OMG! पुणे में एक ही बिल्डिंग को 12 महीनों में 20 बार खरीदा और बेचा गया मालिकों को इसकी खबर तक नहीं
OMG! पुणे में एक ही बिल्डिंग को 12 महीनों में 20 बार खरीदा और बेचा गया मालिकों को इसकी खबर तक नहीं
Pune News: महाराष्ट्र के पुणे में फर्जीवाड़े का एक अजब-गजब खेल सामने आया है. जालसाजों ने एक ही मकान को 1 साल में 20 बार खरीदा और बेचा. इस दौरान मकान को बैंक के पास गिरवी रखकर लोन भी लिए गए है. अब मामले की छानबीन की जा रही है.
हाइलाइट्समकान को बैंकों के पास गिरवी रखकर लोन भी लिए गए फर्जीवाड़े का पता चलने के बाद बैंक ने जांच के आदेश दिए हैं मकान मालिकों को इस फर्जीवाड़े के बारे में कुछ भी पता नहीं
नई दिल्ली. फर्जीवाड़े से जुड़ी खबरों के बारे में आपलोग अक्सर पढ़ते या सुनते होंगे. आज हम आपको एक ऐसी घटना के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें सुनकर आपके भी होश उड़ जाएंगे. यह मामला पुणे का है. फर्जी दस्तावेज के आधार पर एक 4 मंजिला इमारत को 12 महीनों में 20 बार बेचा और खरीदा गया. हैरत की बात तो यह है कि इस मकान को बैंक के पास गिरवी भी रखा गया. इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि इसके असली मालिकों को इसके बारे में पता तक नहीं चल सका. इस पूरे खेल में न केवल मकान के मालिक को अंधेरे में रखा गया, बल्कि बैंकों को भी चूना लगाया गया.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पुणे के कोंढवा इलाके में स्थित एक मकान किरण चड्ढा, सुमन खंडगले, नीरू गुप्ता और अंजलि गुप्ता के नाम पर है. इन महिलाओं ने इस बिल्डिंग को साल 1994 में संयुक्त रूप से खरीदा था. उन्होंने वर्ष 2005 में बिल्डिंग को रीडेवलप किया और 4 मंजिला इमारत का निर्माण कराया, जिसका नाम ‘नंदनवन’ रखा गया. मई 2021 में उन्होंने इस बिल्डिंग को बेचने के लिए कुछ रियल एस्टेट एजेंटों से संपर्क कर उनके साथ प्रॉपर्टी के दस्तावेज साझा किए थे. इसके बाद धोखाधड़ी का खेल शुरू हो गया.
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धोखे के खेल में सब फर्जी
‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, जाली आधार कार्ड के साथ खरीदारों और बेचने वालों ने धोखे का खेल शुरू किया. पुलिस को दिए अपने बयान में मकान मालिकों ने कहा कि संभावित खरीदार, रियल-एस्टेट एजेंट और बैंक अधिकारी होने का दावा करने वाले लगभग 100 लोगों ने उनसे मुलाकात की. इसके तुरंत बाद धोखाधड़ी के सौदे होने लगे. पुलिस ने बताया कि धोखाधड़ी में अज्ञात महिलाओं को संपत्ति का मालिक बताया गया, जबकि उनके द्वारा दिए गए आधार कार्ड में नाम तो असली मालिकों के थे, लेकिन फोटो फर्जी थे. फर्जीवाड़े का पहला खेल 1 जुलाई 2021 को हुआ था, जब बिल्डिंग की पहली मंजिल खुद को माधवी बोकेफोड और संतोष बोकेफोड बताने वाले एक दंपति को 1 करोड़ रुपये में बेचा गया. खरीदारों के नाम फर्जी होने की आशंका है. पुलिस यह भी जांच कर रही है कि क्या पैसों का लेनदेन हुआ या बिक्री केवल कागज की गई.
अलग-अलग बैंकों के पास तीन बार गिरवी
नंदनवन बिल्डिंग को अलग-अलग बैंकों के पास कम से कम 3 बार गिरवी रखा गया. इस दौरान लगभग 2.35 करोड़ रुपये का लोन लिया गया. लोन देने वाले कॉसमॉस बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने अब जांच के आदेश दिए हैं. कथित धोखेबाजों ने तीन अलग-अलग मॉर्गेज डीड के लिए सरकारी स्टांप शुल्क के 18.72 लाख रुपये और रजिस्ट्रेशन फीस के 90,000 रुपये का पेमेंट किया. तीन डीड में से दो ‘विशाल गोर्डे’ के नाम हैं, जिन्होंने अलग-अलग लेनदेन में बिल्डिंग में दो मंजिलें ‘खरीदी’ और एक-एक मंजिल बैंक ऑफ महाराष्ट्र और कॉसमॉस बैंक के पास गिरवी रखी. गोर्डे ने पहला फ्लोर 96 लाख रुपये में खरीदा और 24 फरवरी को अपने नाम पर रजिस्ट्री कराई. उसने दो फ्लोर को कॉसमॉस बैंक के पास 69.87 लाख रुपये में गिरवी भी रख दिया. उसने 1.2 करोड़ रुपये में एक और फ्लोर खरीदा और बैंक ऑफ महाराष्ट्र से 96 लाख रुपये का कर्ज लिया था.
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Tags: Maharashtra News, National NewsFIRST PUBLISHED : September 14, 2022, 12:25 IST