प्रधानमंत्री मोदी ने 8 चीतों को वन में छोड़ा जैव विविधता की सदियों पुरानी टूटी कड़ी को फिर से जोड़ा
प्रधानमंत्री मोदी ने 8 चीतों को वन में छोड़ा जैव विविधता की सदियों पुरानी टूटी कड़ी को फिर से जोड़ा
चीतों को छोड़ने के बाद पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि इससे भारत की प्रकृति प्रेरणा तेजी से जागृत होगी. इन चीतों के जरिए हमारे जंगल का एक बड़ा शून्य भर रहा है. हमारे यहां बच्चों को चीता के बारे में बताया तो जाता है, लेकिन उन्हें चीता देखना हो तो पता चलता है कि ये हमारे देश से दशकों पहले विलुप्त हो चुके हैं. अब भारत के बच्चे अपने देश में ही चीतों को देख पाएंगे.
हाइलाइट्सपशु-पक्षी भारत के लिए Sensibility और Spirituality का भी आधार हैं- PM मोदीप्रकृति, पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र के बीच संतुलन बनाकर विकास हो सकता हैइकोनाॅमी और इकोलाॅजी परस्पर विरोधाभाषी नहीं हैं, भारत ने यह दुनिया को बताया
भोपालः भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज अपना 72वां जन्मदिन मना रहे हैं. अपने जन्मदिन के मौके पर प्रोजेक्ट चीता के तहत उन्होंने मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में 8 चीतों को छोड़ा. इन चीतों को लेकर विशेष मालवाहक विमान से नामीबिया से ग्वालियर एयरबेस लाया गया, इसके बाद चिनूक हेलीकॉप्टर से कूनो राष्ट्रीय उद्यान ले जाया गया. इन 8 चीतों में 5 नर और 3 मादा हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एयरफोर्स के वीमान से पहले ग्वालियर एयरबेस, फिर वहां से हेलीकाॅप्टर से कूनो वन अभयारण्य पहुंचे और पिजड़े का लीवर दबाकर 3 चीतों को विशेष तौर पर बनाए गए क्वारंटीन जोन में छोड़ा. इसके बाद बाकी के चीतों को भी वन अधिकारियों द्वारा छोड़ दिया गया. इन सभी 8 चीतों की 1 महीने तक निगरानी की जाएगी और सबकुछ ठीक रहने पर इन्हें मुख्य वन में छोड़ दिया जाएगा.
चीतों को छोड़ने के बाद पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि इससे भारत की प्रकृति प्रेरणा तेजी से जागृत होगी. इन चीतों के जरिए हमारे जंगल का एक बड़ा शून्य भर रहा है. हमारे यहां बच्चों को चीता के बारे में बताया तो जाता है, लेकिन उन्हें चीता देखना हो तो पता चलता है कि ये हमारे देश से दशकों पहले विलुप्त हो चुके हैं. अब भारत के बच्चे अपने देश में ही चीतों को देख पाएंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि आज हम पूरे दुनिया को संदेश दे रहे हैं कि इकोनाॅमी और इकोलाॅजी परस्पर विरोधाभाषी व्यवस्थाएं नहीं हैं, और दोनों को एक साथ रखकर भी विकास किया जा सकता है. पीएम मोदी ने कहा कि भारत इसका जीता जागता उदाहरण है. उन्होंने कहा कि हम दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भी बने हैं और पर्यावरण संरक्षण भी कर रहे हैं.
कूनो वन अभ्यारण में चीता मित्रों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (PIB India Photo)
पीएम मोदी ने देशवासियों से कुनो नेशनल पार्क में इन चीतों को देखने के लिए थोड़ा धैर्य रखने की अपील की. उन्होंने कहा कि ये चीते इस इलाके से अनजान हैं, नामीबिया से भारत के मेहमान बनकर आए हैं. कुनो राष्ट्रीय उद्यान को अपना घर बनाने में सक्षम होने के लिए हमें इन चीतों को कुछ महीने का समय देना होगा. अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन्स पर चलते हुए भारत इन चीतों को बसाने की पूरी कोशिश कर रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि किसी जीव जंतु का अस्तित्व हमारी वजह से मिट जाए, यह कितना दुखद है. मुझे विश्वास है कि ये चीते हर भारतवासी को न केवल प्रकृति के प्रति उसकी जिम्मेदारियों का बोध कराएंगे, बल्कि हमारे मानवीय मूल्यों से भी दुनिया को अवगत कराएंगे.
पीएम मोदी ने कहा कि ये दुर्भाग्य रहा कि हमने 1952 में चीतों को देश से विलुप्त तो घोषित कर दिया, लेकिन उनके पुनर्वास के लिए दशकों तक कोई सार्थक प्रयास नहीं हुआ. दशकों पहले जैव विविधता की सदियों पुरानी कड़ी टूट गई थी और विलुप्त हो गई थी. आज हमारे पास इसे फिर से जोड़ने का मौका है. इन चीतों के साथ-साथ भारत की प्रकृति प्रेमी चेतना भी पूरी ताकत से जागी है. आज आजादी के अमृतकाल में अब देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है. ये बात सही है कि जब प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण होता है तो हमारा भविष्य भी सुरक्षित होता है. विकास और समृद्धि के रास्ते भी खुलते हैं. कुनो नेशनल पार्क में जब चीता फिर से दौड़ेंगे, तो यहां का ग्रासलैंड इकोसिस्टम फिर से रिस्टोर होगा, बायोडायवर्सिटी और बढ़ेगी. Prime Minister Narendra Modi released the cheetahs brought from Namibia, to their new home Kuno National Park in Madhya Pradesh. pic.twitter.com/8CgHmH8NF6
— ANI (@ANI) September 17, 2022
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि हमारे यहां एशियाई शेरों की संख्या में भी बड़ा इजाफा हुआ है. इसी तरह, आज गुजरात देश में एशियाई शेरों का बड़ा क्षेत्र बनकर उभरा है. इसके पीछे दशकों की मेहनत, शोध आधारित नीतियों और जन-भागीदारी की बड़ी भूमिका है. टाइगर्स की संख्या को दोगुना करने का जो लक्ष्य तय किया गया था उसे समय से पहले हासिल किया है. असम में एक समय एक सींग वाले गैंडों का अस्तित्व खतरे में पड़ने लगा था, लेकिन आज उनकी भी संख्या में वृद्धि हुई है. हाथियों की संख्या भी पिछले वर्षों में बढ़कर 30 हजार से ज्यादा हो गई है. प्रकृति और पर्यावरण, पशु और पक्षी, भारत के लिए ये केवल Sustainability और Security के विषय नहीं हैं. हमारे लिए ये हमारी Sensibility और Spirituality का भी आधार हैं. यह प्रकृति, पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए हमारे समर्पण को दर्शाता है.
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Tags: PM Modi, PM Modi Birthday Special, PM Narendra Modi BirthdayFIRST PUBLISHED : September 17, 2022, 14:02 IST