जैन समाज ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई याचिका भोजशाला को बताया अपना
जैन समाज ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई याचिका भोजशाला को बताया अपना
Bhojshala Update: धार की भोजशाला पर हिंदू-मुस्लिम समाज के दावे के बीच अब जैन समाज ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है. जैन समाज का कहना है कि धार जिले में स्थित भोजशाला उनका धार्मिक स्थल है. इसके लिए उन्होंने कोर्ट के सामने प्रमाण देने का भी दावा किया है.
नई दिल्ली/भोपाल. मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला पर अब हिंदू और मुस्लिम समाज के बाद जैन समाज ने भी अपना दावा किया है. जैन समाज ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. जैन समाज ने दावा किया है कि भोजशाला में 1875 में खुदाई के दौरान जैन यक्षिणी अम्बिका की मूर्ति निकली थी. वो मूर्ति अभी ब्रिटिश म्यूजियम में सुरक्षित है. इस मूर्ति के साथ शिलालेख भी सुरक्षित है. यह अम्बिका देवी के जैन धर्म से संबंधित होने का प्रमाण है. इसी मूर्ति को हिंदू समाज वाग्देवी सरस्वती कह रहा है.
जैन समाज ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि हिंदू समाज का दावा यथार्थ में सत्य नहीं है. इसके अलावा अभी खुदाई के दौरान जैन तीर्थंकरों, देवी देवताओं की मूर्तियां, जैन तीर्थंकरों से संबंधित लांछन, कछुआ, बंदर, शंख और जैन शिल्प और जैन शिलालेख भी मिले हैं. इन तर्कों के आधार पर उन्होंने कहा कि भोजशाला पर जैन समाज का दावा उचित है.
इंदौर हाईकोर्ट खारिज कर चुका दावा
बता दें, इसी 5 जुलाई को इंदौर हाईकोर्ट ने भोजशाला को लेकर लगी जैन समाज की याचिका खारिज कर दी थी. ये याचिका विश्व जैन संगठन के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सकलचंद जैन ने लगाई थी. दरअसल, धार में एएसआई के सर्वे के दौरान जैन तीर्थंकर नेमीनाथ की 2 मूर्तियां मिलीं थी. इन मूर्तियों के आधार पर फिर सकलचंद जैन ने भोजशाला पर जैन समाज का दावा किया था. हाईकोर्ट का कहना था कि जैन समाज का कोई दावा नहीं बनता है.
हाईकोर्ट में सर्वे की सुनवाई पूरी
गौरतलब है कि, 22 जुलाई को इंदौर हाईकोर्ट में भोजशाला मामले की सुनवाई पूरी हुई थी. हाईकोर्ट ने इस मामले को आगे बढ़ा दिया था. हाईकोर्ट ने कहा था कि चूंकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. सर्वे रिपोर्ट के क्रियान्वयन पर स्टे लगा हुआ है. इसलिए उच्च न्यायालय सभी पक्षों को सुनने की स्थिति में तब तक नहीं रहेगा, जब तक सुप्रीम कोर्ट अपना स्टे नहीं हटाती.
22 मार्च को शुरू हुआ था एएसआई का सर्वे
गौरलतब है कि एएसआई का सर्वे 27 जून को पूरा हुआ था. इस साल 11 मार्च को इंदौर हाईकोर्ट ने कहा था कि ज्ञानवापी के बाद अब मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला का एएसआई सर्वे होगा. इस मामले में सामाजिक संगठन ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ के याचिका दाखिल की थी. हाईकोर्ट ने इसके लिए एएसआई को 5 सदस्यीय कमिटी गठन करने के आदेश दिए थे. इसके बाद भोजशाला में एएसआई का सर्वे 22 मार्च को शुरू हुआ. इसके बाद एएसआई ने भोजशाला के सर्वे के लिए इंदौर हाईकोर्ट से 8 हफ्तों का और समय मांगा था. हाईकोर्ट ने 29 अप्रैल को इस याचिका को मंजूर कर लिया है. दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष ने भी भोजशाला का सर्वे रोकने के लिए याचिका लगाई थी. उसकी याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था.
आखिर क्या है इस भोजशाला का विवाद
हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने करीब 1,000 साल पुराने भोजशाला परिसर की वैज्ञानिक जांच अथवा सर्वेक्षण अथवा खुदाई अथवा ‘ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार’ (जीपीआर) सर्वेक्षण समयबद्ध तरीके से करने की मांग की थी. बता दें, हिंदू संगठनों ने हाईकोर्ट में कहा था कि भोजशाला में मां सरस्वती का मंदिर है. अपने इस दावे को मजबूत करने के लिए हिंदू पक्ष ने हाईकोर्ट के सामने परिसर की रंगीन तस्वीरें भी पेश की थीं. भोजशाला केंद्र सरकार के अधीन एएसआई का संरक्षित स्मारक है. एएसआई के सात अप्रैल 2003 के आदेश के अनुसार चली आ रही व्यवस्था के मुताबिक हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है. मुस्लिम समुदाय भोजशाला परिसर को कमाल मौला की मस्जिद बताता है.
Tags: Bhopal news, Mp newsFIRST PUBLISHED : July 25, 2024, 15:36 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed