से सांसद पुष्‍पेंद्र सिंह चंदेल का जनता के साथ संपर्क पूरी तरह से टूट चुका था. न ही उनका हमीरपुर में उनका कोई कार्यालय है और न ही वे किसी का फोन उठाते है. स्‍थानीय जनता पुष्‍पेंद्र सिंह चंदेल के कई ऐसे भाषणों का उदाहरण देती है, जिससे आहत होकर मतदाताओं ने खुद को उनसे अलग करना बेहतर समझा. बताते हैं कि पुष्‍पेंद्र सिंह चंदेल का घर महोबा में है लिहाजा उन्‍होंने अपना रुख महोबा तक ही सीमित कर लिया, उनका ध्‍यान हमीरपुर और उसके अंतर्गत आने वाले इलाकों में नहीं रहा.‍ जिससे हमीरपुर की स्‍थानीय जनता उनसे नाराज थी. यह भी पढ़ें: पसीने ने बढ़ाई विदेश जा रहे यात्री की मुसीबत, जब बैग खुलवाया तो सामने आई ऐसी चीज, खुली की खुली रह गईं सबकी आंखें… पसीने से तरबतर इस यात्री का जब बैग खुलवाया गया तो उसके भीतर एक सीक्रेट लेयर पाई गई. जब इस सीक्रेट लेयर को खोलकर देखा गया तो उसके भीतर से जो निकला, उसे देखकर सीआईएसएफ और कस्‍टम के अधिकारियों की आंखे खुली की खुली रह गई. क्‍या था पूरा मामला जानने के लिए क्लिक करें. ब्राह्मण मतदाताओं ने भी छोड़ा बीजेपी प्रत्‍याशी का साथ बताया जा रहा है कि बीजेपी प्रत्‍याशी पुष्‍पेंद्र सिंह चंदेल ने अपने साथ कुछ ऐसे लोगों को रखा, जिन्‍हें इलाके में धुर ब्राह्मण विरोधी के तौर पर देखा जाता रहा है. लिहाजा, इन चेहरों को देखने के बाद ब्राह्मणों ने भी बीजेपी से किनारा करना शुरू कर दिया. इसी बीच, बसपा ने अपने टिकट पर निर्दोष कुमार दीक्षित को चुनावी मैदान में उतार दिया और ब्राह्मण मतदाताओं को एक विकल्‍प दिख गया. निर्दोष कुमार दीक्षित को इस चुनाव में कुल 94696 वोट मिले. निर्दोष कुमार के मैदान में आने से सपा की राह आसान हो गई और वह जीत दर्ज करने में कामयाब रही. एम-वाई और कुशवाहा फैक्‍टर भी रहा असरदार बताया जा रहा है कि सपा को मुस्लिम और यादव समाज का अपना पारंपरिक वोट तो मिला ही, साथ ही कुशवाहा समाज ने भी इस बार अपना रुख सपा की तरफ कर लिया. इसकी वजह बताई जा रही है कि बाबू सिंह कुशवाहा इस क्षेत्र से टिकट चाह रहे थे, टिकट कटने से नाराज कुशवाहा समाज ने बीजेपी से किनारा कर लिया. वहीं, लोधी समाज के मतदाताओं ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सपा उम्‍मीदवार अजेंद्र सिंह लोधी का समर्थन किया, जिसका चलते वह मामूली अंतर से ही सही, जीत हासिल करने में कामयाब हो गए. Tags: 2024 Loksabha Election, BJP, BSP, Hamirpur news, Loksabha Election 2024, Mahoba news, Politics news, Samajwadi party, Uttarpradesh newsFIRST PUBLISHED : June 6, 2024, 14:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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